National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

विदर्भ से फल-सब्जी निर्यात को बढ़ावा देने की भारी संभावनाएं : नितिन गडकरी

Share

19 जुलाई 2022, नई दिल्ली: विदर्भ से फल-सब्जी निर्यात को बढ़ावा देने की भारी संभावनाएं : नितिन गडकरी – भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र से फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने की भारी संभावना है।

“कृषि फसलों, फलों और सब्जियों के लिए निर्यात संभावना” विषय पर अमरावती, महाराष्ट्र में आयोजित एक आउटरीच कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, “ऊंचा निर्यात प्राप्त करने के लिए किसानों को कृषि में नवीनतम तकनीकों को अपनाना होगा और उन्हें नए शोध निष्कर्षों और नवीन कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए तैयार रहना होगा। जैसा कि महाराष्ट्र में नासिक के अंगूर उगाने वाले क्षेत्रों में किया गया है।”

खट्टे फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) द्वारा एग्रोविजन के सहयोग से किया गया था। श्री  गडकरी ने कहा कि जीआई टैग वाले नागपुर के संतरे अमरावती क्षेत्र में 70,000 हेक्टेयर से अधिक में उगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र से नागपुर के संतरों और अन्य खट्टे फलों के निर्यात की बड़ी संभावना है। उन्होंने बताया कि चूंकि नागपुर ऑरेंज एक जीआई उत्पाद है इसलिए इसे प्रीमियम पर भी बेचा जा सकता है। हालांकि उन्होंने वैज्ञानिकों से ये भी आग्रह किया कि उपज बढ़ाने, किस्मों में सुधार करने और मूल्यवर्धन हेतु इस क्षेत्र के लिए अनुसंधान एवं विकास किए जाने की ज़रूरत है।

गडकरी ने कहा कि जहां पिछले दो वर्षों में भारतीय मंडारिन संतरे का निर्यात दोगुना हो गया है, वहीं निर्यात में कई गुना वृद्धि सिर्फ जरूरी अनुसंधान और विकास और मूल्यवर्धन के जरिए ही हासिल की जा सकती है। 2019-20 में भारत से खट्टे फलों का निर्यात 329.32 करोड़ रुपये रहा और 2020-21 में ये 590.4 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। उसके मुख्य बाजार बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात और भूटान थे।

निर्यात बाजार को लक्ष्य करते वक्त जीआई टैग वाले नागपुर संतरे के लिए रोपण सामग्री के सही चुनाव पर गडकरी ने ख़ासा जोर दिया और आह्वान किया कि जैविक फसल उगाने के लिए अपना पूरा ध्यान केंद्रित करें। मंत्री महोदय ने किसानों और निर्यातकों से कहा कि पैकेजिंग के दौरान आयातक देशों के मानदंडों का पालन करें और खाद्य सुरक्षा पहलुओं में गुणवत्ता मानकों से समझौता किए बिना कृषि उत्पादकता को बढ़ाएं ताकि उनकी उपज की बेहतर प्राप्ति सुनिश्चित हो सके। उन्होंने ये भी उल्लेख किया कि कृषि रसायनों के छिड़काव के लिए ड्रोन तकनीक के उपयोग से मौजूदा कृषि पद्धतियों की तुलना में कृषि नुकसान को 70% तक कम किया जा सकता है। गडकरी ने कहा कि इसी तरह पैकेजिंग की अच्छी सामग्री के उपयोग से निर्यात के बाद हैंडलिंग से जुड़े मुद्दों को कम करने में भी मदद मिलती है।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में एफपीओ, एफपीसी, उद्यमी, स्टार्टअप, युवा उभरते उद्यमी, राज्य सरकार के अधिकारी, गैर सरकारी संगठन, सहकारिता और तकनीकी वैज्ञानिक शामिल हुए। तकनीकी सत्र में गुणवत्ता सुधार के मानकों, आयातक देशों के प्रोटोकॉल, नए तकनीकी विकास आदि के बारे में जानकारी साझा की गई।

महत्वपूर्ण खबर: सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह (18-24 जुलाई ) 

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *