कृषि बजट में बढ़ोतरी, लेकिन फसल बीमा योजना में कटौती क्यों?
26 मार्च 2025, नई दिल्ली: कृषि बजट में बढ़ोतरी, लेकिन फसल बीमा योजना में कटौती क्यों? – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के लिए वित्त वर्ष 2025-26 में बजट आवंटन को बढ़ाकर 1,37,756.55 करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह पिछले साल (2024-25) के 1,32,469.86 करोड़ रुपये से करीब 5,286 करोड़ रुपये ज्यादा है। यह जानकारी मंगलवार को प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बढ़ोतरी किसानों की समस्याओं को हल करने में कारगर साबित होगी?
पीएम फसल बीमा योजना में बदलाव
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत प्रीमियम दरों में कमी देखी गई है। 2020-21 में जहां यह दर 15.9% थी, वहीं 2023-24 में यह घटकर 10.8% हो गई। सरकार का कहना है कि इससे उसकी प्रीमियम देनदारी कम हुई है। 2024-25 के संशोधित अनुमान में इस योजना के लिए आवंटन को 14,600 करोड़ से बढ़ाकर 15,864 करोड़ रुपये किया गया, जबकि 2025-26 के लिए बजट अनुमान 12,242 करोड़ रुपये रखा गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1 जनवरी 2025 को हुई बैठक में योजना के लिए 2021-22 से 2025-26 तक 69,515.71 करोड़ रुपये के बढ़े हुए खर्च को मंजूरी दी है। साथ ही, पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) के लिए 10% अनिवार्य आवंटन से छूट दी गई है, जिससे बची हुई राशि अन्य राज्यों के लिए उपलब्ध होगी।
दावों में देरी और शिकायतें
हालांकि, योजना के तहत दावों के भुगतान में देरी और अन्य समस्याएं अब भी बनी हुई हैं। बीमा कंपनियों पर दावों का भुगतान न करने या देर करने, बैंकों द्वारा गलत प्रस्ताव जमा करने, उपज डेटा में गड़बड़ी और राज्य सरकारों के फंड में देरी जैसी शिकायतें पहले भी सामने आई हैं। सरकार का दावा है कि इन मुद्दों को योजना के प्रावधानों के तहत हल किया गया।
किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण समितियां (DGRC और SGRC) बनाई गई हैं। इसके अलावा, कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन (KRPH) शुरू की गई है, जिसमें टोल-फ्री नंबर 14447 के जरिए किसान अपनी समस्याएं दर्ज करा सकते हैं। इन शिकायतों के निपटारे के लिए समय सीमा भी तय की गई है।
निगरानी और संशोधन
विभाग का कहना है कि वह बीमा कंपनियों के कामकाज पर नजर रख रहा है। साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, व्यक्तिगत बैठकें और राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलनों के जरिए दावों के निपटारे की प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश की जा रही है। समय-समय पर योजना के दिशानिर्देशों में संशोधन भी किए गए हैं ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा, “बजट आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि से स्पष्ट है कि भारत सरकार देश भर के किसानों की भलाई के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।” हालांकि, जमीनी हकीकत क्या होगी, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: