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कम्पनी समाचार (Industry News)

नई दिल्ली में CCFI की 62वीं वार्षिक आमसभा में नितिन गडकरी ने किया कृषि-रसायन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का आह्वान

26 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: नई दिल्ली में CCFI की 62वीं वार्षिक आमसभा में नितिन गडकरी ने किया कृषि-रसायन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का आह्वान – क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (CCFI) ने अपनी 62वीं वार्षिक आमसभा (AGM) का आयोजन नई दिल्ली में किया, जिसमें नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और किसान संगठनों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। बैठक का विषय था – “भारतीय कृषि-रसायन उद्योग की अगली पीढ़ी में विकास”। इस अवसर पर संघ के चुनाव भी संपन्न हुए, जिसमें डीपक शाह (चेयरमैन, एसएमएल लिमिटेड) को संघ का चेयरमैन पुनः निर्वाचित किया गया, जबकि राजेश अग्रवाल (प्रबंध निदेशक, इनसेक्टिसाइड्स इंडिया लिमिटेड) और ओमबीर सिंह त्यागी (उपाध्यक्ष, यूपीएल लिमिटेड) को उपाध्यक्ष चुना गया। यह पुनर्नियुक्तियाँ संगठन की निरंतरता और मजबूत नेतृत्व पर उद्योग जगत का विश्वास दर्शाती हैं।

मुख्य अतिथि, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने CCFI को बधाई देते हुए कहा कि कृषि भारत की आत्मनिर्भरता की यात्रा का केंद्रीय स्तंभ बनना चाहिए।

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गडकरी ने कहा, “भारत ने गन्ने से 1,400 करोड़ लीटर से अधिक एथनॉल का उत्पादन किया है और इसमें कोई समस्या नहीं आई। आज लगभग 20 प्रतिशत एथनॉल मक्के से बन रहा है और मक्का क्षेत्रफल में 20% की वृद्धि हुई है। इसकी कीमतें 1,200 रुपये से बढ़कर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कहीं अधिक है।” उन्होंने जोर दिया कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में कृषि का योगदान वर्तमान में 18% है जिसे बढ़ाकर 26% करना होगा ताकि भारत वास्तव में आत्मनिर्भर बन सके।

उन्होंने कहा कि भारत का कृषि-रसायन उद्योग 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का है और इसमें से 51% निर्यात होता है। यह गर्व की बात है लेकिन कच्चे माल की निर्भरता पर ध्यान देना आवश्यक है। “हमें केवल तैयार उत्पाद ही नहीं बल्कि कच्चे माल में भी आत्मनिर्भर बनना होगा। बेहतर पौध सामग्री, उच्च गुणवत्ता वाले नर्सरी, उन्नत किस्में और मिट्टी की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा। भारत 1.6 करोड़ टन से अधिक खाद्य तेल आयात करता है। हमें तेलहन अनुसंधान को बढ़ाना होगा और उत्पादन लागत घटाते हुए उत्पादकता बढ़ानी होगी ताकि हम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से खड़े हो सकें।”

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भारत के कृषि भविष्य की दिशा

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि आयुक्त पी.के. सिंह ने कहा, “भारत आज न केवल अपनी पूरी आबादी का पेट भरने में सक्षम है बल्कि दुनिया को भी निर्यात कर रहा है। लेकिन हमें 2047 के लिए आत्मनिर्भरता पर अभी से सोचना होगा। इसके लिए फसल विविधीकरण, राज्यवार अनुकूलित कृषि-रसायन और खाद्य सुरक्षा से पोषण सुरक्षा की ओर बढ़ना जरूरी है। उपभोक्ताओं की मांग अब फल, सब्ज़ियों, मोटे अनाज और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों की ओर बढ़ रही है।”

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उद्योग जगत और ‘मेक इन इंडिया’

