संपादकीय (Editorial)

बुनियादी ढांचे और खेती पर केन्द्रित

बजट 2021 : प्रक्रिया-प्रकार

  • डॉ. सुभिता कुमावत, सहायक आचार्य (कृषि अर्थशास्त्र)
    कृषि महाविद्यालय, फतेहपुर-शेखावाटी, सीकर

22 फरवरी 2021, भोपाल । बुनियादी ढांचे और खेती पर केन्द्रित – वर्ष 1924 से लेकर वर्ष 1999 तक बजट फरवरी के अंतिम कार्यकारी दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता था। यह प्रथा सर बेसिल ब्लैकैट ने वर्ष 1924 में शुरु की थी इसके पीछे का कारण रात भर जागकर वित्तीय लेखा जोखा तैयार करने वाले अधिकारियों को आराम देना होता था। यशवंत सिन्हा ने वर्ष 2000 में पहली बार बजट सुबह 11 बजे पेश किया था।


ऐसे तैयार होता है बजट

सामान्य स्थिति में बजट निर्माण की प्रक्रिया सितंबर से शुरू हो जाती है। सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त निकायों को सर्कुलर भेजा जाता है, जिसके जवाब में विवरण के साथ उन्हें आगामी वित्तीय वर्ष के अपने-अपने खर्च, विशेष परियोजनाओं का ब्यौरा और फंड की आवश्यकता की जानकारी देनी होती है। यह बजट की रूपरेखा के लिए एक आवश्यक कदम होता है। वित्त मंत्रालय के अधिकारी नवंबर में रायसीना हिल्स पर नॉर्थ ब्लॉक में हितधारकों जैसे उद्योग संघों, वाणिज्य मंडलों, किसान समूहों और ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श शुरू करते हैं। सभी मिलकर टैक्स छूट और राजकोषीय प्रोत्साहनों पर बातचीत करते हैं।

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इस चरण में आगामी वर्ष की बड़ी संभावनाओं पर फोकस किया जाता है। हितधारकों के साथ आखिरी बैठक होती है, जिसमें खुद वित्त मंत्री अध्यक्षता करते हैं। योजनाओं में सत्तारूढ़ पार्टी के राजनीतिक झुकाव और उसके सहयोगी दलों की इच्छाओं के हिसाब से सुधार किया जाता है। वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी, विशेषज्ञ, प्रिंटिंग टेक्निशियन और स्टेनोग्राफर्स नॉर्थ ब्लॉक में एक तरह से कैद में रहते हैं और आखिरी के सात दिनों में तो बाहरी दुनिया से एकदम कट जाते हैं। संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी बजट बनाने वाली टीम की गतिविधियों और फोन कॉल्स पर नजर रखते हैं। वित्त मंत्री का भाषण एक सबसे सुरक्षित दस्तावेज होता है। यह बजट की घोषणा होने के दो दिन पहले मध्यरात्रि में प्रिंटर्स को सौंपा जाता है। सरकार को इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है। संसद के दोनों सदनों में बजट रखने से पहले इसे यूनियन कैबिनेट के सामने रखना होता है। वित्त मंत्री लोकसभा में बजट सुबह 11 बजे पेश करते हैं।

बजट क्यों पेश किया जाता है

बजट में केंद्र सरकार के 3 वर्ष के आय और व्यय का लेखा-जोखा होता है। वित्तमंत्री संसद में यह बताते हैं कि पिछले साल सरकार की आय और व्यय कितनी थी, वर्तमान वर्ष में कितनी है और अगले साल ‘आय और व्ययÓ कितनी होने की उम्मीद है।

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बजट के माध्यम से सरकार पूरे देश को यह बताती है कि वह जनता की कमाई का एक-एक पैसा योजनाबद्ध तरीके से इस्तेमाल कर रही है। बजट के माध्यम से ही देश की आर्थिक स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्शाया जाता है।

