गरमियों मे कम लागत में अधिक मूंग पाएँ
गरमियों मे कम लागत में अधिक मूंग पाएँ
खेत की तैयारी
रबी की कटाई के बाद दो-तीन बार हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा व नींदा रहित करें। पाटा लगाकर खेत को समतल करें।
बीज
उन्नत बीज का चुनाव, मात्रा व उपचार
शुद्ध, प्रमाणित, रोग मुक्त बीज का चलन करें। भंडारित बीज को साफ करके, अंकुरण परीक्षण करने के बाद बोने हेतु उपयोग में लायें।
बोनी के लिए क़िस्में
- के. 851, पीडीएम 139, पूसा बैसाखी, पूसा विशाल, जवाहर मूंग 131, टीजे एम – 3 सम्राट , किसी भी एक किस्म का 12-15 किलो बीज प्रति हेक्टर के हिसाब से उपयोग करें। ग्रीष्मकालीन मूंग की बोनी का उपयुक्त समय मार्च से अप्रैल का प्रथम पखवाड़ा है।
बीज उपचार
कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. तथा बीज की दूरी 10 सेमी रखें साथ ही बीज को 3-4 सेमी की गहराई पर लगाएं। बुवाई से पूर्व बीज को कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा द्वारा प्रति किलो बीज दर से उपचार करें ताकि बीज जनित रोगों से छु़टकारा मिल सके।
खाद व उर्वरक
मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करें। यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट व म्यूरेट ऑफ पोटाश की 50:375:30 किग्रा प्रति हेक्टेयर के मान से उपयोग करें। 100 किग्रा डीएपी के साथ 30 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश प्रति हेक्टर का उपयोग भी किया जा सकता है। बुवाई से पहले फफूंदनाशक से उपचारित बीज को राइजोबियम व पीएसबी कल्चर से भी उपचार करना चाहिए। 5 ग्राम कल्चर प्रति किग्रा बीज के मान से उपयोग किया जा सकता है।
सिंचाई
गर्मियों में फसल होने के कारण फसल को 5-6 सिंचाईयों की आवश्यकता पड़ती है। क्रांतिक अवस्था जैसे शाखा बनते समय, फलियां बनते समय तथा दाना भरते समय सिंचाई करना आवश्यक होगी।
पौध संरक्षण
मूंग की फसल में कई बार पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे बनते हैं जो फैलकर पूरे पौधे को झुलसा देती है। साथ ही भभूतिया रोग का प्रकोप होता है। इस रोग में पत्तियों पर सफेद चूर्ण जमा हुआ दिखता है। दोनों ही रोगों के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम की एक ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। मूंग की फसल पर फली बीटल, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, फली छेदक कीटों का प्रकोप होता है। इनके नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफॉस 400 मिली 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें।
उपज
मूंग की फलियां गुच्छों में लगती है तथा अधिकांश प्रजातियों में फल्लियां एक साथ नहीं पकती अत: 2-3 बार तोड़ाई पर पूरी फसल की फलियां तोड़ ली जाती हैं। मूंग के दानों को बैल चलाकर या डंडे से पीटकर अलग किया जाता है। पौध संरक्षण अपनाने पर 12-15 क्विंटल मूंग प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।