देश की रीढ़ है किसान
देश की रीढ़ है किसान
ये वास्तविक और सर्वविदित है कि हमारा देश कृषि प्रधान है। आज भी अधिकांश लोग अपनी जीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। हमारे आर्थिक विकास का सबसे मजबूत स्तम्भ कृषि ही है।मौजूदा दौर में कृषको की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। आज जब एक ओर सभी व्यावसायिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ी है। लोग बेरोजगार हो रहें है।तो वही दूसरी ओर हमारे कृषक दिन रात लगातार पसीना बहाकर देश को खाद्यान में आत्मनिर्भर और उन्नत बनाने में लगे है।
परंतु देश के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे कृषकों की दशा में अपेक्षित परिवर्तन नही हुआ है। अंग्रेजी शासन में हमारे कृषकों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी इसका कारण भी था कि उनका मूल उद्देश्य व्यवहार था न कि कृषि।आजादी के बाद कई कानून किसानों के हितों में बने परंतु वे वास्तविक धरातल पर अपना प्रभाव छोड़ पाने में पूरी तरह सफल नही हो सके। आज हमारे अन्नदाता चहुँओर से मार झेल रहे है,साहूकारों,प्राकृतिक आपदाओं,संसाधनों के व्यस्थापन,जमीन बंटवारे से छोटे होते खेतो के आकार,उर्वरकों का असंतुलित उपयोग के कारण घटती उर्वरा शक्ति,आधुनिक तकनीकी ज्ञान का अभाव की। कृषि कार्य को आज भी समाज मे दोयम दर्जे का माना जाता है यही कारण है कृषि विषय से पढऩे वाले भी इस कार्य में रुचि नही दिखाते।
कृषि के विकास का अंदाजा इस तथ्य से लगाना आसान है कि आजादी के पूर्व सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 50 प्रतिशत से भी अधिक था,जो वर्तमान में लगभग 15 प्रतिशत ही बचा है। इसमें कोई संदेह नही देश ने बहुत विकास किया है परंतु कृषि क्षेत्र में अपेक्षित विकास नही हो पाया है।एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र के लिए कृषि क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना अनिवार्य है,जिसमे देश की आधी से अधिक आवादी संलग्न है।देश की उन्नति का रास्ता गांवो से होकर ही निकलेगा,जब हमारे गांव आत्मनिर्भर बनेंगे तो राष्ट्र को बल मिलेगा।आज आवश्यकता है किसानों के तकनीकी ज्ञान को बढ़ाने की,स्थानीय समितियों के माध्यम से अच्छे बीज उपलब्ध कराने की,लघु सिंचाई योजनाओं पर कार्य करने की,ऑन लाइन खरीदी जैसे विकल्प की,राष्ट्रीय कृषि बाजार की,लागत और बाजार के अनुसार उचित मूल्य निर्धारण की,साथ ही कृषि आधारित लघु और कुटीर उद्योग जैसे-पशुआहार, हथकरघा, जैविक खाद निर्माण,पशुपालन आदि को बढ़ावा देने की जिससे किसानों के आर्थिक स्तर में बृद्धि हो सके नही तो ये बात सत्य होती प्रतीत हो रही है कि-
बढ़ती लागत ,घटते दाम।
कैसे हो खेती का काम।
- माधव पटेल हटा, दमोह
मो.: 9826231950