PDPS योजना क्या है? जानें किसानों को इसका लाभ कैसे मिलता है
15 जनवरी 2025, नई दिल्ली: PDPS योजना क्या है? जानें किसानों को इसका लाभ कैसे मिलता है – भारत सरकार ने किसानों की आय सुनिश्चित करने और उन्हें फसल की सही कीमत दिलाने के लिए कीमत अंतर भुगतान योजना (Price Deficiency Payment Scheme – PDPS) शुरू की है। यह योजना किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और बाजार मूल्य के बीच के अंतर को भरने का वादा करती है। फसलों की भौतिक खरीद की पारंपरिक प्रणाली से अलग, यह योजना किसानों को सीधे उनके बैंक खातों में धनराशि स्थानांतरित करके सहायता प्रदान करती है।
यह योजना प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) का एक अहम हिस्सा है, जो किसानों की आय को बढ़ाने और उन्हें बाजार की अस्थिरताओं से बचाने के लिए विभिन्न योजनाओं को एकीकृत करता है। PDPS विशेष रूप से तिलहन (ऑयलसीड्स) के लिए तैयार की गई है, जिसमें किसानों को उनकी फसल की बिक्री पर आर्थिक सहयोग मिलता है।
किसानों को राहत देने वाली योजना
PDPS का मुख्य उद्देश्य किसानों को उस आर्थिक संकट से बचाना है, जो बाजार मूल्य के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम हो जाने पर उत्पन्न होता है। इस योजना के तहत, किसानों को उनकी फसल की भौतिक खरीद की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, सरकार MSP और वास्तविक बाजार मूल्य के बीच का अंतर सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर करती है। यह प्रक्रिया किसानों को फसल बेचने के तुरंत बाद पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करती है।
योजना की कार्यप्रणाली
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को नजदीकी कृषि उत्पाद विपणन समिति (APMC) मंडी में पंजीकरण करना होता है। पंजीकरण के दौरान, किसान अपनी फसल की जानकारी और क्षेत्रफल दर्ज कराते हैं। इसके बाद किसान अधिसूचित मंडी में अपनी फसल को बेचते हैं। यदि बाजार मूल्य MSP से कम होता है, तो सरकार उस अंतर को तय करती है और धनराशि किसानों के आधार लिंक्ड बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी जाती है।
किसानों के लिए पारदर्शिता और आसान प्रक्रिया
इस योजना की सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें फसल की भौतिक खरीद और भंडारण की आवश्यकता नहीं है। किसानों को केवल बाजार में अपनी फसल बेचनी होती है, और सरकार द्वारा तय की गई धनराशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जाती है। प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer – DBT) के माध्यम से पारदर्शिता और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित होता है।
योजना का विस्तार और कवरेज
PDPS के तहत पहले राज्य की कुल तिलहन उत्पादन का 25% तक कवर किया जाता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। यह कदम अधिक से अधिक किसानों को योजना के दायरे में लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। योजना के तहत किसानों को फसल बेचने के लिए तीन महीने का समय मिलता था, जिसे बढ़ाकर चार महीने कर दिया गया है। इससे किसानों को अपनी फसल बेचने और योजना का लाभ उठाने के लिए अधिक समय मिल सकेगा।
किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव
PDPS ने किसानों के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाए हैं। इस योजना से किसानों को फसल की सही कीमत मिलने लगी है। MSP और बाजार मूल्य के बीच का अंतर मिलने से किसानों को अपनी खेती के खर्चे निकालने और अपने परिवार के लिए बेहतर आर्थिक स्थिति बनाने का मौका मिलता है। साथ ही, यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देती है, क्योंकि सभी भुगतान डिजिटल माध्यम से किए जाते हैं।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि योजना अपने आप में प्रभावी है, लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं। किसानों को योजना के बारे में जानकारी देना और उन्हें पंजीकरण प्रक्रिया से अवगत कराना जरूरी है। इसके अलावा, बाजार मूल्य की सही निगरानी और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सुविधाओं का मजबूत होना भी योजना की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
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