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लाड़ली लक्ष्मी योजना: बेटियों के सशक्तिकरण में मध्यप्रदेश की बड़ी पहल

14 अक्टूबर 2024, भोपाल: लाड़ली लक्ष्मी योजना: बेटियों के सशक्तिकरण में मध्यप्रदेश की बड़ी पहल – मध्यप्रदेश सरकार की लाड़ली लक्ष्मी योजना ने राज्य में बेटियों की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। इस योजना के सफल क्रियान्वयन से अन्य राज्यों को भी प्रेरणा मिली है, जिससे देशभर में बेटियों के उत्थान के लिए नीतिगत सुधार हुए हैं।

लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत और उद्देश्य

लाड़ली लक्ष्मी योजना को 2007 में बेटियों के समग्र विकास को प्रोत्साहित करने और समाज में उनके प्रति सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को सशक्त बनाना है।

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वर्ष 2023-24 में इस योजना के तहत 935.8 करोड़ रुपये का खर्च हुआ है और औसतन हर साल 1000 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है। वर्ष 2027-28 में, जब योजना से जुड़ी लड़कियाँ 21 वर्ष की आयु पूर्ण करेंगी, तो 1313 करोड़ रुपये की राशि की आवश्यकता होगी।

अब तक 48 लाख 86 हजार से अधिक बालिकाओं का पंजीकरण हो चुका है और उन्हें 524.91 करोड़ रुपये की छात्रवृत्तियाँ दी जा चुकी हैं। 2024-25 में 1 लाख 21 हजार से अधिक लड़कियों का पंजीकरण हुआ है और उन्हें 48.88 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है।

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आने वाले वर्षों में वित्तीय बोझ

इस योजना के तहत जिन लड़कियों का 2007-08 में पंजीकरण हुआ था, वे 2027-28 में 21 वर्ष की आयु पूर्ण करेंगी। उनके लिए 1313 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। इसी प्रकार, 2028-29 में 1 लाख 86 हजार से अधिक बालिकाओं के लिए 3068 करोड़ रुपये का वित्तीय भार होगा।

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अन्य राज्यों में लाड़ली लक्ष्मी योजना का प्रभाव

मध्यप्रदेश की इस पहल को देखकर अन्य राज्यों ने भी बेटियों के लिए इसी तरह की योजनाएँ शुरू की हैं। दिल्ली सरकार ने लाड़ली योजना, उत्तर प्रदेश ने कन्या सुमंगला योजना और बिहार ने मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना चलाई है, जिनका उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।


लाड़ली लक्ष्मी योजना ने समाज में बेटियों के प्रति नकारात्मक सोच को बदलने में मदद की है। अब बेटियों को बोझ नहीं बल्कि भविष्य की शक्ति के रूप में देखा जा रहा है। इस योजना के चलते लिंग अनुपात में सुधार और लड़कियों के जन्म, शिक्षा और सुरक्षा को लेकर जागरूकता में भी वृद्धि हुई है।

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