भण्डार कीटों की रोकथाम
भण्डारण गृह को हानि पहुंचाने वाले कीटों का नियंत्रण
गतांक से आगे…
आटे की शलभ – इसे आटे की पतंगा या इंडियन मील मोथ भी कहा जाता है। यह आटे के अलावा चावल, गेहूं, ब्रेड, सोयाबीन, मूंगफली आदि को भी हानि पहुंचाता है। इसका सूंडी ही केवल हानिकारक होता है। मादा पर अंडे देती है। अंडे से निकालने के बाद सूंडी दानों के अंकुर को खा जाते हैं। ये दानों को चारों ओर से रेशमी धागों से बुन देते हैं। धागों का यह जाल वायु प्रवाह में बाधा डालता है जिससे दानों का तापमान बढ़ जाता है एवं उसमें कवक पैदा हो जाते हैं।
आरा घुन – यह भारत में सर्वत्र पाया जाता है। इस कीट के प्रौढ़ एवं सूंडी दोनों ही हानिकारक होते हैं। यह कीट पूर्ण दानों को नुकसान नहीं पहुँचाते, केवल कटे दानों या अन्य कीटों के द्वारा ग्रसित दानों को ही हानि पहुँचाते हैं। कभी-कभी ये दानों के अंकुर को भी खा जाते हैं।
चूहा- खाद्य पदार्थों को हानि पहुंचाने वाले जीवों में चूहे का स्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यह प्राय: सभी जगह नगरों, कस्बों तथा गांव में भण्डारों एवं खेतों दोनों जगह पाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय चूहा उन्मूलन समिति (राष्ट्रिय चूहा नियंत्रण समिती) के अनुसार चूहे प्रतिवर्ष 36 मिलियन टन खाद्यान्न नष्ट करते हैं। एक घरेलू चूहा लगभग 10 ग्राम खाद्य पदार्थ खाता है तथा इससे कई गुना अधिक अनाज बर्बाद करता है।
चूहा नियंत्रण के उपाय
|
आक्रमण होनेे से पहले रोकथाम –
- गहाई प्रांगण अन्नगार से दूर होना चाहिए एवं साफ हो।
- जहाँ तक संभव हो भण्डार-गृह पक्का एवं चूहा विरोधी हो तथा उनकी दीवारें नमी विरोधी हों और हवा के आवागमन के लिये खिड़कियाँ ऐसी हों कि उन्हें बाहर से बंद किया जा सके एवं खोला जा सके ताकि धूम्रण में कोई परेशानी न हो।
- यदि सुरक्षित तथा पक्का गोदाम उपलब्ध न हो तो किसी नमी विरोधी कमरे में भण्डार के लिये लकड़ी का चबूतरा बना लेें। यह चबूतरा जमीन से 50 सेमी. ऊँची तथा दीवारों से 50 सेमी. दूर होनी चाहिए।
- गोदामों की सारी दरारें, गड्ढे तथा छेद आदि सीमेंट से भर देनी चाहिए ताकि कीट उसमें शरण न ले सकें।
- पुराने गोदामों की सफाई करके ही उसमें अनाज रखा जाए एवं कूड़ा-करकट, भूसा आदि साफ करके बाहर जला दें।
- जहाँ तक संभव हो नये बोरे प्रयोग में लाने चाहिए। पुराने बोरों को प्रयोग करने से पहले उन्हें उलटकर गर्मियों की तेज धूप में कम से कम 6 घण्टे तक रखें अथवा 15 मिनट तक उबलते पानी में रखें ताकि सभी कीट मर जायें।
- अनाज को खलिहान से लाकर तेज धूप में इतना सुखायें कि उसमें नमी 8 से 10 प्रतिशत से ज्यादा न हो।
- भण्डारण से पहले अनाज को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए तथा जहाँ तक संभव हो एक गोदाम में एक ही प्रकार का अनाज भंडारित करें।
- यदि अनाज को बोरियों में भरकर रखना है तो नीचे पर्याप्त मात्रा में भूसे की तह बिछा दें, दीवारों से 50 सेमी दूरी पर रखें।
- यदि गोदामों के फर्श, छत अथवा दीवारों पर कीट रहने की संभावना हो तो उसके अनाज रखने से पहले निम्नलिखित दवाओं में से किसी एक के द्वारा उपचारित कर लेना चाहिए –
(क) मिथाईल ब्रोमाइड द्वारा 10 से 12 घण्टे तक 35 ग्राम प्रति घन मीटर स्थान की दर से धूम्रण करें।
(ख) 9 मिली. (0.3 प्रतिशत) मैलाथियान (50 ई.सी.) को 3 लीटर पानी में घोलकर प्रति 10 वर्ग मीटर के हिसाब से गोदाम के अंदर छिड़काव करें।
