सरकारी योजनाएं (Government Schemes)राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

जलवायु परिवर्तन: भारतीय कृषि को टिकाऊ बनाने की सरकार की मुहिम

29 जुलाई 2024, नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन: भारतीय कृषि को टिकाऊ बनाने की सरकार की मुहिम – केंद्र सरकार भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) लागू कर रही है। यह मिशन जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) के तहत चल रहा है और देश में टिकाऊ कृषि उत्पादन में मदद कर रहा है। एनएमएसए के प्रमुख घटकों में वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी), खेत पर जल प्रबंधन (ओएफडब्ल्यूएम) और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (एसएचएम) शामिल हैं। इसके साथ ही, मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी), परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई), मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (एमओवीसीडीएनईआर), प्रति बूंद अधिक फसल और राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) जैसे नए कार्यक्रम भी शामिल किए गए हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जलवायु अनुकूल कृषि में राष्ट्रीय नवाचार (एनआईसीआरए) नामक एक प्रमुख नेटवर्क परियोजना शुरू की है। इसका उद्देश्य फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्य पालन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करना और कृषि में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को विकसित करना है।

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आईसीएआर की उपलब्धियाँ

पिछले 10 वर्षों (2014-2024) के दौरान आईसीएआर ने कुल 2593 किस्में जारी की हैं, जिनमें से 2177 किस्में जैविक और/या अजैविक कठिनाइयों के प्रति सहनशील पाई गई हैं। जलवायु परिवर्तन पर कृषि के जोखिम और संवेदनशीलता का आकलन 651 कृषि जिलों के लिए आईपीसीसी प्रोटोकॉल के अनुसार किया गया है। इनमें से 109 जिलों को ‘बहुत उच्च’ और 201 जिलों को ‘अत्यधिक’ संवेदनशील के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

इन 651 जिलों के लिए जिला कृषि आकस्मिक योजनाएँ (डीएसीपी) तैयार की गई हैं, जो सूखा, बाढ़, बेमौसम बारिश और गर्मी, शीत लहर, पाला, ओलावृष्टि, चक्रवात जैसी मौसम की गड़बड़ियों के लिए हैं। इन योजनाओं में जलवायु अनुकूल फसलों और किस्मों तथा प्रबंधन प्रथाओं की सिफारिश की गई है।

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जलवायु अनुकूल गांवों की अवधारणा

एनआईसीआरए के तहत “जलवायु अनुकूल गांवों” (सीआरवी) की अवधारणा शुरू की गई है। 151 जिलों के 448 सीआरवी में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया है। इन तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को शिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन प्रयासों से कृषि में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

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