किसानों के हित में सरकार नीतिगत परिवर्तन करे
किसानों के हित में सरकार नीतिगत परिवर्तन करे – श्री आर. जी. अग्रवाल ने एक विशेष सत्र में एग्रोकेमिकल्स उद्योग के विभिन्न पहलुओं और, समस्यों की और केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए अपने विचार व्यक्त किए. श्री अग्रवाल ने केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषि के तीन नए कानूनों का स्वागत किया. साथ ही पेस्टीसाइड बिल 2020 स्थाई समिति को विचारार्थ सौपने के लिए कृषि मंत्री का आभार भी व्यक्त किया.
4 लाख करोड़ की फसल हानि
श्री अग्रवाल ने चिंता जाहिर की कि अमानक और गुणवत्ता विहीन कीटनाशकों के उपयोग से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के मुताबिक 8 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत तक फसल की हानि होती है. इस प्रकार देश में कीट रोगों के कारण सालाना लगभग 4 लाख करोड़ रुपए का नुकसान आँका गया है. इससे देश की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा भी खतरे में आ जाती है.
पेस्टीसाइड उपयोग का स्तर
श्री अग्रवाल के अनुसार भारत में विश्व एवं अन्य देशों की तुलना में पेस्टीसाइड का उपयोग कम है. अभी देश के किसान केवल 500 ग्राम कीटनाशक प्रति हेक्टेयर में उपयोग करते हैं वहीं चीन -13 किलोग्राम/हेक्टर, जापान में 11.85 किलो/हेक्ट.कीटनाशक का उपयोग है. जहाँ भारत में 1083 मिमी वर्षा के साथ 142 मिलियन हेक्टर में खेती होती है, वहीं चीन में केवल 645 मिमी वर्षा और सिर्फ 128 मिलियन हेक्टेयर कृषि क्षेत्रफल है. हम ब्राज़ील, अर्जेंटीना, कनाडा की तुलना में भी कीटनाशक उपयोग में निचले क्रम पर हैं, जिसमें अभी बढ़ोतरी की काफी सम्भावना है.
डाटा सुरक्षा चिंता
नए प्रोडक्ट्स को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी प्रोटेक्शन के अभाव में डाटा सुरक्षा मुद्दों पर चिंता जाहिर करते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि भारत में बुनियादी शोध नहीं हो रहे हैं. हमारी निर्भरता बहुराष्ट्रीय और जापानी कंपनियों पर बड़ गई है जो नए मॉलिक्यूल के अनुसंधान पर 10-12 वर्ष और लगभग 2000 करोड़ रूपये खर्च करते हैं.
तंत्र को चुस्त बनाने की आवश्यकता
श्री अग्रवाल ने नकली और अमानक कीटनाशक निर्माताओं पर कड़ा प्रहार करते हुए शासन से इन पर कठोर कार्यवाही की मांग की, आपने स्पष्ट स्वरों में कृषि विभाग की 73 परीक्षण प्रयोगशालों की सीमाओं का जिक्र भी किया, जो एनएबीएल सर्टिफाइड भी नहीं हैं. एक जानकारी के मुताबिक 50 प्रतिशत कंपनियों के तो प्रोडक्ट सैंपल भी नहीं लिए जाते हैं. और रातों रात माल बेच कर गायब हो जाने वालों का तो जिक्र ही नहीं है. आशा है कि सही सैंपलिंग, नियमित इंस्पेक्शन, और तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त होगा तो उसका प्रत्यक्ष और परोक्ष लाभ किसानों को पहुंचेगा.
नीतिगत परिवर्तन हों
आपने केंद्र सरकार से नीतिगत परिवर्तनों की और संकेत करते हुए अपेक्षा की कि सेंट्रल इंसेक्टिसाइड बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी अपनी कार्य प्रणाली में समय के साथ संशोधन करे और इसका प्रमुख एक उच्च स्तर का वैज्ञानिक हो. साथ ही नए प्रोडक्ट का रजिस्ट्रेशन निर्धारित अवधि में हो. क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम को अपडेट किया जाए और नए रजिस्ट्रेशन के लिए नई गाइडलाइन्स का निर्धारण हो जिसमें निवेश, न्यूनतम, इंफ्रास्ट्रक्चर, क्षमता, और देश में इनकी आवश्यकता जैसे मानक भी शामिल हों. साथ ही कृषि में ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग के लिए गाइडलाइन्स जारी हों ताकि पेस्टीसाइड का उपयोग ड्रोन से हो सके और किसानों को आवश्यक सुरक्षा मिल सके. श्री अग्रवाल ने अपनी प्रस्तुति में पेस्टीसाइड मैनेजमेंट बिल 2020 के पुनरावलोकन का अनुरोध किया और इसमें उद्योग संगठनों, किसान संघों, नास, तास आदि संस्थाओं के वैज्ञानिक एवं शोध आधारित सुझावों को शामिल करने की मांग की. इन परिवर्तनों से इंडियन पेस्टीसाइड इंडस्ट्री एक चैंपियन सेक्टर के रूप में उभरेगा और वैश्विक बाजार के लिए एक हब की तरह स्थापित होगा. श्री अग्रवाल ने अपने संबोधन के अंत में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार से आशा व्यक्त की कि 140 मिलियन किसानों के हित में शासन द्वारा उचित निर्णय लिए जाएंगे.
2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था
संयुक्त राष्ट्र की आमसभा ने 2020 के प्लांट हेल्थ के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में अपनाया. ढ्ढङ्घक्क॥ का उद्देश्य इस बात पर वैश्विक जागरूकता बढ़ाना है कि कैसे पौध स्वास्थ्य की रक्षा करने से, भूख को समाप्त करने, गरीबी को कम करने, पर्यावरण की रक्षा करने और बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है.
- 5772 पंजीकृत कंपनियां
- 2403 पेस्टिसाइड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स
- 314 कंपनियों ने शासन को डाटा सबमिट किया
- 5458 कंपनियों ने जानकारी नहीं दी, नकली प्रोडक्ट बेचने की आशंका.