स्टेरिक-पी: फॉस्फोरस का स्मार्ट उपयोग, किसानों की समृद्धि
पौधों की जीवनरेखा फॉस्फोरस: क्या आप जानते हैं इसके महत्व और चुनौतियों को?
04 मार्च 2025, नई दिल्ली: स्टेरिक-पी: फॉस्फोरस का स्मार्ट उपयोग, किसानों की समृद्धि – फॉस्फोरस पौधों की वृद्धि के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। यह प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis), ऊर्जा का ट्रान्सफर (एटीपी के जरिए -एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट ऊर्जा स्थानांतरण की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक प्रकार का न्यूक्लियोटाइड है जो ऊर्जा को संग्रहीत और स्थानांतरित करने में मदद करता है।और पौधों के भीतर पोषक तत्वों की आवाजाही जैसे महत्वपूर्ण जैविक कार्यों में अहम भूमिका निभाता है।) हालांकि, इसके महत्व के बावजूद, कृषि में फॉस्फोरस की उपलब्धता एक बड़ी समस्या बनी हुई है। मिट्टी में यह तत्व स्थिर हो जाता है, जिससे पौधे इसे अवशोषित (सोख लेना) नहीं कर पाते। इस वजह से उर्वरक की लागत बढ़ती है, फसलों की पैदावार घटती है, और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, खासकर पानी में फॉस्फोरस के बहाव से यूट्रोफिकेशन (शैवाल का अत्यधिक विकास) जैसी समस्याएं पैदा होती हैं।
फॉस्फोरस की कमी के प्रभाव:
- फॉस्फोरस की कमी से पौधों की वृद्धि और विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- इसकी कमी से पौधों में प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो सकती है।
- फॉस्फोरस की कमी से पौधों में ऊर्जा स्थानांतरण की दर भी कम हो सकती है।
- इसकी कमी से पौधों में पोषक तत्वों की गति भी प्रभावित हो सकती है।
फॉस्फोरस की उपलब्धता में सुधार के तरीके:
- फॉस्फोरस की उपलब्धता में सुधार करने के लिए कई तरीके अपनाए जा सकते हैं।
- उर्वरकों का सही उपयोग करना और फॉस्फोरस की मात्रा को नियंत्रित करना।
- फॉस्फोरस की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए जैविक उर्वरकों का उपयोग करना।
- मिट्टी की जांच करके फॉस्फोरस की कमी का पता लगाना और उसके अनुसार उर्वरकों का उपयोग करना।
कृषि में फॉस्फोरस की समस्या
फॉस्फोरस उर्वरकों का इस्तेमाल दुनिया भर में फसलों की पैदावार और स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन, फसलों की पैदावार और स्वास्थ्य के लिए डाले गए फॉस्फोरस का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही पौधों द्वारा सोखा जाता है। बाकी फॉस्फोरस मिट्टी में मौजूद कैल्शियम, एल्युमिनियम या आयरन के साथ मिलकर अघुलनशील (न घुलनेवाला) हो जाता है, जिससे पौधे इसे इस्तेमाल नहीं कर पाते। इस वजह से किसानों को जरूरत से ज्यादा फॉस्फोरस डालना पड़ता है, जो मिट्टी में जमा हो जाता है और बारिश के पानी के साथ बहकर नदियों और झीलों में पहुंच जाता है। यह पानी में शैवाल की अत्यधिक वृद्धि का कारण बनता है, जिससे जलीय जीवन और पानी की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।
इसके अलावा, फॉस्फोरस एक सीमित संसाधन है, जो दुनिया के कुछ ही देशों में पाए जाने वाले फॉस्फेट चट्टानों से निकाला जाता है। बढ़ती आबादी और खाद्य उत्पादन की मांग के साथ, फॉस्फोरस का कुशल इस्तेमाल करना टिकाऊ कृषि के लिए बहुत जरूरी हो गया है।
स्टेरिक-पी: फॉस्फोरस के इस्तेमाल में क्रांति
