किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

मुनगा की खेती से हर साल कमा रहे 20 लाख रुपये, अब बना रहे हेयर ऑयल और पाउडर

18 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: मुनगा की खेती से हर साल कमा रहे 20 लाख रुपये, अब बना रहे हेयर ऑयल और पाउडर – कहते हैं, मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। गुजरात के खेडा जिले के दुधेलीलाट गांव के किसान प्रवीण भाई पटेल इस कहावत को साकार कर दिखाया है। पारंपरिक खेती से शुरुआत करने वाले प्रवीण भाई ने मुनगा (ड्रमस्टिक) की खेती को अपनाकर न केवल अपनी आर्थिक स्थिति बदली, बल्कि लाखों रुपये की कमाई का रास्ता भी खोल दिया। उनकी यह कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सही तकनीक और बाजार की समझ से खेती को कैसे लाभकारी बनाया जा सकता है।

पारंपरिक खेती से मुनगा की ओर रुख प्रवीण भाई पटेल के पास 10.7 हेक्टेयर जमीन थी, जहां वे रूढ़िगत तरीके से रेंडी, कपास और चना उगाते थे। लेकिन बदलते समय और बढ़ती जरूरतों ने उन्हें कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया। गुजरात में मुनगा की भारी मांग और इसके पौष्टिक व औषधीय गुणों को देखते हुए उन्होंने इसकी खेती शुरू करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने वासद स्थित ICAR-भारतीय मृदा और जल संरक्षण संस्थान (IISWC) के अनुसंधान केंद्र का रुख किया।

ICAR-IISWC के वैज्ञानिकों ने प्रवीण भाई को मुनगा की खेती के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें वैज्ञानिक तकनीकों की ट्रेनिंग दी। नर्सरी तैयार करने, बीज उत्पादन, तना कटिंग, छंटाई, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई और कीट नियंत्रण जैसे विषयों पर गहन मार्गदर्शन दिया गया। वैज्ञानिकों ने लागत कम करने के लिए तना कटिंग की सलाह दी और सोशल मीडिया के जरिए मुनगा के प्रचार की रणनीति भी सुझाई।

खेती का नया तरीका और शानदार नतीजे प्रवीण भाई ने 2008, 2016 और 2020 में क्रमशः 450, 1700 और 2580 मुनगा के पौधे (PKM-1 और सरगवी प्रजाति) लगाए। आज उनकी 10.7 हेक्टेयर जमीन से हर साल 100 टन ताजा मुनगा फली निकलती है, जिसे वे 35 रुपये प्रति किलो की दर से कोलकाता, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद, खेडा और वडोदरा जैसे शहरों में बेचते हैं। स्थानीय बाजारों जैसे कपडवंज, नडियाद और बायड में भी मुनगा की अच्छी मांग है।

बाजार की जरूरतों को समझते हुए प्रवीण भाई ने ग्रेडिंग पर ध्यान दिया। कोलकाता और मुंबई में उंगली के आकार की फलियां पसंद की जाती हैं, जबकि गुजरात के स्थानीय बाजारों में अंगूठे के आकार की फलियां ज्यादा बिकती हैं। इससे उनकी कीमत और बिक्री दोनों बढ़ी। उनकी खेती की लागत 1 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है, जबकि सकल आय 3 लाख और शुद्ध मुनाफा 2 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर है। इस तरह वे हर साल 10.7 हेक्टेयर से करीब 20 लाख रुपये कमा रहे हैं।

मुनगा से मूल्यवर्धित उत्पाद प्रवीण भाई ने मुनगा की खेती तक सीमित न रहकर इसके मूल्यवर्धित उत्पादों की ओर भी कदम बढ़ाया। उन्होंने मुनगा के पत्तों और बीजों से पाउडर और हेयर ऑयल बनाना शुरू किया। मुनगा पाउडर 129 रुपये प्रति 100 ग्राम और हेयर ऑयल 299 रुपये प्रति 50 मिलीलीटर की दर से बिक रहा है। इसके अलावा, वे मुनगा के बीज 2000 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं। एक चीनी कंपनी, थायलकॉइड बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, उनकी मुनगा फलियों के गूदे को खरीद रही है। प्रवीण भाई की सफलता ने आसपास के 150 छोटे और सीमांत किसानों को ICAR-IISWC की तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित किया है। उनकी खेती ने 15 मजदूरों को स्थायी रोजगार दिया है। वे छोटे किसानों को उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों की खेती के लिए मार्गदर्शन भी दे रहे हैं। उनकी कहानी युवा और संसाधन-सीमित किसानों के लिए एक मिसाल बन रही है, जो खेती को लाभकारी और टिकाऊ बनाना चाहते हैं।

खेती में तकनीक और बाजार की ताकत प्रवीण भाई की कहानी यह साबित करती है कि खेती में वैज्ञानिक तकनीक, बाजार की समझ और मेहनत का सही मिश्रण किसी भी किसान को मालामाल कर सकता है। मुनगा जैसी फसल, जो कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है, आज के समय में किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर है। प्रवीण भाई का यह सफर हर उस किसान के लिए प्रेरणा है, जो अपनी मेहनत को नए आयाम देना चाहता है।

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