उद्यानिकी (Horticulture)

किसानों को चने की अच्छी कीमत मिलने के आसार

जबलपुर। जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कृषि अर्थशास्त्र एवं प्रक्षेत्र प्रबंध विभाग में बाजार असूचना सी-4 (372) नामक परियोजना चलायी जा रही है, जिसके अंतर्गत साप्ताहिक थोक मूल्य को एकत्रित कर विभिन्न अर्थमित्तीय तकनीकों (आर्च, गार्च एवं एरिमा) का उपयोग करके कटाई के समय चने की कीमतों का पूर्वानुमान लगाया गया। परियोजना में कार्यरत प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. पी.के. अवस्थी के अनुसार फरवरी एवं मार्च 2017 में चने की कीमत 4,400 रुपये प्रति क्विंटल से 4,600 रुपये प्रति क्विंटल के मध्य रहने की सम्भावना है, जो कि भारत सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य जो कि 3,425 रुपये प्रति क्विंटल है से तुलनात्मक रुप से काफी अधिक है। अत: कृषक अपनी सुविधानुसार फसल को बेचने व संग्रहित करने का निर्णय ले सकते हैं।
चना भारत की प्रमुख दलहनी फसलों में से एक है। चना उत्पादन में भारत का एकाधिकार है जहां विश्व का 75 प्रतिशत चना उत्पादन होता है। इस प्रकार भारत, ऑस्ट्रेलिया, टर्की, म्यांमार, पाकिस्तान तथा इथोपिया विश्व के प्रमुख चना उत्पादक देश हैं जहां 90 प्रतिशत से अधिक चना उत्पादन होता है। भारत में कुल दलहन उत्पादन में 45 प्रतिशत योगदान अकेले चने का है। यद्यपि उपभोग मांग अधिक होने के कारण हमारे देश में प्रमुख दलहन उत्पादक देशों से आवश्यकतानुसार चना तथा अन्य दलहन उत्पादन निर्यात किया जाता है। भारत में मध्यप्रदेश सबसे बड़ा चना उत्पादक राज्य है। जहां कुल उत्पादन में 40 प्रतिशत योगदान अकेले प्रदेश का है। राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश व अन्य चना उत्पादन राज्य हैं। जिनका देश में कुल चना उत्पादन में क्रमश: 14 प्रतिशत, 10 प्रतिशत, 9 प्रतिशत व 7 प्रतिशत संयुक्त योगदान है। प्रदेश में वर्ष 2015-16 में चने का क्षेत्र, उत्पादन व उत्पादकता क्रमश: 2621 हजार हेक्टेयर, 2297 हजार टन व 877 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही। मध्यप्रदेश में चने की बुवाई मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर में की जाती है तथा कटाई फसल के परिपक्व होने के पश्चात फरवरी-मार्च माह में की जाती है, जिसमें आमतौर पर 110 से 125 दिन का समय लगता है। विदिशा जिला को चना उत्पादन में अग्रिम स्थान प्राप्त है। इसकी प्रदेश में अकेले हिस्सेदारी 8 प्रतिशत है। इसके पश्चात सागर (6 प्रतिशत), रायसेन (6 प्रतिशत), नरसिंहपुर (5 प्रतिशत)  उज्जैन  (5 प्रतिशत), देवास (5 प्रतिशत), अशोकनगर (5 प्रतिशत), दमोह (5 प्रतिशत), राजगढ़ (4 प्रतिशत), सीहोर (4 प्रतिशत), शाजापुर (4 प्रतिशत), छतरपुर (3 प्रतिशत), गुना(3 प्रतिशत), धार (3 प्रतिशत), पन्ना (3 प्रतिशत) तथा शेष अन्य जिले (32 प्रतिशत) चने का उत्पादन करते हैं।

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