इन चुनौतियों से निपटने के लिए, फॉस्फोरस की उपलब्धता और अवशोषण क्षमता को बेहतर बनाने वाली नई उर्वरक तकनीकों पर काम किया जा रहा है। इनमें से एक बड़ी खोज है स्टेरिक-पी, जो वर्डेसियन कंपनी द्वारा विकसित एक अत्याधुनिक समाधान है। यह तकनीक मिट्टी और पौधों में फॉस्फोरस के इस्तेमाल को बेहतर बनाती है। स्टेरिक-पी में स्टेरिक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जो फॉस्फोरस को मिट्टी के कणों के साथ जुड़ने से रोकता है और इसे लंबे समय तक पौधों के लिए उपलब्ध रखता है। साथ ही, बायोएसएफ 325 टेक्नोलॉजी मिट्टी में फॉस्फोरस की गतिशीलता को बढ़ाती है और पौधों की जड़ों द्वारा इसके अवशोषण को सुधारती है। इससे पौधे डाले गए और मिट्टी में पहले से मौजूद फॉस्फोरस का बेहतर इस्तेमाल कर पाते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि पौधों को ज्यादा पोषक तत्व मिलते हैं, जड़ें मजबूत होती हैं, और फसलों की पैदावार बढ़ती है।
स्टेरिक-पी को उर्वरक प्रबंधन में शामिल करके किसान:
- कम फॉस्फोरस का इस्तेमाल करके भी अधिक पैदावार ले सकते हैं।
- फॉस्फोरस के इस्तेमाल को और कुशल बना सकते हैं, जिससे पौधों को ज्यादा पोषक तत्व मिलते हैं।
- फॉस्फोरस के बहाव और रिसाव को कम करके पर्यावरण को नुकसान से बचा सकते हैं।
- मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, क्योंकि यह फॉस्फोरस के चक्रण को सुधारता है और लाभकारी सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाता है।
- निवेश पर बेहतर रिटर्न पा सकते हैं, क्योंकि फॉस्फोरस का बेहतर इस्तेमाल फसलों के प्रदर्शन और मुनाफे को बढ़ाता है।
स्टेरिक-पी के साथ चक्रीय फॉस्फोरस अर्थव्यवस्था की ओर
कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए चक्रीय फॉस्फोरस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना जरूरी है। इसमें खाद, कम्पोस्ट और फसल अवशेषों जैसे जैविक स्रोतों से फॉस्फोरस को रीसायकल करना और उर्वरक के इस्तेमाल को सटीक बनाने वाली तकनीकों को अपनाना शामिल है। स्टेरिक-पी जैसी तकनीकों को अच्छे प्रबंधन के साथ जोड़कर, किसान फॉस्फेट खनिज पर निर्भरता कम कर सकते हैं, उत्पादन लागत घटा सकते हैं, और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
दुनिया भर में सरकारें और कृषि संगठन टिकाऊ फॉस्फोरस प्रबंधन की जरूरत को समझ रहे हैं। फॉस्फोरस के कुशल इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए नीतियां और प्रोत्साहन बनाए जा रहे हैं। शोधकर्ता फॉस्फोरस को रीसायकल करने, उर्वरक के इस्तेमाल को सटीक बनाने, और पारंपरिक उर्वरकों के जैविक विकल्प विकसित करने पर काम कर रहे हैं।
स्टेरिक-पी के साथ टिकाऊ खेती का सुरक्षित भविष्य
जैसे-जैसे दुनिया में खाद्य उत्पादन की मांग बढ़ रही है, पोषक तत्वों के कुशल प्रबंधन की जरूरत भी बढ़ती जा रही है। स्टेरिक-पी जैसी तकनीकों और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाकर, किसान न सिर्फ फसलों की पैदावार बढ़ा सकते हैं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा भी कर सकते हैं।
नई तकनीकों और जिम्मेदार प्रबंधन के जरिए, किसान फॉस्फोरस की पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सकते हैं, बर्बादी को कम कर सकते हैं, मिट्टी की उर्वरता बढ़ा सकते हैं, और वैश्विक खाद्य सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं। आने वाले समय में, स्टेरिक-पी जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कृषि में आम हो जाएगा, जिससे पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ खेती का भविष्य सुरक्षित होगा।
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