जैन हिल्स पर ‘केला उत्पादक एवं निर्यातक सम्मेलन आयोजित किया गया
03 जुलाई 2024, जलगांव: जैन हिल्स पर ‘केला उत्पादक एवं निर्यातक सम्मेलन आयोजित किया गया – कृषि प्रक्रिया खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और जैन इरिगेशन सिस्टम्स लि. के संयुक्त तत्वावधान में गत दिनों जैन हिल्स जलगांव में ‘केला उत्पादक एवं निर्यातक सम्मेलन 2024-25’ आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि एपीडा के अध्यक्ष श्री अभिषेक देव थे। इस अवसर पर जैन इरीगेशन के उपाध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री अनिल जैन, संयुक्त प्रबंध निदेशक श्री अजीत जैन, एपीडा प्रबंधक विनीता सुधांशु, महाराष्ट्र एपीडा के श्री प्रशांत वाघमारे, बनाना ग्रोअर्स एसोसिएशन के श्री वसंत महाजन, श्री अमोल जावले, केला निर्यातक श्री आशीष अग्रवाल, किरण ढोके, केला विशेषज्ञ डाॅ. के बी पाटिल मंचासीन थे।
केले की गुणवत्ता और उत्पादन में भारत अग्रणी देश है। विश्व स्तर पर भारत की निर्यात हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है। हम प्रमुख निर्यातक देशों में 18वें स्थान पर हैं। निर्यात में हमसे छोटे देश आगे हैं। पिछले साल भारत का केला निर्यात 290.9 मिलियन डॉलर था। एपीडा के केला उत्पादकों और निर्यातकों के साथ जैन हिल्स में हुई बैठक में केले का निर्यात एक अरब तक कैसे बढ़ाया जाए और इसके लिए बुनियादी ढांचे, पैक हाउस, कोल्ड स्टोरेज, खेत से पैक हाउस तक सुरक्षित, तेज और कम लागत वाली परिवहन सुविधाओं के साथ फल देखभाल प्रबंधन के लिए किसानों को प्रशिक्षण देने पर भी चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि जलगांव जिला प्रमुख केला उत्पादकों में से एक है और इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बड़वानी, बुरहानपुर, नंदुरबार, धुले, सूरत, नर्मदा नगर आदि जिलों के केला उत्पादकों पर आधारित है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा होता है।
श्री देव ने आश्वासन दिया कि हम एक विशेष रिपोर्ट तैयार करेंगे और जलगांव जिले को देश के प्रमुख केला क्लस्टरों में से एक बनाने के लिए केंद्र सरकार से संपर्क करेंगे।श्री देव ने कहा, ‘हम जो खेत में पैदा करते हैं, क्या उसकी गुणवत्ता अच्छी है? इसके लिए क्या करना चाहिए, खाने वाले को यह समझना चाहिए कि वह जो खा रहा है वह कहां पैदा हुआ है। ग्लोबल गैप, जैन गैप तकनीक इसमें मदद करना चाह रही है। फलों की देखभाल प्रबंधन, सफाई, उत्पादन क्षमता बढ़ाना, अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार निर्यात योग्य केले के उत्पादन के लिए प्रयास करना, संपत्तियों का उनकी पूरी क्षमता से उपयोग करना। जैन इरिगेशन केला उत्पादकों के साथ-साथ फल और सब्जी निर्यातकों के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। सटीक प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से एक निर्यात योग्य उत्पाद प्राप्त किया जाना चाहिए। ईरान, इराक और खाड़ी देशों समेत रूस, यूरोप और अन्य देशों में केले के निर्यात का बड़ा अवसर है। उसके लिए ब्रांडिंग महत्वपूर्ण है।’
श्री अनिल जैन ने कहा, ‘पिता श्री भंवरलाल जैन ने गांधी तीर्थ बनाया, श्री गांधी ने ग्रामीण भारत में भविष्य देखा। गांधी जी के इन विचारों ने मेरे पिता को प्रभावित किया. जैन इरिगेशन अपने इस विचार को साकार कर रहा है कि ‘ग्रामीण विकास होगा तो भारत का विकास होगा’। छोटे किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए 1994 में केले पर शोध कर टिश्यू कल्चर तकनीक उपलब्ध कराई गई । जोड़ी ने ड्रिप सिंचाई, फर्टिगेशन, सटीक खेती, फसल देखभाल का बीड़ा उठाया है। इससे निर्यात योग्य केले का उत्पादन शुरू हुआ। समृद्धि और बढ़े हुए उत्पादन से किसानों में खुशहाली आई। तीस वर्षों में यह परिवर्तन सचमुच महात्मा गांधी के विचारों का प्रभाव कहा जा सकता है। केला स्वास्थ्य, रोजगार, विदेशी मुद्रा का महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके लिए गुणवत्तापूर्ण पौध और निर्यात योग्य किस्मों की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, साथ ही मूल्य श्रृंखला में सभी का सकारात्मक दृष्टिकोण निर्यात वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।’
