हरी पत्तेदार सब्जियां उगाएं
लेखक: लालसिंह, मुकेश सिंह, नरेन्द्र वासुरे, स्मिता अग्र्रवाल , राजेश जाटव, ap84455760@gmail.com
27 नवंबर 2024, भोपाल: हरी पत्तेदार सब्जियां उगाएं – हरी पत्तेदार सब्जियां हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारतवर्ष में उगाई जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक, मैथी एवं चौलाई प्रमुख है पोषण में इनकी महत्ता किसी से छिपी नहीं है, बच्चों के उत्तम विकास व विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां अधिक उपयोगी हंै इनमें प्रोटीन, वसा, विटामिन बी- विटामिन सी, एवं खनिज पदार्थ जैसे लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस एवं रेसा प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहता है। रेशेयुक्त सब्जियां सस्ती व आसानी से उपलब्ध होने के साथ-साथ भोजन को शीघ्र पाचनशील, स्वादिष्ट, संतुलित व पौष्टिक बनाने में मदद करती हैं।
भूमि:- हरी पत्तेदार सब्जियों की खेती सभी प्रकार की भूमि में आसानी से की जा सकती है किन्तु बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच.मान 6-7 एवं जल निकास की उचित व्यवस्था हो इनकी खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है।
उन्नत किस्में- पालक – पूसा भारती, आलग्रीन, पूसा ज्योति, पूसा हरित, जोबनेर-ग्रीन, एच. एस. 23 ।
मैथी– हिसार सोनाली, हिसार मुक्ता, पूसा अर्ली बंचि-, आर. एम.टी. -1, पूसा कसूरी।
लालसाग- पूसा लाल चौलाई, पूसा कीर्ति, पूसा किरण सलाद पत्ता: ग्रेट लेक, चाईनीज येलो ।
खाद व उर्वरक:- बुवाई से पूर्व 100 क्वि. अच्छी व सड़ी हुई गोबर खाद, 100 किलो ग्राम नत्रजन, 100 कि. ग्रा. फास्फोरस तथा 40 कि. ग्रा. पोटाश/हे. की दर से भूमि में मिलाकर बुवाई करें। प्रत्येक कटाई के बाद 25 कि. ग्रा. नत्रजन/हे. की दर से छिटक कर दें। इससे अधिक उपज प्राप्त होती है।
बुआई:-
फसल | कतार से कतार की दूरी | बीज से बीज की दूरी |
पालक | 20 सेमी. | 3-4 सेमी. |
मैथी | 20-25 सेमी | 3-4 सेमी. |
चौलाई (छोटी) | 20-25 सेमी | 4-5 सेमी. |
चौलाई (बड़ी) | 30-35 सेमी | 4-5 सेमी. |
बुआई विधि:- बीज बुवाई के लिए सर्वप्रथम क्यारियों में खाद डालकर अच्छी तरह से मिला दें और भुरभुरी कर लें। यदि नमी न हो तो बुआई के पहले क्यारियों में पलेवा या सिंचाई कर पर्याप्त नमी बना ले। तत्प्यचात बीजों की बुवाई करें । बीज 10-15 सेमी. की दूरी पर बनी लाइनों में बोयें। आवश्यकता से अधिक पौधों को निकाल दें । पत्तियों की कटाई करते समय यह ध्यान रखें कि कटाई जमीन की सतह से 3-5 सेमी. ऊपर से ही करें।
खरपतवार नियंत्रण:- क्यारियों से खरपतवार निकालकर क्यारी सदैव साफ -सुथरी रखनी चाहिए ताकि पौधों के बढऩे में कोई असुविधा न हो। यदि आवश्यकता पड़े तो समय-समय पर हल्की निंदाई – गुड़ाई भी करते रहे। इनसे पत्तियों की पैदावार -गुणवत्ता युक्त और अधिक प्राप्त होती है। तथा कीड़ों का प्रकोप भी कम होता है।
हरी पत्तेदार सब्जियों की बीज दर, बुवाई का उपयुक्त समय एवं कटाई: | ||
बीज दर /हे. | बुवाई का समय | पत्तियों की कटाई (कि.ग्रा.) |
पालक | 25-30 | सितम्बर-अक्टूबर |
विलायती पालक | 15-20 | सितम्बर-अक्टूबर |
मैथी (देशी) | 20-25 | सितम्बर-मध्य नवम्बर |
मैथी (कसूरी) | 10-15 | सितम्बर-मध्य नवम्बर |
चौलाई (छोटी) | 2-2.5 | फरवरी-मार्च |
चौलाई (बड़ी) | 5-7 | जून-जुलाई व फरवरी-मार्च |
सिंचाई:- सब्जियों की किस्म, मिट्टी की दशा व मौसम को ध्यान में रखकर समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए। रोपण किये गये पौधों की अपेक्षा पुराने पौधों को अपेक्षाकृत कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। वर्षा ऋतु के अधिक पानी को बाहर निकालने की भी पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। बीज की बुवाई सदैव नमीयुक्त स्थिति में करनी चाहिए। सूखे खेत में बीज की बुवाई करने या बीज की बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करने पर मिट्टी बैठ जाती है। और अंकुरण अच्छा नहीं होता हैं।
कटाई:- बुआई के 25-30 दिन बाद प्रथम कटाई करें, बाद में 15-20 दिन के अंतर पर कटाई करते रहे।
उपज:-
फसल | उपज क्विंटल/हे. | कटाई संख्या |
पालक | 100-150 | 4-8 |
मैथी | 80-100 | 3-5 |
चौलाई | 70-100 | 6-7 |
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: