बरसात में मचान विधि से कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती कर मुनाफा कमायें
17 जून 2021, भोपाल । बरसात में मचान विधि से कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती कर मुनाफा कमायें – खरीफ मौसम में कद्दूवर्गीय सब्जियों (लताओं वाली) की अगेती किस्मों को मचान विधि से खेती कर किसान अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैैं – सर्वप्रथम कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल प्राप्त करने हेतु नर्सरी तैयार करनी पड़ेगी तत्पश्चात मुख्य खेत में जड़ों को बिना नुकसान पहुंचाये रोपण किया जाता है यदि मुख्य खेत में कोई फसल लगी है तो इस बात का ध्यान रखेें कि उपरोक्त फसल की कटाई कब होनी है उसके 12-15 दिन पूर्व 15310 से.मी. के आकार की पॉलीथिन बैग में पौध तैयार करते हैं। मचान विधि से लौकी, करेला, खीरा, गिल्की आदि सब्जियों की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है इस विधि से खेती करने हेतु खेत में बांस या तार का जाल बनाकर सब्जियों की बेल को जमीन से ऊपर पहुॅंचाया जाता है।
- एक एकड़ क्षेत्रफल में मचान के लिए 8 फिट लम्बाई के 600 बॉंस, 20 कि.ग्रा. रेशा धागा, 15 कि.ग्रा. पतलातार तथा 10 कि.ग्रा. पतली रस्सी की आवश्यकता पड़ती है।
- मचान हेतु 10310 फीट की दूरी पर बॉंस गाड़ें।
- बॉंस के पास थाला बनाकर पौध का रोपण करें।
- बॉंस तीन वर्ष तक उपयोगी होता है।
- उपरोक्त विधि से खेती करने में लगभग रूपये 20,000/- प्रति एकड़ व्यय होता है और लाभ 80,000 से 1,00,000 तक होता है।
- मचान विधि से खेती करने से गुरूत्वाकर्षण बल के कारण लौकी, करेला, गिल्की, खीरा आदि के फल अच्छे आकार, स्वस्थ, स्वच्छ एवं शीघ्र तैयार हो जाते हैैं।
- कम जमीन, कम पानी, कम लागत से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है ।
- मचान पर कद्दूवर्गीय सब्जियां और नीचे प्याज, धनिया लगाकर मुनाफा कमाया जा सकता है।
- मचान विधि से 90 प्रतिशत सब्जियां खराब नहीं होती है।
- अत्याधिक वर्षा के दिनों में फल जमीन से लग कर सड़ जाते हैं और उनका आकार भी बदल जाता है, परन्तु मचान विधि से इससे होने वाली नुकसान से बचा सकते हैं।
- जमीन से होने वाली बीमारियों एवं कीटों से फसल सुरक्षित रहती है।
- मचान विधि से कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती कर उत्पादन में 30-35 प्रतिशत तक वृद्धि की जा सकती है।
कृषि विज्ञान केन्द्र, टीकमगढ़