विनीता सुधांशु ने कहा, ‘महाराष्ट्र में किसान इस तकनीक को अपनाने में सबसे आगे हैं। जैन इरीगेशन जैसे संगठन किसानों की आय बढ़ाने के लिए उच्च तकनीक के माध्यम से किसानों के साथ मजबूती से काम कर रहे हैं। एपीडा के परिचालन का विस्तार हो रहा है और 700 से अधिक उत्पादों में निर्यात संबंधी परिचालन चल रहा है। केले में, पिछले दस वर्षों में निर्यात हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि किसानों, निर्यातकों और जैन इरिगेशन के सहयोग से निर्यात की हिस्सेदारी और बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने इस बैठक के आयोजन का मकसद निर्यात बढ़ाने के लिए किसानों, निर्यातकों, सरकार और औद्योगिक संगठनों के बीच सामंजस्य बढ़ाना बताया।
किसानों और निर्यातकों के बीच हुआ खुला संवाद – श्री देव के साथ एपीडा के अधिकारियों ने किसानों और निर्यातकों के साथ सवाल-जवाब सत्र किया , जिसमें केंद्र सरकार को निर्यात बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से क्या करना चाहिए। इसमें निर्यात से संबंधित तकनीकी जानकारी किसानों को आसानी से उपलब्ध हो, किसानों को प्रशिक्षित किया जाए, फलों की देखभाल का प्रबंधन, पैकिंग हाउस, केला उत्पादन क्षेत्र और संचार किसानों के लिए सुविधाजनक हो, कोल्ड स्टोर का निर्माण, आंध्र प्रदेश की तर्ज पर सब्सिडी दी जाए। फलों की देखभाल के लिए जरूरी सामग्री, कार्प उन्मूलन के लिए छिड़काव जरूरी किसानों ने प्राथमिक स्तर पर सुझाव दिए कि दवाओं के लिए सब्सिडी योजना फिर से शुरू की जाए, केले के लिए आधार मूल्य एमएसपी की घोषणा की जाए। निर्यातकों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन को निर्यात पर नीति में ढील देनी चाहिए, ईरान, इराक और खाड़ी देशों में वित्तीय लेनदेन में बैंकिंग क्षेत्र में पारदर्शिता लानी चाहिए, 8 दिन के केले को 20 दिन तक बढ़ाने के लिए ग्रैंडेन की तुलना में नई किस्मों पर शोध करना चाहिए, इसके लिए सरकारी स्तर पर सहयोग करना चाहिए। नए बाजार, रूस, यूरोप को निर्यात सुझाव दिया गया कि स्थानीय स्तर पर कोल्ड स्टोर, स्कैनर उपलब्ध कराए जाएं, रेलवे स्टेशनों पर कंटेनर लोडिंग और प्लगिंग की व्यवस्था की जाए, गुणवत्ता के लिए पैकिंग में तकनीक ला दी जाए तो केले की गुणवत्ता में सुधार होगा। एपीडा की ओर से प्रशांत वाघमारे, प्रिंस त्रिपाठी एन एचबी, ईश्वर्या गुप्ता उपस्थित थे। बुरहानपुर, बड़वानी, नंदुरबार, जलगांव के लगभग 300 केला उत्पादक उपस्थित थे। मुख्य रूप से श्री आशीष अग्रवाल, श्री राजेंद्र पाटिल, श्री भागवत पाटिल, श्री प्रशांत महाजन, श्री विशाल अग्रवाल, श्री विशाल महाजन, श्री भागवत महाजन, श्री उमेश महाजन, श्री बी.ओ पाटिल, श्री अनिल पाटिल, निर्यातक श्री अमीर करीमी, श्री प्रशांत धारपुरे,श्री युवराज शिंदे, श्री महेश ढोके, श्री शफी शेख, श्री रवींद्र जाधव, श्री अनिल परदेशी, श्री प्रमोद निर्मल, डॉ. अजहर पठान समेत 20 निर्यातक मौजूद रहे।
कार्यक्रम में केला उत्पादक संघ की ओर से श्री डी.के. महाजन, श्री वसंतराव महाजन, श्री सचिन पाटिल, श्री ललित पाटिल, श्री संजीव देशमुख, श्री संतोष लचेरा, श्री प्रेमानंद महाजन, श्री दिगेंद्र सिंह भरूच को श्री देव ने सम्मानित किया। सम्मान स्वरूप केले का पेड़, शॉल, सुतिहार के साथ ट्रॉफी दी गई। परिचयात्मक एवं संचालन डाॅ. के बी पाटिल ने किया। भाग लेने वाले किसानों को प्रमाण पत्र दिए गए ।
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