डीपक शाह, चेयरमैन CCFI और एसएमएल लिमिटेड, ने मंत्री का स्वागत करते हुए कहा, “भारत का कृषि-रसायन उद्योग हर साल 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात करता है और घरेलू बाज़ार भी उतना ही बड़ा है। हम 600 अरब डॉलर के खाद्य उत्पादन में योगदान देते हैं। हमारे उत्पाद दुनिया में सर्वोत्तम माने जाते हैं और हमारे सदस्य ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विज़न को आगे बढ़ा रहे हैं।”

आर.डी. शॉफ, चेयरमैन एमेरिटस, CCFI, ने जोड़ा, “हमारे कृषि-रसायन क्षेत्र ने कम लागत वाले सर्वोत्तम नवाचार किए हैं जो दुनिया भर के किसानों की मदद कर रहे हैं। भारतीय निर्माता अनुसंधान और विकास में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं और वैश्विक स्तर पर विस्तार के लिए तैयार हैं। सबसे बड़े लाभार्थी हमारे किसान हैं जिन्हें सबसे कम कीमत पर उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं। यदि कुछ नीतिगत अपेक्षाओं को पूरा किया जाए, तो भारत के कृषि-रसायन निर्माता विश्व निर्यात में प्रभुत्व स्थापित कर सकते हैं।”

राजेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष CCFI और एमडी, इनसेक्टिसाइड्स इंडिया लिमिटेड, ने भारत को “अवसरों की भूमि” बताते हुए कहा, “140 करोड़ की आबादी में से 70 करोड़ युवा हैं। भारत की प्रगति को कोई नहीं रोक सकता। अनुसंधान और विनिर्माण में भारी निवेश ने हमें वैश्विक स्तर पर चैंपियन सेक्टर बना दिया है। जो हम उत्पादन करते हैं, वह न केवल घरेलू ज़रूरतें पूरी करता है बल्कि निर्यात की भी अपार संभावना है।”

नवाचार, स्थिरता और वैश्विक चुनौतियाँ

कोमल शाह भुखनवाला, निदेशक R&D, एसएमएल ग्रुप, ने कहा, “मिट्टी का स्वास्थ्य बिगड़ना और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से नाइट्रेट प्रदूषण भारत ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर बड़ी चुनौती है। जलवायु परिवर्तन से 20% तक फसल हानि हो रही है। उपभोक्ता अब टिकाऊ और स्वस्थ विकल्पों की मांग कर रहे हैं। कृषि में अगला बड़ा बदलाव जैविक उत्पादों, हरित रसायन, नई संरचनाओं और पोषण नवाचारों से आएगा, जो कृषि-रसायन उद्योग को नए सिरे से परिभाषित करेगा।”

किसानों की दृष्टि

कृष्णा बीर चौधरी, अध्यक्ष, भारतीय किसान समाज, ने कहा, “भारतीय कृषि बहुत आगे आ चुकी है। किसानों के पास आज सभी तरह के समाधान उपलब्ध हैं, जो वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सलाह पर आधारित हैं। हमारी घरेलू कृषि-रसायन उद्योग सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले और सबसे किफायती उत्पाद उपलब्ध कराती है। यहां तक कि बायो-स्टिमुलेंट्स को भी अब नियामक ढांचा मिल गया है, जो सतत कृषि के लिए समय की मांग है।”

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CCFI की 62वीं AGM ने न केवल दशकों की प्रगति का जश्न मनाया बल्कि भविष्य की राह भी तय की—ऐसी राह जो उत्पादकता और स्थिरता, प्रतिस्पर्धा और आत्मनिर्भरता, तथा खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए।

जैसा कि गडकरी ने रेखांकित किया, कृषि-रसायन उद्योग भारत के कृषि रूपांतरण का केंद्र बनेगा। मजबूत नवाचार, निर्यात क्षमता और नीतिगत समर्थन के बल पर यह क्षेत्र आने वाले दशकों में भारत को एक वैश्विक कृषि महाशक्ति बनाने में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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