(ग) डी.डी.वी.पी. (डाइक्लोरोवॉस) 100 ई.सी. के 30 मिली. मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से गोदाम के अंदर छिड़काव करें। - पुराने बोरों को 1 प्रतिशत मैलाथियान के घोल में 10 मिनट डुबोयें तथा सुखाकर प्रयोग करें। इसके लिए 10 मिली. दवा को प्रति लीटर पानी में घोलें।
- खाने के लिये उपयोग में लाये जाने वाले अनाज को नीम सीड करनेल पाउडर या नीम की सूखी पत्तियों के साथ मिलाकर रखने से कीटों का आक्रमण कम होता है।
इसके लिये 100 किग्रा. अनाज में 1 किग्रा. नीम की मात्रा का प्रयोग करें। - बीज हेतु रखे जाने वाले अनाज को एल्युमीनियम फास्फाइड से उपचारित कर लें। इसके लिए एल्युमीनियम फास्फाइड की 2 गोलियॉं (6 ग्राम) प्रति 10 क्विं. अनाज की दर से प्रयोग करें।
- यदि अनाज में पहले से ही आक्रमण हो गया है तो उसे रखने से पहले ही उपचारित कर लें। इसके लिये ई.डी.सी.टी. मिश्रण की 37.5 मिली. मात्रा प्रति क्विंटल अनाज की दर से प्रयोग करें।
- कमलनारायण कोशले
- नारायण प्रसाद वर्मा
- नरेश कुमार
- Email: ghritlahrenaresh@gmail.com
भण्डारण गृह को हानि पहुंचाने वाले कीटों का नियंत्रण
गतांक से आगे…
आटे की शलभ – इसे आटे की पतंगा या इंडियन मील मोथ भी कहा जाता है। यह आटे के अलावा चावल, गेहूं, ब्रेड, सोयाबीन, मूंगफली आदि को भी हानि पहुंचाता है। इसका सूंडी ही केवल हानिकारक होता है। मादा पर अंडे देती है। अंडे से निकालने के बाद सूंडी दानों के अंकुर को खा जाते हैं। ये दानों को चारों ओर से रेशमी धागों से बुन देते हैं। धागों का यह जाल वायु प्रवाह में बाधा डालता है जिससे दानों का तापमान बढ़ जाता है एवं उसमें कवक पैदा हो जाते हैं।
आरा घुन – यह भारत में सर्वत्र पाया जाता है। इस कीट के प्रौढ़ एवं सूंडी दोनों ही हानिकारक होते हैं। यह कीट पूर्ण दानों को नुकसान नहीं पहुँचाते, केवल कटे दानों या अन्य कीटों के द्वारा ग्रसित दानों को ही हानि पहुँचाते हैं। कभी-कभी ये दानों के अंकुर को भी खा जाते हैं।
चूहा- खाद्य पदार्थों को हानि पहुंचाने वाले जीवों में चूहे का स्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यह प्राय: सभी जगह नगरों, कस्बों तथा गांव में भण्डारों एवं खेतों दोनों जगह पाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय चूहा उन्मूलन समिति (राष्ट्रिय चूहा नियंत्रण समिती) के अनुसार चूहे प्रतिवर्ष 36 मिलियन टन खाद्यान्न नष्ट करते हैं। एक घरेलू चूहा लगभग 10 ग्राम खाद्य पदार्थ खाता है तथा इससे कई गुना अधिक अनाज बर्बाद करता है।
चूहा नियंत्रण के उपाय
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आक्रमण होनेे से पहले रोकथाम –
- गहाई प्रांगण अन्नगार से दूर होना चाहिए एवं साफ हो।
- जहाँ तक संभव हो भण्डार-गृह पक्का एवं चूहा विरोधी हो तथा उनकी दीवारें नमी विरोधी हों और हवा के आवागमन के लिये खिड़कियाँ ऐसी हों कि उन्हें बाहर से बंद किया जा सके एवं खोला जा सके ताकि धूम्रण में कोई परेशानी न हो।
- यदि सुरक्षित तथा पक्का गोदाम उपलब्ध न हो तो किसी नमी विरोधी कमरे में भण्डार के लिये लकड़ी का चबूतरा बना लेें। यह चबूतरा जमीन से 50 सेमी. ऊँची तथा दीवारों से 50 सेमी. दूर होनी चाहिए।
- गोदामों की सारी दरारें, गड्ढे तथा छेद आदि सीमेंट से भर देनी चाहिए ताकि कीट उसमें शरण न ले सकें।
- पुराने गोदामों की सफाई करके ही उसमें अनाज रखा जाए एवं कूड़ा-करकट, भूसा आदि साफ करके बाहर जला दें।
