राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

जैव प्रौद्योगिकी से भारत में मक्का की उपज में 15% तक इज़ाफ़ा संभव: आईआईएमआर

02 सितम्बर 2025, लुधियाना: जैव प्रौद्योगिकी से भारत में मक्का की उपज में 15% तक इज़ाफ़ा संभव: आईआईएमआर – भारत में मक्का की बढ़ती मांग और उत्पादन में आ रही चुनौतियों के बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी को अपनाया नहीं गया तो देश वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकता है। सोमवार को लुधियाना स्थित आईसीएआर–भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में वैज्ञानिकों और नीति विशेषज्ञों ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी आधारित प्रजनन तकनीकें भारत में मक्का की उपज को 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं।

“मक्का केवल भोजन ही नहीं बल्कि पशुपालन, स्टार्च और बायोफ्यूल उद्योगों के लिए भी रणनीतिक महत्व रखता है। यदि भारत को वैश्विक उत्पादकता स्तर तक पहुँचना है, तो आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी को तुरंत अपनाना होगा,” पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. अजयमेर सिंह धत्त ने कार्यशाला में कहा।

Advertisement
Advertisement

भारत दुनिया का पाँचवाँ सबसे बड़ा मक्का उत्पादक है, लेकिन औसत उपज अब भी वैश्विक औसत से काफ़ी कम है। वर्तमान में देश की उत्पादकता लगभग 3.5 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि वैश्विक औसत 5.8 टन है। 2030 तक मक्का की मांग दोगुनी होने का अनुमान है, खासकर पोल्ट्री, फीड और एथेनॉल उद्योग से। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि केवल विज्ञान-आधारित नीतियाँ और समय पर तकनीक अपनाने से ही इस बढ़ती खाई को भरा जा सकता है।

आईआईएमआर के निदेशक डॉ. एच.एस. जाट ने कहा, “पारंपरिक प्रजनन में जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग न केवल आनुवंशिक सुधार को तेज़ करेगा, बल्कि किसानों और उद्योग दोनों को स्थायी लाभ देगा।”

Advertisement8
Advertisement

कार्यशाला में यह भी चर्चा हुई कि नियामकीय बाधाएँ और उपभोक्ता स्तर पर धारणा, भारत में जैव प्रौद्योगिकी अपनाने की सबसे बड़ी चुनौतियाँ हैं। बीज उद्योग और वैज्ञानिकों ने सरकार से आग्रह किया कि अनुमोदन प्रक्रिया को तेज़ किया जाए और किसानों को नई किस्मों तक पहुँच जल्द सुनिश्चित की जाए।

Advertisement8
Advertisement

बायोटेक कंसोर्टियम इंडिया लिमिटेड की मुख्य महाप्रबंधक डॉ. विभा आहुजा ने कहा, “भारत एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। यदि हमने विज्ञान-आधारित नीतियाँ और समय पर निर्णय नहीं लिए, तो आने वाले वर्षों में खाद्य, फीड और ईंधन सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।”

कार्यशाला के अंत में विशेषज्ञों ने एक स्वर में यह निष्कर्ष निकाला कि मक्का में जैव प्रौद्योगिकी का प्रयोग अब विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है। इससे किसानों की आय बढ़ेगी, उद्योगों को स्थिर कच्चा माल मिलेगा और भारत वैश्विक कृषि मानचित्र पर मजबूत स्थिति बना सकेगा।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.global-agriculture.com

Advertisements
Advertisement5
Advertisement