“ऑपरेशन सिंदूर” के नायक: किसान सरदान गोमा सिंह की कहानी
20 मई 2025, नई दिल्ली: “ऑपरेशन सिंदूर” के नायक: किसान सरदान गोमा सिंह की कहानी – जब भी हम “किसान” शब्द सुनते हैं, तो हमारी आंखों के सामने खेत में हल चलाता एक पुरुष या महिला आता है, जो अन्न उगाता है। लेकिन कभी-कभी किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि देश का रक्षक और सच्चा सिपाही भी बन जाता है। ऐसा ही एक नाम है – सरदान गोमा सिंह, जो आज किसानों के लिए एक प्रेरणा और गर्व का प्रतीक बन चुके हैं।
कौन हैं सरदान गोमा सिंह?
सरदान गोमा सिंह पंजाब के एक साधारण लेकिन साहसी किसान हैं, जो सीमावर्ती गांव में रहते हैं। सीमाओं पर बसे इन गांवों के लोग अक्सर अनदेखे रह जाते हैं, जबकि देश की सुरक्षा में उनका योगदान अभूतपूर्व होता है। गोमा सिंह ऐसे ही किसानों में से एक हैं, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’के समय भारतीय सेना को अपने घर का सहारा दिया — एक ऐसा कदम जो बहुत कम लोग उठाते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के समय लिया गया वीरता भरा निर्णय
जब पाकिस्तान के साथ तनाव चरम पर था और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सेना को सीमावर्ती इलाकों में रणनीतिक रूप से ठहरने की जरूरत थी, सरदान गोमा सिंह ने निःसंकोच अपना घर सेना को सौंप दिया। उन्होंने न केवल घर खाली किया, बल्कि अपने परिवार को दूसरी जगह शिफ्ट किया ताकि सेना को काम करने में कोई बाधा न आए।
कई बार लोगों को लगता है कि युद्ध और सुरक्षा केवल सेना का काम है, लेकिन सरदान गोमा सिंह जैसे किसान देश की रक्षा के समानांतर खड़े होते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि हर किसान केवल फसल नहीं उगाता, वह राष्ट्र की जड़ों को भी मजबूत करता है।
किसानों के प्रति उनकी सोच: देश की सेवा खेत से शुरू होती है
जब मीडिया ने उनसे पूछा कि उन्होंने अपना घर क्यों छोड़ा, उनका जवाब था, “जब सेना देश की रक्षा के लिए खड़ी है, तो हम किसानों का फर्ज है कि हम उनका साथ दें। मैं कोई बड़ा आदमी नहीं, लेकिन मेरा घर देश के लिए छोटा योगदान है।”
इस एक वाक्य ने किसानों की देशभक्ति, सेवा भावना और त्याग की भावना को उजागर कर दिया। गोमा सिंह उन लाखों किसानों की आवाज हैं जो न मिट्टी छोड़ते हैं, न देश।
सरकार और किसान संगठनों ने किया सम्मानित
हाल ही में दिल्ली में आयोजित किसान संगठनों की बैठक में, जब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरदान गोमा सिंह को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया, तो पूरा सभागार तालियों से गूंज उठा। यह सिर्फ एक सम्मान नहीं था, यह हर उस किसान का प्रतिनिधित्व था जो बिना शोर किए देश के लिए कुछ कर जाता है।
किसान संगठनों ने भी उन्हें “खेती और देश दोनों का रक्षक” बताते हुए ‘किसानों का हीरो’ कहा। पंजाब के खेतों से निकले इस सिपाही ने साबित कर दिया कि देशभक्ति सिर्फ वर्दी पहनकर नहीं होती, बल्कि मिट्टी से जुड़कर भी निभाई जाती है।
किसानों के लिए प्रेरणा
गोमा सिंह की कहानी हर युवा किसान के लिए एक संदेश है — खेत से लेकर सीमा तक, अगर इरादे मजबूत हों, तो योगदान किसी भी स्तर पर दिया जा सकता है। उन्होंने दिखा दिया कि किसानों को सिर्फ MSP और बारिश की चिंता नहीं होती, उन्हें अपने देश की चिंता भी उतनी ही होती है।
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