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कम्पनी समाचार (Industry News)

रासायनिक उर्वरक का कोई स्थायी समाधान नहीं, संतुलित उपयोग ही आवश्यक – श्री मोहंती

सचिन बोन्द्रिया 

29 सितम्बर 2025, इंदौर: रासायनिक उर्वरक का कोई स्थायी समाधान नहीं, संतुलित उपयोग ही आवश्यक– श्री मोहंती –

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देश की प्रसिद्ध उर्वरक निर्माता कम्पनी हिंदुस्तान उर्वरक रसायन लि ( एचयूआरएल ) द्वारा गत दिनों इंदौर में एनुअल डीलर कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसके मुख्य अतिथि कम्पनी के एमडी डॉक्टर एसपी मोहंती थे। इस कॉन्फ्रेंस में स्टेट मैनेजर श्री आशीष विजय, मार्केटिंग मैनेजर श्री स्नेहिल श्रीवास्तव के अलावा  एग्रो फॉस के  राजकुमार सुहाने  सहित बड़ी संख्या में डीलर मौजूद थे।  

देश की अग्रणी उर्वरक निर्माता कंपनी हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के प्रबंध निदेशक श्री एस.पी. मोहंती ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों का कोई स्थायी समाधान नहीं है, लेकिन खाद्य सुरक्षा और मिट्टी के स्वास्थ्य की दृष्टि से इनका विवेकपूर्ण और संतुलित उपयोग ही समय की मांग है। वे इंदौर में आयोजित कंपनी की एनुअल डीलर कॉन्फ्रेंस के अवसर पर कृषक जगत से विशेष चर्चा कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि देश में किसानों द्वारा यूरिया का अत्यधिक उपयोग चिंता का विषय है। वर्ष 2023-24 और 2024-25 में पिछले वर्षों की तुलना में लगभग 25 लाख टन अधिक यूरिया का उपयोग किया गया, जिससे मिट्टी का रासायनिक संतुलन प्रभावित हो रहा है। श्रीलंका का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां 100 प्रतिशत जैविक खेती अपनाने से भुखमरी की स्थिति बन गई थी और भारत को वहां लाखों टन यूरिया भेजना पड़ा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को भी केवल जैविक या केवल रासायनिक खेती पर निर्भर रहने की बजाय दोनों तरह की खादों का संतुलित प्रयोग करना चाहिए।

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डॉ. मोहंती ने एचयूआरएल की प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कंपनी के गोरखपुर, बरौनी और सिंदरी स्थित तीनों प्लांट आधुनिक तकनीक से लैस हैं और 105% उत्पादन क्षमता पर कार्यरत हैं। इनकी कुल उत्पादन क्षमता 3.81 मिलियन टन यूरिया है। पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी का टर्नओवर ₹17,000 करोड़ और लाभ ₹1,878 करोड़ रहा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष कंपनी 40 लाख टन यूरिया का उत्पादन करने जा रही है। साथ ही 7 लाख टन डीएपी, एनपीके और एमओपी का आयात भी किया गया है। कंपनी का लक्ष्य अगले 5 वर्षों में देश की नंबर वन उर्वरक कंपनी बनना है।

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मध्यप्रदेश में यूरिया संकट की स्थिति पर उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि जल्द ही यह स्थिति सामान्य होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री प्रणाम योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह योजना वैकल्पिक उर्वरकों और जैविक खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इसके अंतर्गत यदि किसान रासायनिक उर्वरक का उपयोग कम करते हैं, तो उससे बची सब्सिडी का 50% हिस्सा राज्य सरकार को मिलता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश में एक बोरी यूरिया कम उपयोग करने वाले किसानों को ₹800 की प्रोत्साहन राशि सीधे उपलब्ध कराई जा रही है।

नैनो यूरिया के विषय पर  डॉक्टर मोहंती ने स्वीकार किया कि प्रारंभिक स्तर पर इसके क्रियान्वयन में कुछ कमियां रहीं, लेकिन अब सुधार की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। उन्होंने बताया कि इस तकनीक को बेहतर बनाने के लिए अमेरिकी कंपनी से एचयूआरएल का समझौता हो चुका है और निकट भविष्य में इसे गोरखपुर यूनिट में स्थापित किया जाएगा।

डीलर नेटवर्क की अहमियत पर उन्होंने कहा कि डीलर कंपनी की धमनी हैं, जिनके माध्यम से ही उत्पाद गांव-गांव तक पहुंच पाता है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे यूरिया और डीएपी का विवेकपूर्ण उपयोग करें, ताकि न केवल उत्पादन क्षमता बढ़े बल्कि मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण संरक्षण भी सुनिश्चित हो सके।

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