सिर्फ फसल ही नहीं, पत्ते और बीज भी बिकते हैं महंगे– जानिए सहजन की खेती का राज
12 दिसंबर 2024, भोपाल: सिर्फ फसल ही नहीं, पत्ते और बीज भी बिकते हैं महंगे– जानिए सहजन की खेती का राज – खेती के क्षेत्र में नवाचार और वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने से कैसे सफलता हासिल की जा सकती है, इसका जीता-जागता उदाहरण हैं गुजरात के खेड़ा जिले के दुधेलीलाट गाँव के किसान श्री प्रवीण भाई पटेल। पहले अरंडी, कपास और चना जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करने वाले श्री पटेल ने 10.7 हेक्टेयर भूमि में सहजन की आधुनिक खेती कर न सिर्फ अपनी किस्मत बदली, बल्कि आज वे करोड़ों की कमाई कर रहे हैं।
गुजरात राज्य में सहजन की मांग हमेशा अधिक रही है क्योंकि इसमें पोषण और औषधीय गुण प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए श्री पटेल ने भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, वासद के तकनीकी मार्गदर्शन में 10.7 हेक्टेयर भूमि पर सहजन की उन्नत किस्म पीकेएम-1 की खेती शुरू की।
वैज्ञानिक तकनीकों से शुरू की सहजन की खेती
श्री प्रवीण भाई पटेल ने वासद स्थित भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान केन्द्र का दौरा किया और सहजन की खेती में रुचि दिखाई। अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने उन्हें वैज्ञानिक उत्पादन तकनीकों की जानकारी दी और बताया कि कैसे बीज उत्पादन, नर्सरी लगाने, तने की कटिंग और पौधों की छंटाई जैसे उन्नत तरीकों से उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
श्री पटेल ने इन तकनीकों का उपयोग किया और तने की कटिंग का इस्तेमाल करके लागत कम करने का प्रयास किया। उन्होंने उर्वरक के सही उपयोग, सिंचाई के समय और पौधों की सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों की जानकारी भी ली। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए सहजन के प्रचार-प्रसार का तरीका भी सीखा।
कैसे हुआ करोड़ों का मुनाफा?
श्री पटेल ने 2008, 2016 और 2020 में क्रमशः 450, 1700 और 2580 सहजन के पौधे लगाए। आज उनकी 10.7 हेक्टेयर जमीन से हर साल करीब 100 टन ताजा सहजन की फली का उत्पादन हो रहा है। इन फलियों को कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, खेड़ा और वडोदरा जैसे बड़े शहरों में 35 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचा जा रहा है।
स्थानीय बाजारों जैसे कपड़वंज, नडियाद और बयाद में भी सहजन की भारी मांग है। श्री पटेल ग्रेडिंग की प्रक्रिया अपनाकर अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ा रहे हैं, जिससे कोलकाता और मुंबई जैसे बाजारों में उनकी “फिंगर साइज़” फली की अधिक मांग रहती है।
खेती की लागत प्रति हेक्टेयर ₹1,00,000 है जबकि सकल लाभ ₹3,00,000 प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गया है। इसका मतलब है कि हर हेक्टेयर पर श्री पटेल को ₹2,00,000 का शुद्ध लाभ हो रहा है। पूरे 10.7 हेक्टेयर खेत से वह हर साल करीब ₹20 लाख की कमाई कर रहे हैं।
श्री पटेल ने सहजन की फली के अलावा उसके पत्तों और बीजों से मूल्य-वर्धित उत्पाद बनाना भी शुरू कर दिया है। वे सहजन के पत्तों का पाउडर ₹129 प्रति 100 ग्राम और हेयर ऑयल ₹299 प्रति 50 मिली बेच रहे हैं। सहजन के बीज को ₹2000 प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं, थायलाकोइड बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड नामक एक चीनी कंपनी भी उपभोग के लिए उनसे सहजन की फली की गिरी खरीद रही है।
सफलता का मंत्र
श्री प्रवीण भाई पटेल की सफलता का असर केवल उनकी कमाई तक सीमित नहीं है। उनके इस प्रयास ने गाँव के 15 मजदूरों को स्थायी रोजगार भी दिया है। श्री पटेल न केवल खुद को समृद्ध कर रहे हैं, बल्कि छोटे और सीमांत किसानों को भी सहजन की खेती का मार्गदर्शन दे रहे हैं।
भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी की तकनीक को अपनाकर अब तक लगभग 150 किसानों ने सहजन की खेती शुरू कर दी है। इससे युवा किसान और सीमांत किसान भी खेती को लाभकारी और टिकाऊ व्यवसाय के रूप में अपनाने की दिशा में प्रेरित हुए हैं।
श्री पटेल का मानना है कि कृषि में नवाचार और वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर ही मुनाफा कमाया जा सकता है। उनका यह सफर छोटे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है, जो पारंपरिक खेती से बाहर निकलकर अधिक लाभदायक और उच्च मूल्य वाली फसलों की ओर बढ़ना चाहते हैं।
श्री प्रवीण भाई पटेल की कहानी यह दिखाती है कि यदि सही दिशा, सही मार्गदर्शन और मेहनत हो तो किसान भी करोड़पति बन सकते हैं। उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि कृषि में नवाचार और वैज्ञानिक सोच से न केवल आय बढ़ाई जा सकती है, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किए जा सकते हैं।
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