Farmer Success Story (किसानों की सफलता की कहानी)

फसलों के सुरक्षा कवच ने लागत घटाई, किसानों की कमाई बढ़ाई

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  • (दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर)

17 जनवरी 2023, फसलों के सुरक्षा कवच ने लागत घटाई , किसानों की कमाई बढ़ाई –  वर्तमान में किसानों द्वारा आधुनिक तरीकों से खेती की जा रही है। मौसम के बदलाव और फसलों को कीटों से बचाने के लिए क्षेत्र में क्रॉप कवर का प्रचलन बढ़ा है। कसरावद तहसील के ग्राम अहीर धामनोद के श्री संजय गुलाबचंद राठौड़ और महेश्वर तहसील के ग्राम मोगांवा के श्री कमलेश पाटीदार ने अपने खेतों में क्रॉप कवर लगाया है। जिससे न केवल फसलों की सुरक्षा हुई है, बल्कि गुणवत्तायुक्त उपज की इन्हें अच्छी कीमत मिलने से कमाई भी बढ़ रही है।

श्री संजय राठौड़ ने कृषक जगत को बताया कि सबसे पहले अंजड़ की नर्सरी में पहली बार क्रॉप कवर लगा देखा था, तब से इसे लगाने का विचार आया था। शुरुआत में एक एकड़ में लगाया। इनके अलावा गांव के ही श्री रुपेश और  श्री शुभम  यादव द्वारा भी क्रॉप कवर लगाया गया है। श्री राठौड़ ने कहा कि क्रॉप कवर अलग -अलग आकार के मिलते हैं, जिसकी चौड़ाई तीन मीटर रहती है, जिसे ढांचा तैयार कर लगाया जाता है। एक एकड़ में लगाने की लागत 50 हजार रु से अधिक आती है। क्रॉप कवर लगाने से फसलों का ठंड/पाला, कीट प्रकोप और वायरस से बचाव हो जाता है। फसली भी गुणवत्तायुक्त निकलती है, जिसका मंडी में दाम भी अच्छा मिलता है। लागत कम लगने से मुनाफा बढ़ जाता है। श्री राठौड़ ने बताया कि फि़लहाल 3 एकड़ में हरी मिर्च, 2  एकड़ में करेले, 1 एकड़ में गिलकी और आधे एकड़ में शिमला मिर्च लगाईं है। इन्होंने  खुले में टमाटर भी लगाए हैं। इस साल की हरी मिर्च की तुड़ाई शुरू हो गई है। शिमला मिर्च की अभी बाकी है। 2 टन करेले 25-30 रु किलो के दाम पर बेच चुके हैं। सब्जियों को इंदौर मंडी के अलावा स्थानीय व्यापारियों को भी बेचा जाता है। इन्होंने पिछले साल  एक एकड़ में हरी मिर्च का 15 टन उत्पादन लिया था।

इसी तरह मोगांवा के श्री कमलेश पाटीदार अपने भाई श्री नरेंद्र पाटीदार के साथ मिलकर खेती करते हैं, जिसमें इन्हें कृषि स्नातक काका श्री पुरुषोत्तम पाटीदार की सलाह और सहयोग दोनों मिलता है। 2016 में उद्यानिकी विभाग के सहयोग से ड्रिप लाइन डाली और सब्जियों की खेती शुरू की।  गत तीन वर्षों से रबी में क्रॉप कवर लगाकर खेती कर रहे हैं। पहले साल एक एकड़  में क्रॉप कवर लगाया था, जो अब बढक़र 10  एकड़ तक पहुँच गया है। इस साल 5 एकड़ में मिर्च,1 एकड़ में टिंडा और 2 एकड़ में पहली बार खीरा लगाया है। श्री कमलेश ने क्रॉप कवर के फायदे गिनाते हुए कहा कि क्रॉप कवर के कारण कोई स्प्रे नहीं करना पड़ता है। इससे लागत में कमी आती है। फसल 40 दिनों के लिए सुरक्षित रहती है। वायरस और मौसम के बदलाव से भी  सुरक्षा मिल जाती है। सावधानी रखें तो एक बार लगाए क्रॉप कवर को तीन साल तक उपयोग किया जा सकता है। इस साल मिर्च की तुड़ाई अब शुरू होगी। गत वर्ष हरी मिर्च का उत्पादन 150  क्विंटल हुआ था। लागत काटने के बाद शुद्ध मुनाफा 6 लाख रु का हुआ। उद्यानिकी फसलों में महेश्वर ब्लॉक के उद्यान अधिकारी श्री डोडियार का सहयोग और सलाह मिलती रहती है। 

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