Editorial (संपादकीय)

अमरुद की खेती

Share

जलवायु और भूमि

अमरूद के लिए समशीतोष्ण जलवायु अच्छी मानी जाती है इसकी खेती गर्म तथा शुष्क व ठंडी हवा चलने वाले तथा कम या ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी तरह से की जा सकती है अमरूद की खेती लगभग सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती है फिर भी उपजाऊ बलुई दोमट भूमि उत्तम रहती है।

प्रजातियाँ

अमरूद की बहुत सी किस्में प्रचलित हैं जैसे की इलाहाबादी सफेदा,सरदार (लखनऊ -49), सेबनुमा अमरूद (एप्पल कलर ग्वावा), इलाहाबादी सुरखा, बेहट कोकोनट एवं ललित इलाहाबादी, सफेदा एवं सरदार इसी को लखनऊ -49 कहते हैं, अपने स्वाद एवं फलत के लिए विशेष तौर से विख्यात है।

खेत की तैयारी

इसके पौधे की रोपाई हेतु पहले 60 सेमी चौड़ाई, 60 सेमी लम्बाई, 60 सेमी गहराई के गड्ढे तैयार करके 20-25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद 250 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 40-50 ग्राम फालीडाल धूल ऊपरी मिट्टी में मिलाकर गड्ढों को भर कर सिंचाई कर देते हैं इसके पश्चात पौधे की पिंडी के अनुसार गड्ढे को खोदकर उसके बीचों बीच लगाकर चारों तरफ से अच्छी तरह दबाकर फिर हल्की सिंचाई कर देते हैं।

अमरुद की बागवानी पूरे देश में की जाती है देश के सभी लोग इस फल को बड़ी रूचि के साथ खाते हैं। पोषक गुणों में अमरुद बहुत ही अच्छा होता है बल्कि यह फल सेव से भी पोषक गुणों में अधिक अच्छा माना जाता है अमरुद में विटामिन सी अधिक मात्रा में पाया जाता है।

पौधरोपण

पौध रोपण के लिए जुलाई, अगस्त तथा सितम्बर माह को उपयुक्त मानते हैं जहां पर सिंचाई की समस्या नहीं होती है वहां पर फरवरी मार्च में भी रोपण किया जा सकता है। अमरूद के पौधों का लाईन से लाईन 5 मीटर तथा पौधे से पौधे 5 मीटर अथवा लाईन से लाईन 6 मीटर और पौधे से पौधे 6 मीटर की दूरी पर रोपण किया जा सकता है।

खाद और उर्वरक 

पौधा लगाने से पहले गड्ढा तैयार करते समय प्रति गड्ढा 20 से 25 किग्रा सड़ी गोबर की खाद डालकर तैयार गड्ढे में पौध लगते हैं इसके पश्चात प्रति वर्ष 5 वर्ष तक इस प्रकार की खाद दी जाती है जैसे कि एक वर्ष की आयु के पौधे पर 15 किलोग्राम गोबर की खाद, 260 ग्राम यूरिया, 375 ग्राम सुपर फास्फेट तथा 500 ग्राम पोटेशियम सल्फेट इसी प्रकार दो वर्ष के पौधे के लिए 30 किलोग्राम गोबर की खाद, 500 ग्राम यूरिया, 750 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 200 ग्राम पोटेशियम सल्फेट तीन साल के पौधे के लिए 45 किलोग्राम गोबर की खाद, 780 ग्राम यूरिया, 1125 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 300 ग्राम पोटेशियम सल्फेट और चार साल के पौधे के लिए 60 किलोग्राम गोबर की खाद, 1050 ग्राम यूरिया, 1500 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 400 ग्राम पोटेशियम सल्फेट इसी तरह से पांच साल के पौधे के लिए 75 किलोग्राम गोबर की खाद, 1300 ग्राम यूरिया, 1875 ग्राम सुपर फास्फेट एवं 500 ग्राम पोटेशियम सल्फेट की आवश्यकता पड़ती है। संस्तुति खाद की मात्रा पेड़ की आयु के अनुसार दो भागों में बांटकर एक भाग प्रति पेड़ जून में दूसरा भाग अक्टूबर में तने से एक मीटर की दूरी पर चारों ओर वृक्षों के छत्र के नीचे किनारों तक डालें इसके पश्चात तुरंत सिचाई कर दें।

जल प्रबंधन

अमरुद उत्पादन में सिंचाई पर ध्यान देना अतिआवश्यक है। छोटे पौधे की सिंचाई शरद ऋतु में 15 दिन के अंतराल पर तथा गर्मियों में 7 दिन के अंतराल पर करें लेकिन बड़े होने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

खरपतवार प्रबंधन

अमरुद के उत्पादन में प्रारम्भ में सधाई क्रिया पेड़ों की वृद्धि सुंदर और मजबूत ढांचा बनाने के लिए की जाती है शुरू में मुख्य तना में जमीन से 90 सेमी की ऊंचाई तक कोई शाखा नहीं निकलने दें इसके पश्चात तीन या चार शाखायें बढऩे दी जाती है इसके पश्चात प्रति दूसरे या तीसरे साल ऊपर से टहनियों को काटते रहें जिससे कि पेड़ों की ऊंचाई अधिक न हो सके यदि जड़ से कोई फुटाव या कल्ला निकले तो उसे भी काट दें।

फसल कटाई

अमरूद के फलों की तुड़ाई कैंची की सहायता से थोड़ी सी डंठल एवं एक दो पत्ते सहित काटकर करें। खाने में अधिकतर अधपके फल पसंद किये जाते हैं। तुड़ाई दो दिन के अंतराल पर करें।

पैदावार

पौधे लगाने के दो वर्ष बाद फल मिलना प्रारम्भ हो जाते हैं पेड़ों की देखरेख अच्छी तरह से की जाय तो पेड़ 30 से 40 वर्ष तक उत्पादन की अवस्था में बने रहते हैं उपज की मात्रा किस्म विशेष जलवायु एवं पेड़ की आयु अनुसार प्राप्त होती है फिर भी 5 वर्ष की आयु के एक पेड़ से लगभग 400 से 600 तक अच्छे फल प्राप्त होते हैं।

  • सत्येन्द्र कुमार गुप्ता 
  • ओमप्रकाश राजवाड़े

इन्दिरा गांधी कृषि वि.वि., रायपुर (छग)
gupta.ansh1992@gmail.com

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *