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सिंजेंटा की विश्वस्तरीय तकनीक भारतीय किसानों के लिए

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5 सितम्बर 2022, इंदौर ।  सिंजेंटा की विश्वस्तरीय तकनीक भारतीय किसानों के लिए – अंतरराष्ट्रीय कंपनी सिंजेंटा बीज के चुनाव से लेकर कटाई तथा मार्केटिंग तक के लिए अपडेटेड टेक्नालॉजी ला रही है, जिसमें सेटेलाईट ड्रोन का उपयोग किया जायेगा। भविष्य की तकनीक पर भी काम कर रही है। जिसमें कम्प्यूटर तकनीक का उपयोग होगा। जैसे पेस्टीसाइड का छिडक़ाव होता है, तो कम्प्यूटर नियंत्रित प्रणाली से केवल खरपतवार पर ही छिडक़ाव होगा। यह एक मेकेनाइज्ड सिस्टम होगा। यह प्रिसीजन फार्मिंग के अंतर्गत आता है। ड्रोन तकनीक के कई लाभ हैं। उस पर कैमरा लगाकर पूरे खेत में फसल की स्थिति देखी जा सकती है। किसी क्षेत्र की फसल में समस्या है, तो देख सकते हैं। इससे किसान नुकसान से बच सकता है। यह जानकारी  भारत  प्रवास पर आए सिंजेंटा के ग्लोबल इन्फर्मेशन एंड डिजिटल ऑफिसर श्री फिरोज शेख, स्विट्जरलैंड ने कृषक जगत के श्री सचिन बोंद्रिया से एक विशेष मुलाकात में दी ।

तकनीक के प्रभाव और महत्व को रेखांकित करते हुए श्री फिरोज बताते हैं कि सिंजेंटा  में आने के पहले वे शिक्षा में तकनीक के उपयोग पर काम कर रहे थे। इस क्षेत्र में पाठ्य  पुस्तकों  पर क्यूआर कोड के उपयोग संबंधित उनके इनोवेशन को भारत सरकार ने भी सराहा और पाठ्य पुस्तकों में क्यूआर कोड तकनीक का उपयोग प्रारंभ किया। हाल ही में सिंजेंटा ने भारत सरकार से अनुमति मिलने के बाद ड्रोन के माध्यम से पेस्टीसाइड स्प्रे की सुविधा  किसानों के लिए प्रारंभ की है। इसके लिये जिस ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं, उसमें 16 लीटर का टैंक लगा है। भविष्य में और अधिक विकसित तकनीक का उपयोग होगा। जिसमें कैमरे के द्वारा समस्याग्रस्त फसल और स्वस्थ फसल को चिन्हित कर लिया जायेगा और ड्रोन से समस्याग्रस्त फसल पर ही छिडक़ाव हो सकेगा। इसी तरह ट्रैक्टर में सेंसर लगाकर मिट्टी किस प्रकार की है, पानी सोखने की क्षमता कैसी है, आदि जानकारी एकत्रित की जा सकती है। इस तरह की जानकारी से किसान खेत के अलग-अलग क्षेत्र में बीज की अलग-अलग मात्रा तय कर वेरिएबल बुवाई कर सकते हैं। ड्रिप सिस्टम के द्वारा आवश्यकता के अनुरूप पोषक तत्व व पानी की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं। नई तकनीक में स्थानीय मौसम की सटीक जानकारी के लिए वेदर सिस्टम भी आसान तरीके से स्थापित हो सकते हैं, जिससे  इन सब नई तकनीकों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर सही एग्रोनामी एडवाइजरी मिलेगी और किसान को लाभ होगा।

श्री शेख बताते हैं कि सिंजेंटा इन तकनीकों का उपयोग पश्चिमी देशों में कर रही है, जिसके परिणाम संतोषजनक हैं। विश्व में 200 मिलियन एकड़ में सिंजेंटा की इन तकनीकों का लाभ किसान ले रहे हैं। सिंजेंटा स्व विकसित तकनीक को भारत में ला रहा है। भारतीय कृषि के अनुरूप इन तकनीकों का उपयोग किसान कैसे कर सकते हैं, इसके लिए सिंजेंटा स्थानीय भाषा में एक एप विकसित कर रहा है। सिंजेंटा ये सभी सेवाएं भारतीय किसानों को नि:शुल्क उपलब्ध कराने के प्रयास में है, उपकरणों को भी कम से कम लागत में उपलब्ध कराया जायेगा। स्थानीय स्तर पर इन सेवाओं के लिए सर्विस प्रोवाइडर भी तैयार किए जाएंगे। जिनको सिंजेंटा  तकनीकी और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएगी। तकनीक विकास के लिए सिंजेंटा की बहुत बड़ी टीम है। यह टीम भारत में पूना में कार्यरत है। अन्य देशों में भी इस तरह की टीम कार्य कर रही है। भारतीय टीम द्वारा अनुसंधानित और विकसित तकनीक को अन्य देशों में भेजा जाता है। इसलिए सिंजेंटा की सोच है कि भारत में विकसित तकनीक का लाभ भारतीय किसानों को भी मिलना चाहिये।

सिंजेंटा की भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते हुए श्री शेख ने कहा कि सिंजेंटा इससे भी आगे फार्म ऑफ द फ्यूचर की अवधारणा पर काम कर रही है। अमेरिका में इस तरह का फार्म आफ द फ्यूचर मॉडल तैयार किया गया है, जहां पूर्ण रूप से ऑटोमेशन  द्वारा मशीनों से खेती के कार्य किये जाते हैं। भारत में भी फार्म ऑफ द फ्यूचर बनाने की योजना है। किसानों को तकनीक से परिचित कराने के लिये ही यह ड्रोन यात्रा शुरू की गई है।

इस  यात्रा ने 10,000 किमी का सफर 13 राज्यों से होकर पूरा कर लिया है। हमें इसी तरह प्रदर्शन, यात्रा, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि छात्रों, कृषि विस्तार कार्यकर्ताओं के माध्यम से अंतिम छोर तक जाकर किसानों को नई तकनीक के प्रति जागरूक करना होगा। यह कृषि में बदलाव का दौर है। भारत में हरित क्रांति की तरह कृषि डिजिटल क्रांति की शुरूआत है और यह बहुत तेजी से भारतीय कृषि में परिवर्तन लायेगी। यह भारतीय किसान की आय में भी वृद्धि करेगी और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएगी।

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