Horticulture (उद्यानिकी)

सूरजमुखी से पाएं अच्छी उपज

Share
  • मदनलाल जोशी
  • वासुदेव गुर्जर
  • डा. ओमशरण तिवारी

22 फरवरी 2021, भोपाल। सूरजमुखी से पाएं अच्छी उपज सूरजमुखी की खेती प्रकाश असंवेदी तिलहनी फसल है जिसे पूरे वर्ष भर विभिन्न प्रकार की भूमियों में बोया जाता है केवल ज्यादा नमी व अधिक वर्षा वाले क्षेत्र को छोड़कर पूरे भारत वर्ष में लगाई जा सकती है। जायद में 15 फरवरी से मार्च अंत तक बोने से अच्छी उपज मिलती है। सूरजमुखी का रकबा देश में लगभग 4 लाख हेक्टर है। सूरजमुखी बीजों में 40 से 45 प्रतिशत तेल पाया जाता है तेल का रंग पीला, उत्तम महक व गुणवत्ता वाला होता है जो खाने में सबसे बढिय़ा माना जाता है।

भूमि : इसकी खेती हल्की से भारी भूमि में आसानी से की जा सकती है परंतु मध्यम भूमि सर्वोत्तम होती है अच्छे जल निकास वाली भूमि होना चाहिए।
खेत की तैयारी : रबी की फसल काटने के बाद एक मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दो जुताई देशी हल से खेत को भुरभुरा बना दें जिसके ऊपर से पाटा चलाकर समतल कर लें।

बुवाई का समय : जायद में बुवाई के लिए 15 फरवरी से मार्च अंत तक सर्वोत्तम होता है।

बीज की मात्रा एवं बोने की विधि : संकर बीज की मात्रा प्रति हेक्टर 4.5 किलोग्राम तथा उन्नत बीजों की मात्रा 10 किलोग्राम लगती है। बीज को बुवाई से पूर्व 4 से 6 घन्टे पानी से भिगोयें। बीज को 3-4 सेंटीमीटर की गहराई पर पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर तथा लाइन से लाइन की दूरी 60 सेंटीमीटर पर बोये। बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर दें जिससे अंकुरण अच्छा होता है।

बीज व किस्म का चुनाव : बीज हमेशा प्रमाणित संस्था राज्य या राष्ट्रीय बीज विकास निगम या विश्ववसनीय श्रोत से खरीदें। संकर किस्म के बीज को अगली वर्ष पुन: नहीं बोये।

उन्नत किस्में : मार्डन, जवाहर सूरजमुखी, ज्वालामुखी, दिव्यामुखी, जीकेएसएच-2002, जेएसएच-261, ईसी-68415 ।

खाद व उर्वरक : बुवाई के पूर्व खेत की तैयारी के समय अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद 8-10 टन मात्रा मिट्टी में मिला दें। सूरजमुखी की फसल को 174 किलोग्राम यूरिया, 375 किलोग्राम एसएसपी और 66 किलोग्राम तथा पोटाश तत्व प्रति हेक्टर मात्रा दें। जिसमें आधी मात्रा नत्रजन तथा फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा आधार खाद के रुप में दें तथा नत्रजन की आधी मात्र 30 दिन बाद खड़ी फसल में दे।

सिंचाई : गर्मियों में 8-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई आवश्यक है। साथ ही ध्यान रखें कि कली, डिस्क, फूल तथा दाना बनते समय नमी की कमी न हो।

आवश्यक कार्य

परागण हेतु पर्याप्त सख्ंया में मधुमक्खियां फसल की फूल अवस्था में नहीं आ रही हो तो पुष्प मुंडको में बीज का समुचित विकास नहीं हो पाता है । इसके निदान के लिये खुले फूलो के मुंडको को हल्के हाथ फेरने से यह कार्य अच्छा होगा इसके बीज का जमाव ज्यादा होगा तथा पैदावार में भी वृद्धि होगी पुष्प मुंडको में हाथ फेरने का कार्य 15 से 20 प्रतिशत फूल आने पर लगभग 15 दिन तक करंे।

खरपतवार व मिट्टी चढ़ाई : खेत को बुवाई के 60 दिन तक खरपतवार रहित रखना आवश्यक है। यदि खरपतवार की समस्या अधिक हो तो एलाक्लोर रसायन की 1.500 किलोग्राम मात्रा का घोल बुवाई के एक दिन बाद छिड़काव करें। तथा जब घुटने के बराबर फसल हो जाय तब पक्तियों में मिट्टी चढ़ा दें जिससे तेज हवा से पौधा गिरे नहीं।

कटाई एवं थ्रेसिंग : जल फूल मुण्डक पीला हो जाय तब उसे काट लें। यदि पूरे मुण्डाक एक साथ नहीं पक तो 3-4 बार करके काट लें। सूखने के बाद मंडाई करें तथा मंडाई के 100 दिन के अंदर तेल निकाल लें अन्यथा नमी के कारण तेल का स्वाद अच्छा नहीं रहेगा।

उपज : फसल की उपज 20-25 क्विंटल आसानी से ली जा सकती है।

कीट नियंत्रण : रस चूसक कीट जैसे हरा मच्छर, सफेद मक्खी, मोला, फुदका नियंत्रण के लिए मेटासिस्टाक्स 0.025 प्रतिशत या कार्बोरिल 0.02 प्रतिशत 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें। लाल मकड़ी नियंत्रण के लिए घुलनशील गंधक 3 ग्राम प्रति लीटर पानी या डायकोफाल 5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से, फल छेदक इल्ली नियंत्रण के लिए मेटासिस्टाक्स 0.025 प्रतिशत या कार्बोरिल 0.02 प्रतिशत 15 दिनों के अंतराल पर पुन: छिड़काव करें। 

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *