पानी हो तभी लगाएं गर्मी में मूंग-उड़द
कृषि विभाग ने दी चेतावनी
(विशेष प्रतिनिधि) भोपाल। प्रदेश में हुई कम वर्षा की स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों को चेतावनी दी है कि पानी की पर्याप्त उपलब्धता हो तभी जायद में उड़द -मूंग लगाएं, अन्यथा फसल हानि के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी की उपलब्धता वाले किसान ग्रीष्मकालीन उड़द-मूंग लगा सकते हैं। उनके लिये विभाग द्वारा ब्लाक स्तर तक बीजों की व्यवस्था की गई है। |
प्रदेश में सामान्यत: साढ़े तीन से 4 लाख हेक्टेयर में जायद की फसलें ली जाती हैं। इसमें मूंग एवं उड़द की फसलें प्रमुख हैं। जानकारी के मुताबिक गत वर्ष 2016-17 में लगभग 3.45 लाख हेक्टेयर में जायद फसलें ली गई थीं तथा उत्पादन लगभग 5 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है।
प्रमुख किस्में – मूंग की उन्नत किस्मों में एमएच 421 जो 55 से 60 दिन में पक कर तैयार हो जाती है तथा पीला मोजेक रोधी है इसकी उत्पादकता 6-7 क्विंटल प्रति एकड़ है। इसके अलावा मूंग की आईपीएम-1,2, टीएम बी-37 एवं टी.जे.एम 3 किस्में हैं। इसी प्रकार उड़द की उन्नत किस्म मेस-479 एवं यू.एच.1 किस्मों का बीज उपलब्ध कराया गया है। |
इस वर्ष 2017-18 में सूखे एवं कम पानी की स्थिति को देखते हुए गत वर्ष की तुलना में जायद का रकबा घटने की संभावना है। वर्तमान में देर से बोए गए गेहूं की फसल खेतों में खड़ी है।
जानकारी के मुताबिक इस वर्ष जायद में रकबा 3 लाख हेक्टेयर से भी कम रहने की संभावना है। गत वर्ष लगभग 35 हजार हेक्टेयर में उड़द एवं 2.60 लाख हेक्टेयर में मूंग फसल ली गई थी तथा उत्पादन क्रमश: 46 हजार टन एवं 3 लाख टन होने का अनुमान है। कुछ जिलों में ग्रीष्मकालीन, मक्का एवं मूंगफली भी ली गई थी। प्रदेश में मुख्यत: होशंगाबाद जिले में गर्मी की मूंग एवं उड़द फसल ली जाती है। गत वर्ष एक लाख हेक्टेयर में मूंग एवं 2 हजार हेक्टेयर में उड़द ली गई थी। इस जिले के अलावा हरदा, बैतूल, विदिशा, सीहोर एवं दमोह में भी मूंग फसल ली जाती है। उल्लेखनीय है कि दलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार ने समर्थन मूल्य में बेतहाशा वृद्धि की है। इस वर्ष मूंग का समर्थन मूल्य 5575 रु. तथा उड़द का समर्थन मूल्य 5400 रु. प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। मध्य प्रदेश में चलाई जा रही भावांतर भुगतान योजना में भी मूंग एवं उड़द के मॉडल रेट क्रमश: 4530 रु. एवं 3300 रु. प्रति क्विं. तय किये गये हैं, जिन पर खरीदी की गई है और भावांतर की पाशि प्रदान की गई है।
पानी की कमी के कारण किसानों को सलाह दी गई है कि जल की उपलब्धता अनुसार ही मूंग-उड़द लगाएं। हालांकि बीजों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है फिर भी सावधान रहने की जरूरत है। पानी की वजह से रकबे में कमी आने की संभावना है। – मोहन लाल, संचालक कृषि (म.प्र.) |