- जहाँ तक संभव हो नये बोरे प्रयोग में लाने चाहिए। पुराने बोरों को प्रयोग करने से पहले उन्हें उलटकर गर्मियों की तेज धूप में कम से कम 6 घण्टे तक रखें अथवा 15 मिनट तक उबलते पानी में रखें ताकि सभी कीट मर जायें।
- अनाज को खलिहान से लाकर तेज धूप में इतना सुखायें कि उसमें नमी 8 से 10 प्रतिशत से ज्यादा न हो।
- भण्डारण से पहले अनाज को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए तथा जहाँ तक संभव हो एक गोदाम में एक ही प्रकार का अनाज भंडारित करें।
- यदि अनाज को बोरियों में भरकर रखना है तो नीचे पर्याप्त मात्रा में भूसे की तह बिछा दें, दीवारों से 50 सेमी दूरी पर रखें।
- यदि गोदामों के फर्श, छत अथवा दीवारों पर कीट रहने की संभावना हो तो उसके अनाज रखने से पहले निम्नलिखित दवाओं में से किसी एक के द्वारा उपचारित कर लेना चाहिए –
(क) मिथाईल ब्रोमाइड द्वारा 10 से 12 घण्टे तक 35 ग्राम प्रति घन मीटर स्थान की दर से धूम्रण करें।
(ख) 9 मिली. (0.3 प्रतिशत) मैलाथियान (50 ई.सी.) को 3 लीटर पानी में घोलकर प्रति 10 वर्ग मीटर के हिसाब से गोदाम के अंदर छिड़काव करें।
(ग) डी.डी.वी.पी. (डाइक्लोरोवॉस) 100 ई.सी. के 30 मिली. मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से गोदाम के अंदर छिड़काव करें। - पुराने बोरों को 1 प्रतिशत मैलाथियान के घोल में 10 मिनट डुबोयें तथा सुखाकर प्रयोग करें। इसके लिए 10 मिली. दवा को प्रति लीटर पानी में घोलें।
- खाने के लिये उपयोग में लाये जाने वाले अनाज को नीम सीड करनेल पाउडर या नीम की सूखी पत्तियों के साथ मिलाकर रखने से कीटों का आक्रमण कम होता है।
इसके लिये 100 किग्रा. अनाज में 1 किग्रा. नीम की मात्रा का प्रयोग करें। - बीज हेतु रखे जाने वाले अनाज को एल्युमीनियम फास्फाइड से उपचारित कर लें। इसके लिए एल्युमीनियम फास्फाइड की 2 गोलियॉं (6 ग्राम) प्रति 10 क्विं. अनाज की दर से प्रयोग करें।
- यदि अनाज में पहले से ही आक्रमण हो गया है तो उसे रखने से पहले ही उपचारित कर लें। इसके लिये ई.डी.सी.टी. मिश्रण की 37.5 मिली. मात्रा प्रति क्विंटल अनाज की दर से प्रयोग करें।
- कमलनारायण कोशले
- नारायण प्रसाद वर्मा
- नरेश कुमार
- Email: ghritlahrenaresh@gmail.com
भण्डारण गृह को हानि पहुंचाने वाले कीटों का नियंत्रण
गतांक से आगे…
आटे की शलभ – इसे आटे की पतंगा या इंडियन मील मोथ भी कहा जाता है। यह आटे के अलावा चावल, गेहूं, ब्रेड, सोयाबीन, मूंगफली आदि को भी हानि पहुंचाता है। इसका सूंडी ही केवल हानिकारक होता है। मादा पर अंडे देती है। अंडे से निकालने के बाद सूंडी दानों के अंकुर को खा जाते हैं। ये दानों को चारों ओर से रेशमी धागों से बुन देते हैं। धागों का यह जाल वायु प्रवाह में बाधा डालता है जिससे दानों का तापमान बढ़ जाता है एवं उसमें कवक पैदा हो जाते हैं।
आरा घुन – यह भारत में सर्वत्र पाया जाता है। इस कीट के प्रौढ़ एवं सूंडी दोनों ही हानिकारक होते हैं। यह कीट पूर्ण दानों को नुकसान नहीं पहुँचाते, केवल कटे दानों या अन्य कीटों के द्वारा ग्रसित दानों को ही हानि पहुँचाते हैं। कभी-कभी ये दानों के अंकुर को भी खा जाते हैं।
