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धानुका एग्रीटेक और ICAR-CICR का किसान जागरूकता अभियान: वैज्ञानिकों ने बताए गुलाबी सुंडी से निपटने के उपाय

29 जुलाई 2025, नई दिल्ली: धानुका एग्रीटेक और ICAR-CICR का किसान जागरूकता अभियान: वैज्ञानिकों ने बताए गुलाबी सुंडी से निपटने के उपाय – कपास की फसल में गुलाबी सुंडी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए, धानुका एग्रीटेक लिमिटेड और आईसीएआर–सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कॉटन रिसर्च (CICR), क्षेत्रीय केंद्र सिरसा ने संयुक्त रूप से तीन दिवसीय किसान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया।

यह कार्यक्रम उत्तर भारत के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्रों –  श्रीगंगानगर (राजस्थान), अबोहर (पंजाब) और सिरसा (हरियाणा) में आयोजित किया गया। इसमें सैकड़ों कपास किसान, वैज्ञानिक और कृषि से जुड़े विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।

गुलाबी सुंडी नियंत्रण और टिकाऊ खेती पर ज़ोर

कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को गुलाबी सुंडी नियंत्रण की सर्वोत्तम तकनीकों के बारे में जानकारी देना और सतत कृषि को बढ़ावा देना था। हर दिन ICAR-CICR के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने गहन तकनीकी सत्र लिए और किसानों से सीधा संवाद किया।

नकली उत्पादों से सतर्क रहने की सलाह

कार्यक्रम में धानुका एग्रीटेक के चेयरमैन एमेरिटस डॉ. आर. जी. अग्रवाल ने मुख्य भाषण दिया। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे नकली कृषि इनपुट से सतर्क रहें और सिर्फ प्रमाणित उत्पाद ही खरीदें ताकि फसल और आय दोनों सुरक्षित रहे। उन्होंने जल संरक्षण को लेकर भी चिंता जताई और सभी हितधारकों से मिलकर काम करने की बात कही ताकि खेती को टिकाऊ बनाया जा सके।

गुलाबी सुंडी पर विशेषज्ञों की गहन जानकारी

डॉ. ऋषि कुमार, प्रमुख वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) और प्रभारी प्रमुख, ICAR-CICR सिरसा ने “कपास में कीट और उनका समेकित प्रबंधन (IPM)” विषय पर बात की और गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए व्यावहारिक समाधान बताए।

डॉ. एस. के. सैनी, प्रमुख वैज्ञानिक (पौध रोग विज्ञान) ने “कपास में रोग प्रबंधन” विषय पर जानकारी दी और बताया कि कीट प्रकोप के साथ अक्सर फंगल और बैक्टीरियल बीमारियाँ भी आती हैं।

उन्नत खेती के तरीकों पर जोर

डॉ. अमरप्रीत सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक (एग्रोनॉमी) ने “कपास की उन्नत कृषि पद्धतियाँ” विषय पर जानकारी दी। उन्होंने समय पर बुवाई, उचित पौधों की दूरी और पोषण प्रबंधन को कपास की सहनशीलता बढ़ाने में अहम बताया।

उत्तर भारत में कपास की स्थिति पर विशेषज्ञ की राय

डॉ. डी. मोंगा, पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष (पौध रोग), ICAR-CICR ने उत्तर भारत में कपास की स्थिति पर प्रकाश डाला। उन्होंने बड़े पैमाने पर फसल नुकसान से बचने के लिए समय पर उचित कदम उठाने की सलाह दी।

भविष्य की दिशा पर वैज्ञानिकों की बात

तकनीकी सत्र के अंत में डॉ. पी. के. चक्रवर्ती, धानुका एग्रीटेक के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और पूर्व एडीजी (प्लांट प्रोटेक्शन), ICAR ने “उत्तर भारत में कपास उत्पादन की दिशा” विषय पर बात की। उन्होंने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाधान अपनाने और सभी हितधारकों के सहयोग की ज़रूरत बताई।

कार्यक्रम के अंतिम दिन सिरसा (हरियाणा) में मुख्य अतिथि के रूप में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के कुलपति डॉ. बी. एस. काम्बोज शामिल हुए।
उन्होंने ICAR-CICR और धानुका एग्रीटेक द्वारा किसानों को जागरूक करने की इस संयुक्त पहल की सराहना की।

किसानों ने साझा किए अनुभव

कार्यक्रम के समापन पर इंटरएक्टिव सेशन रखा गया, जिसमें किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और खेत स्तर की समस्याओं पर विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया। इस कार्यक्रम ने न केवल गुलाबी सुंडी के प्रति जागरूकता बढ़ाई, बल्कि वैज्ञानिक जानकारी और जमीनी स्तर की खेती के बीच एक मजबूत सेतु भी स्थापित किया।

धानुका के नए उत्पादों की जानकारी भी दी गई

धानुका टीम ने 90 से ज्यादा कीट और रोग नियंत्रण उत्पादों की जानकारी दी, जो विभिन्न समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं। इस दौरान उन्होंने जापान की छह अग्रणी कंपनियों के साथ विकसित किए गए कुछ नए उत्पादों को भी पेश किया:
1. Decide – सभी चूसक कीटों और गुलाबी सूंडी के शुरुआती चरण पर असरदार
2. Konika – बैक्टीरियल या मिश्रित बॉल रॉट के लिए भरोसेमंद समाधान
3. Vitavax – प्रभावी बीज उपचार उत्पाद
4. Mycor Super – जैविक व पर्यावरणीय तनाव से निपटने वाला बायोस्टिमुलेंट
ये सभी उत्पाद केवल धनुका के माध्यम से उपलब्ध हैं और समय पर और सही तरीके से उपयोग करने पर बेहतरीन परिणाम देते हैं।

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