राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

गेहूं उत्पादन में 8% की बढ़ोतरी! लेकिन सरकारी खरीद क्यों घट रही है?

07 मार्च 2025, नई दिल्ली: गेहूं उत्पादन में 8% की बढ़ोतरी! लेकिन सरकारी खरीद क्यों घट रही है? – भारत में 2024-25 (जुलाई-जून) फसल वर्ष के दौरान गेहूं उत्पादन में 8.2% की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार, इस साल गेहूं की खेती का रकबा बढ़कर 328 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जिससे उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी की उम्मीद है।

पिछले कुछ सालो में गेहूं उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई थी, जिससे सरकार के भंडार पर असर पड़ा। हालांकि, इस बार मार्च में ठंडा मौसम बना रहने से गेहूं की फसल को फायदा होने की उम्मीद है, जो फरवरी में रिकॉर्ड गर्मी के नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकता है।

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फरवरी की गर्मी का असर कम करेगा ठंडा मार्च

भारत ने 2025 में बीते 125 सालो में सबसे गर्म फरवरी महीना देखा, जिससे गेहूं उत्पादन को लेकर चिंता बढ़ गई थी। गेहूं ठंड के मौसम में उगने वाली फसल है, जिसे अधिक तापमान सहन नहीं होता। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मार्च-अप्रैल 2025 के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान रहने की भविष्यवाणी की थी, जिससे किसानों में चिंता थी कि पैदावार प्रभावित हो सकती है।

हालांकि, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई भारी बर्फबारी ने उत्तर भारत में तापमान को काफी हद तक नीचे ला दिया है। यह ठंडा मौसम गेहूं की ग्रोथ के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जिससे फसल पर गर्मी के असर को कम करने में मदद मिलेगी।

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पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने इस पर अपनी राय रखते हुए कहा कि “सबसे अहम यह है कि फरवरी और मार्च के दौरान मौसम कैसा रहा। इस साल अप्रैल तक सरकार के गेहूं भंडार पिछले साल की तुलना में अधिक रहने की संभावना है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में गेहूं उत्पादन भी पहले के मुकाबले कम नहीं था।”

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रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 3 मार्च को भी इस ओर संकेत दिया कि इस बार गेहूं उत्पादन पिछले साल से बेहतर रहेगा, क्योंकि बुवाई बड़े पैमाने पर हुई है।

भारत दुनिया में गेहूं उत्पादन के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है, इसलिए इसका उत्पादन न सिर्फ घरेलू खपत बल्कि वैश्विक बाजार के लिए भी अहम होता है।

सरकारी खरीद और चुनौतियां

सरकार द्वारा गेहूं की खरीद पिछले कुछ वर्षों से तय लक्ष्य से काफी कम रही है। 2023-24 के विपणन वर्ष में सरकार ने 26.1 मिलियन टन गेहूं खरीदा, जो 34.2 मिलियन टन के लक्ष्य से काफी कम था। इससे पहले, 2022-23 में सरकार ने 44.4 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 18.7 मिलियन टन गेहूं खरीदा था।

आगामी खरीद सीजन, जो आमतौर पर अप्रैल में फसल कटाई के साथ शुरू होता है, उसके लिए सरकार ने खरीद लक्ष्य को घटाकर 31 मिलियन टन कर दिया है।

कम उत्पादन और सरकारी खरीद की चुनौतियों के कारण भारत को 2022 में गेहूं निर्यात पर रोक लगानी पड़ी थी, ताकि घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। भारतीय खाद्य निगम (FCI) के विभिन्न गोदामों में बफर स्टॉक की कमी के चलते सरकार के लिए कीमतों को नियंत्रित करना भी मुश्किल हो गया था।

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भारत में गेहूं उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र उत्तर प्रदेश है, जबकि मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा भी प्रमुख उत्पादक राज्यों में शामिल हैं।

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