चूहा- खाद्य पदार्थों को हानि पहुंचाने वाले जीवों में चूहे का स्थान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। यह प्राय: सभी जगह नगरों, कस्बों तथा गांव में भण्डारों एवं खेतों दोनों जगह पाया जाता है। भारत में राष्ट्रीय चूहा उन्मूलन समिति (राष्ट्रिय चूहा नियंत्रण समिती) के अनुसार चूहे प्रतिवर्ष 36 मिलियन टन खाद्यान्न नष्ट करते हैं। एक घरेलू चूहा लगभग 10 ग्राम खाद्य पदार्थ खाता है तथा इससे कई गुना अधिक अनाज बर्बाद करता है।
चूहा नियंत्रण के उपाय
|
आक्रमण होनेे से पहले रोकथाम –
- गहाई प्रांगण अन्नगार से दूर होना चाहिए एवं साफ हो।
- जहाँ तक संभव हो भण्डार-गृह पक्का एवं चूहा विरोधी हो तथा उनकी दीवारें नमी विरोधी हों और हवा के आवागमन के लिये खिड़कियाँ ऐसी हों कि उन्हें बाहर से बंद किया जा सके एवं खोला जा सके ताकि धूम्रण में कोई परेशानी न हो।
- यदि सुरक्षित तथा पक्का गोदाम उपलब्ध न हो तो किसी नमी विरोधी कमरे में भण्डार के लिये लकड़ी का चबूतरा बना लेें। यह चबूतरा जमीन से 50 सेमी. ऊँची तथा दीवारों से 50 सेमी. दूर होनी चाहिए।
- गोदामों की सारी दरारें, गड्ढे तथा छेद आदि सीमेंट से भर देनी चाहिए ताकि कीट उसमें शरण न ले सकें।
- पुराने गोदामों की सफाई करके ही उसमें अनाज रखा जाए एवं कूड़ा-करकट, भूसा आदि साफ करके बाहर जला दें।
- जहाँ तक संभव हो नये बोरे प्रयोग में लाने चाहिए। पुराने बोरों को प्रयोग करने से पहले उन्हें उलटकर गर्मियों की तेज धूप में कम से कम 6 घण्टे तक रखें अथवा 15 मिनट तक उबलते पानी में रखें ताकि सभी कीट मर जायें।
- अनाज को खलिहान से लाकर तेज धूप में इतना सुखायें कि उसमें नमी 8 से 10 प्रतिशत से ज्यादा न हो।
- भण्डारण से पहले अनाज को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए तथा जहाँ तक संभव हो एक गोदाम में एक ही प्रकार का अनाज भंडारित करें।
- यदि अनाज को बोरियों में भरकर रखना है तो नीचे पर्याप्त मात्रा में भूसे की तह बिछा दें, दीवारों से 50 सेमी दूरी पर रखें।
- यदि गोदामों के फर्श, छत अथवा दीवारों पर कीट रहने की संभावना हो तो उसके अनाज रखने से पहले निम्नलिखित दवाओं में से किसी एक के द्वारा उपचारित कर लेना चाहिए –
(क) मिथाईल ब्रोमाइड द्वारा 10 से 12 घण्टे तक 35 ग्राम प्रति घन मीटर स्थान की दर से धूम्रण करें।
(ख) 9 मिली. (0.3 प्रतिशत) मैलाथियान (50 ई.सी.) को 3 लीटर पानी में घोलकर प्रति 10 वर्ग मीटर के हिसाब से गोदाम के अंदर छिड़काव करें।
(ग) डी.डी.वी.पी. (डाइक्लोरोवॉस) 100 ई.सी. के 30 मिली. मात्रा को प्रति लीटर पानी में घोलकर प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से गोदाम के अंदर छिड़काव करें। - पुराने बोरों को 1 प्रतिशत मैलाथियान के घोल में 10 मिनट डुबोयें तथा सुखाकर प्रयोग करें। इसके लिए 10 मिली. दवा को प्रति लीटर पानी में घोलें।
- खाने के लिये उपयोग में लाये जाने वाले अनाज को नीम सीड करनेल पाउडर या नीम की सूखी पत्तियों के साथ मिलाकर रखने से कीटों का आक्रमण कम होता है।
इसके लिये 100 किग्रा. अनाज में 1 किग्रा. नीम की मात्रा का प्रयोग करें। - बीज हेतु रखे जाने वाले अनाज को एल्युमीनियम फास्फाइड से उपचारित कर लें। इसके लिए एल्युमीनियम फास्फाइड की 2 गोलियॉं (6 ग्राम) प्रति 10 क्विं. अनाज की दर से प्रयोग करें।
- यदि अनाज में पहले से ही आक्रमण हो गया है तो उसे रखने से पहले ही उपचारित कर लें। इसके लिये ई.डी.सी.टी. मिश्रण की 37.5 मिली. मात्रा प्रति क्विंटल अनाज की दर से प्रयोग करें।
- कमलनारायण कोशले
- नारायण प्रसाद वर्मा
- नरेश कुमार
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