Editorial (संपादकीय)

ट्रैक्टर चलित बीज-खाद बुआई यंत्र

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भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहाँ 142.6 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर कृषि होती है। जिसमें 0.697 मिलियन हेक्टेयर पर कदन्न या मोटे अनाज की फसलों का उत्पादन किया जाता है, अधिकतर ये फसलें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, आन्ध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के छोटे और आदिवासी किसानों द्वारा उगाई जाती है। आज बदलते हुए जलवायु परिवर्तन को देखते हुए ऐसी फसलों को उगाना जरूरी है, जिन फसलों पर जलवायु परिवर्तन का विपरित प्रभाव कम से कम हो, उनमें से कुछ फसलें जैसे कोदो, कुटकी, सांवा, चीमा, कंगनी तथा रागी आदि।
देश में बढ़ते कुपोषण को कम करने के लिए ऐसी फसलों के उत्पादन करना अति आवश्यक हो गया है, जो पोषक तत्व से भरपूर खाने में स्वादिष्ट एवं फायदेमंद हो। कदन्न फसलों में ऐसे सभी गुण मौजूद है। कोदो एवं कुटकी का चावल मधुमेह के मरीजों के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इन्ही करणों से ऐसी फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देना आवश्यक हो गया है। कदन्न फसलें किसी भी तरह के वातावरण में, किसी भी प्रकार की मिट्टी में, कम से कम बारिश होने वाले क्षेत्र में तथा वह क्षेत्र जहां का तापमान कम अधिक होता है, वहां उगाये जा सकते हंै। ऐसा कहा जाता है कि वातावरण में हो रहे बदलाव के कारण गेहूं, धान तथा ज्वार जैसी फसलें प्रभावित हो सकती है। 1999 से 2006 तक, फसलें 44 प्रतिशत क्षेत्र में कदन्न फसलों को छोड़कर उगाई गई थी। यह भारतीय खाद्य प्रणाली को बहुत बड़ा घाटा है। यह सिर्फ  अच्छे उपकरणों के नहीं होने के कारण हो रहा है। कदन्न फसलों के उत्पादन तथा किसान के कमाई स्तर में वृद्धि, उन्नत औजारों का उपयोग करके की जा सकती है।
बीज छिड़काव पद्धति से बीज एक समान दूरी तथा गहराई पर नहीं बोये जाते तथा बीज का प्रसार भी अधिक हो जाता है। जिससे थिनिंग करने का खर्च अलग लग जाता है। ऐसी पद्धति बीज में ज्यादा खर्च तथा उत्पादन में कमी देती है। निदाई-गुड़ाई में अड़चने पैदा करती है, इस कारण सारी फसल बर्बाद होने के आसार रहते है।
इन सब बातों को गौर करते हुए केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने 6 कतारीय ट्रैक्टर चलित व्हर्टिकल रोटर टाइप बीज एवं खाद बुआई यंत्र विकसित किया है।
यह यंत्र कोदो, कुटकी, सांवा, कंगनी, चीमा तथा रागी जैसे छोटे आकार के बीज एवं खाद बोने के लिए उपयुक्त है। इस यंत्र के प्रमुख अंग 24 खांचे वाली व्हर्टिकल रोटर टाइप मेट्रिंग प्लेट (अलग अलग खांचों के आकार की) बीज तथा खाद के लिए, शॉफ्ट, 6 बीज तथा खाद पेटी, 2 चालक पहिए, तीन फरो ओपनर संवाहन नलिकों के साथ, दो चैन और स्प्रोकेट, थ्री पाइंट लिंकेज, फ्रेम है।
व्हर्टिकल रोटर टाइप मेट्रिंग प्लेट बीज तथा खाद के लिए अलग-अलग आकार के खांचे के साथ (एक ही शॉफ्ट पर एक कतार में एक दूसरे के विरोधी दिशा में फ्रेम पर फिक्स किये जाते है) शॉफ्ट के दोनो छोर पर चालक पहिए लगाए जाते है और उन पहिओं से शाफ्ट को शक्ति चेन तथा स्प्रोकेट द्वारा (1:2अनुपात) प्रदान की जाती है। जैसे हीं यंत्र जमीन पर आगे बढ़ता है चालक पहिए आगे की दिशा में घूमने लगते है और शॉफ्ट पर फिक्स मेट्रिंग प्लेट बीज तथा खाद वाले डिब्बे से बीज तथा खाद उठाकर बीज तथा खाद संवाहक नली के द्वारा जमीन पर फरो ओपनर द्वारा बनाए गए फरों में डाले जाते है।
निर्देश: यह मशीन भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नबी बाग, बैरासिया रोड, भोपाल के प्रोटोटाइप उत्पादन केन्द्र में उपलब्ध है।

ट्रैक्टर चलित छ: कतारीय व्हर्टिकल रोटर टाइप बीज तथा खाद बुआई यंत्र
इस मशीन से बुआई करने पर बीज 7.5 से 10 सेमी. दूरी पर और 1.5 से 2 सेमी. गहराई पर बोया जाता है। कदन्न फसलों के लिए खाद बोने की निर्धारित बेसल डोस के अनुसार 30 से 40 किग्रा/हे. खाद की मात्रा बोई जाती है। यह मशीन 80 से 90 प्रतिशत तथा 60 से 70 प्रतिषत, बीज छिड़काव विधि और कतार में बोने की विधि की तुलना में बीज बचाती है। इसकी कार्यक्षमता 0.30 से 0.40 हेक्टेयर प्रति घंटा तथा कार्यदक्षता 70 से 82 प्रतिशत पायी गयी है। इस यंत्र की कीमत रूपए 21700 है और बुआई का खर्च 950 से 1150 रूपए प्रति हेक्टेयर आता है। यह यंत्र छोटे आकार के बीज बोने के लिए उपयुक्त है यह यंत्र छोटे, मध्यम वर्ग तथा आदिवासी किसानों के लिए और कदन्न फसलों के यांत्रिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए, पैदावार तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए उपयुक्त पाया गया है।
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