टमाटर की फसल को पिन वार्म से बचाएं: कृषि वैज्ञानिक
14 जनवरी 2025, शिवपुरी: टमाटर की फसल को पिन वार्म से बचाएं: कृषि वैज्ञानिक – शिवपुरी जिले की प्रमुख उद्यानिकी फसल टमाटर में इन दिनों बहुत ही तेजी से क्षति पिन वार्म कीट की समस्या कृषकों के प्रक्षेत्र पर लगे खेतों में दिखाई दे रही है। गत दिनों ग्राम रातौर के कृषकों सर्व श्री पदम सिंह धाकड़, मांगीलाल धाकड़, रामकुमार धाकड़, गेंदालाल एवं लवकुश धाकड़ के प्रक्षेत्र पर टमाटर फसल में समस्या निदानात्मक भ्रमण कृषि विज्ञान केन्द्र, शिवपुरी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया।
भ्रमण के दौरान विशेषज्ञों से परामर्श उपरांत टमाटर फसल में पिन वार्म कीट की समस्या पाई गई जिसके प्रबंधन एवं नियंत्रण के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र शिवपुरी के वैज्ञानिकों द्वारा सभी टमाटर उत्पादक कृषकों को परामर्श जारी किया गया है जिसमें सर्वप्रथम यह कीट फल, पत्ती एवं तनों पर क्षति पहुंचाते हुए वृद्धि करता है जिससे फल अनियमित आकार के टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं। इस कीट के लार्वा हरे एवं पके फलों को छेद कर देते हैं, फलों को दबाने पर रस निकलने के लक्षण दिखाई देते हैं। तीव्र प्रकोप की अवस्था में 60-70 प्रतिशत तक हानि पहुंचा सकता है। ऐसे फलों का बाजार मूल्य न के बराबर हो जाने से काफी आर्थिक क्षति होती है।
पहचान कैसे करें ? – पिन वार्म कीट जिसे टोमेटो लीफ माइनर जो सामान्य लीफ माइनर से अलग होता है। इसे अमेरिकन टमाटर पिन वार्म या दक्षिण अमेरिकी टमाटर कीट के नाम से जाना जाता है। इस कीट का वैज्ञानिक नाम टुटा एब्सोल्यूटा है जो लेपिडोरेटरा गण का होता है। इस कीट का लार्वा फलों को बहुत तेजी से क्षति कर नुकसान पहुंचाता है और खेत में वयस्क कीट भी चलने पर उड़ते हुए देखे जा सकते हैं।
कीट नियंत्रण एवं प्रबंधन के उपाय – सर्वप्रथम क्षतिग्रस्त फलों को खेतों में खुला न फेंके बल्कि ऐसे फल के ढेरों को मिट्टी में गड्ढा बनाकर दबा दें और कीटनाशक का छिड़काव भी कर दें। लाइट ट्रेप 1-2 प्रति बीघा में लगाएं जिससे कीटों के पतंगे लाइट से आकर्षक होकर नष्ट हो सकें। इस प्रक्रिया के लिए एक सामान्य बल्ब खेत में लगाकर उसमें नीचे टब या परात में पानी में जला हुआ इंजन ऑइल मिलाकर रखें जिससे कीट नष्ट हो सके। खेत पीला चिपचिपा प्रपंच (येलो स्टिकी ट्रेप) भी बीच-बीच में लगाएं तथा लाइट ट्रेप के नीचे रख दें जिससे कीटों की वंश वृद्धि रोकने में लाभ हो सके। टूटा कीट के नाम से बनी टूटा फेरोमोन ट्रेप 8-10 प्रति बीघा में लगाएं। स्वस्थ फलों की पहले तुड़ाई कर लें फिर कीटनाशक एजेडायरेक्टिन 5 प्रतिशत ई.सी. 2 मिली प्रति लीटर पानी के मान से या क्लोरएन्डीनिप्रोल 18.5 प्रतिशत एस.सी. 0.15 मिली प्रति लीटर पानी के मान से घोल बनाकर कम से कम 200 लीटर पानी के साथ प्रति बीघा में छिड़काव करें। 4-5 दिन बाद यही दवा का पुनः स्प्रे करें जिससे कीट का प्रभावी नियंत्रण हो सके। दवा डालने के उपरांत 10-12 दिनों तक फलों की तुड़ाई न करें जिससे अवशेष प्रभाव समाप्त हो सके।
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