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बजट के प्रकार

केंद्रीय बजट दो प्रकार का होता है। पहला – रेलवे बजट जो रेलवे फाइनेंस का ब्यौरा देता है। जबकि दूसरा जनरल बजट होता है, जो पूरे साल सरकार के आय और व्यय का लेखा जोखा बताता है। पहले रेल बजट को अलग से पेश किया जाता था। लेकिन, अब रेल बजट भी साधारण बजट के साथ पेश किया जाता है।

बजट 2021

वित्त वर्ष 2021-22 के इस बजट को ‘आर्थिक वैक्सीन’ भी कहा है। यह देश का पहला पेपरलेस बजट है। सरकार ने डिजिटल बजट पेस कर लोगों को डिजिटल अपनाने का संदेश दिया है। सरकार ने राजकोषीय घाटे की चिंता नहीं करते हुए जीडीपी बढ़ाने पर पूरा ध्यान दिया है। यह बजट दूरगामी प्रभावों वाला है, जो विकास को धीमे धीमे गति देगा। बजट को छह स्तंभ मे बाटकर बुनियादी ढांचे और घरेलू व्यापार को बढ़ाकर आत्मनिर्भरता पर बल दिया है।

पहला स्तंभ हेल्थ एंड वेल बीइंग: स्वास्थ्य प्रथम अनिवार्यता है। स्वास्थ्य बजट में 135 पर्सेंट का इजाफा किया है और इसे 94 हजार से 2.38 लाख करोड़ किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वैक्सीनेशन के लिए विशेष प्रावधान किया है। इस मद में कुल 35 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सरकार ने बजट के जरिए आत्मनिर्भर स्वास्थ्य योजना का तोहफा देश के लोगों को दिया।

दूसरा स्तंभ भौतिक और वित्तीय पूंजी, और बुनियादी ढाँचा: यह स्तंभ विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने की जरुरत के अनुरूप है। प्रस्तावित प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम स्वागत योग्य है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के लिए एक लाख 18 हजार 101 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। रेलवे के लिए 1.10 लाख करोड़ की घोषणा की हैं इसमें मेट्रो और सिटी बस सेवा पर फोकस किया जाएगा।

तीसरा स्तंभ आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास: यह कृषि, प्रवासी श्रमिकों और वित्तीय समावेसन पर केन्द्रित है। ई-एनएएम के तहत 1.68 करोड़ किसानों का पंजीकरण किया गया है और 1.14 लाख करोड़ रुपये का व्यापार मूल्य हासिल हुआ है। इसके अलावा 100 और मंडियों को ई-एनएएम के अंतर्गत लाया जाएगा। एपीएमसी कृषि अवसंरचना कोष की सुविधा प्रदान की जाएगी जिससे वे बुनियादी सुविधाओं में वृद्धि कर सकेंगे। प्रवासी मजदूरों के लिए योजना में, एक देश एक राशन कार्ड के तहत मजदूर देश में कहीं से भी राशन ले सकेंगे।

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चौथा स्तंभ मानव पूंजी को मजबूत बनाना: इसके तहत 15,000 से ज्यादा विद्यालयों में गुणवत्ता की दृष्टि से सुधार किया जाएगा। 100 नए सैनिक स्कूल बनेंगे। हायर एजुकेशन कमीशन बनेगा। इसके लिए कानून में संशोधन किया जाएगा। 750 एकलव्स स्कूल बनाए जाएंगे।
पांचवा स्तंभ नवाचार और अनुसंधान एवं विकास: राष्ट्रीय शोध केंद्र के लिए 5 वर्षो मे 50,000 करोड़ का फण्ड एक अच्छी शुरुआत है।
छठा स्तंभ न्यूनतम सरकार व अधिकतम शासन: इस बार जो जनगणना होगी वो पूरी तरह डिजिटल होगी। इसके लिए 3,768 रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें संबंद्ध सेवाओं में सुधार, विवाद समाधान तंत्र और कल्याणकारी योजनाओं को शामिल किया गया है।

ये स्तंभ किसानों की आय दोगुनी करने, मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर, महिला सशक्तिकरण, स्वस्थ भारत, सुशासन, सभी के लिए शिक्षा, समावेशी विकास को मजबूत करेंगे। वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह बजट एक रूप में सुधारात्मक प्रयास हैै।

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