भारत में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए BASF और ICAR-CRRI की साझेदारी
27 अगस्त 2025, मुंबई: भारत में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए BASF और ICAR-CRRI की साझेदारी – BASF ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद – केंद्रीय धान अनुसंधान संस्थान (ICAR-CRRI) के साथ मिलकर भारत में जलवायु-स्मार्ट धान खेती को आगे बढ़ाने के लिए साझेदारी की है। ओडिशा और झारखंड में दो साल तक चलने वाले इस परीक्षण में ऑल्टरनेट वेटिंग एंड ड्राइंग (AWD) तकनीक का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और धान की पैदावार पर प्रभाव परखा जाएगा। इसका उद्देश्य वैज्ञानिक शोध को किसानों के व्यावहारिक अनुभव से जोड़ना है।
BASF एग्रीकल्चरल सॉल्यूशंस एशिया पैसिफिक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट सिमोन बार्ग ने कहा, “खेती में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए हमें नई तकनीकों और उपकरणों का साथ मिलकर मूल्यांकन करना होगा, ताकि जलवायु-स्मार्ट खेती को बढ़ावा दिया जा सके। ICAR-CRRI जैसे प्रमुख संस्थानों के साथ साझेदारी यह सुनिश्चित करती है कि हमारे समाधान विज्ञान पर आधारित हों और किसानों के लिए वास्तविक मूल्य दें।”
इस परीक्षण में हर्बिसाइड-टॉलरेंट (HT) धान बीजों की भूमिका का भी आकलन होगा। AWD पद्धति में खेतों को समय-समय पर सुखाया जाता है, जिससे मीथेन उत्सर्जन कम होता है और पानी की बचत होती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में मिट्टी में हवा बढ़ने से खरपतवार की समस्या बढ़ सकती है। HT धान बीज किसानों को इस चुनौती से निपटने में मदद करते हैं, जिससे पैदावार बनी रहती है और टिकाऊ खेती संभव होती है।
यह पहल एशिया पैसिफिक में BASF के वैश्विक कार्बन फार्मिंग कार्यक्रम का हिस्सा है। यह उन परिस्थितियों की पहचान करने में मदद करेगी जिनके तहत धान खेती में Verra की VM0051 कार्यप्रणाली के अनुरूप कार्बन फार्मिंग कार्यक्रम AWD अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर सकता है। इस परीक्षण का लक्ष्य BASF के वैश्विक उद्देश्य को आगे बढ़ाना है, जिसके तहत धान की खेती से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 30% तक कम करना है।
ICAR-CRRI के निदेशक डॉ. जी.ए.के. कुमार ने कहा, “यह सहयोग किसानों की आय बढ़ाने के बड़े अवसर खोलता है। इससे खेती की लागत घटेगी, सीमित पानी में धान उगाने की संभावना बढ़ेगी और भविष्य में धान के खेतों से मीथेन उत्सर्जन कम कर कार्बन ट्रेडिंग से अतिरिक्त लाभ कमाने का अवसर भी मिलेगा। ICAR-CRRI ने हर्बिसाइड-टॉलरेंट धान की दो किस्में – CR धान 807 और CR धान 812 – जारी की हैं, जो जलवायु के प्रति सहनशील भी हैं।”
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