Editorial (संपादकीय)

बैंकों के सहयोग, वानिकी के विस्तार और मज़बूत पशुपालन कर बढ़ाया जा सकता है रोजगार

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बैंकों के सहयोग, वानिकी के विस्तार और मज़बूत पशुपालन कर बढ़ाया जा सकता है रोजगार

बैंकों के सहयोग, वानिकी के विस्तार और मज़बूत पशुपालन कर बढ़ाया जा सकता है रोजगार – वैश्विक महामारी कोविड -19 के चलते पूरे विश्व में बेरोजगारी फैल गई है ।लोगों के सामने रोजी-रोटी की विकराल समस्या खड़ी हो गई है ऐसे में कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है फिर भी बैंक ,विद्युत ,वन एवं पशुपालन के क्षेत्र में कुछ नियमों में बदलाव कर रोजगार के अवसर पैदा कर कुछ हद तक इस समस्या से निजात पाई जा सकती है

बैंक में वे सभी प्रकार की प्रॉपर्टी जिनकी रजिस्ट्री हो सकती है अथवा क्रय विक्रय हो सकता है उनको मार्गेज कर के लोन मिलना चाहिए । यदि उन प्रॉपर्टीयों का डायवर्सन नहीं है तो उन पर लोन की राशि अनुपात में कुछ कम हो सकती है। एग्रीकल्चर जमीन पर भी व्यापार आदि के लिए लोन मिलना चाहिए। इस बदलाव से अनेक लोगों को व्यापार करने का मौका मिलेगा। बैंक नियमों में एक और बदलाव की जरूरत है कि अगर कुछ लोगों के खाते एनपीए हुए हैं और उनकी कोई विशेष मजबूरी रही है तो उसमें ध्यान रखकर ,जांच पड़ताल कर उनके खाते समायोजित कर दे । उन्हें उनकी प्रॉपर्टी के आधार पर और लोन दिया जाना चाहिए ,उसमें एनपीए पर ब्याज में भी विशेष राहत मिलना चाहिए।

इससे बैंकों के एनपीए लोन भी वापस आएंगे और लोगों को व्यवसाय भी मिल जाएगा वैसे भी एनपीए लोन में समझौता करके बहुत सारी धनराशि छोड़ देते हैं। रेगुलर करने में भी वह छूट मिलना चाहिए इससे बैंकों का भी लाभ होगा ।सरकार कोइस नियम में बदलाव कर कर बैंकों को आदेश देना चाहिए ।इससे नौजूदा उद्योगों का कठिन परिस्थितियों में संचालन। आसान होगा और लोगों को रोजगार मिल सकता है ।

इसी प्रकार कृषि के लिए बिजली के नियमों में बदलाव की आवश्यकता है । कृषि कार्य हेतु जो बिजली 8 से 10 घंटे दी जाती है, उसके साथ 24 घंटे वाली बिजली भी मिलना चाहिए ।उसके रेट आज 8 से10 घंटे वाली बिजली से 3 4 गुना अधिक हो सकते हैं या उनको मीटर लगाकर भी बिजली दी जा सकती है परंतु उसमें बिजली के रेट सही रूप से तय होना चाहिए इसमें एचटी कलेक्शन भी है परंतु उसके रेट बहुत ज्यादा है उन पर भी ध्यान देकर ठीक करना चाहिए एवं कृषि उत्पादन से कोई वस्तु बनाने यह कारखानों को भी बिजली कृषि के रेट पर ही मिलना चाहिए जैसे गोबर गैस प्लांट ,नमकीन बनाने के कारखाने, खाद्य सामग्री का निर्माण करने वाली इकाइयां, दूध डेयरी दूध से मिठाई बनाने वाले कारखाने आदि पर ध्यान देने से रोजगार में काफी वृद्धि होगी।

सरकारी जमीन और वन भूमि पर गरीबों को प्लांटेशन करने की अनुमति देना चाहिए जो वन समिति बनाकर दी जा सकती है उसमें प्लांटेशन से निकलने वाली फसल पर लगाने वाले का अधिकार होना चाहिए उसमें से कुछ अंश वन विभाग ले सकता है । ऐसा होने से पर्यावरण का सुधार होगा और बहुत सारे पेड़ जमीन पर लग जाएंगे ।सरकार इसमें कार्बन क्रेडिट का पैसा भी ले सकती है इस कार्य के लिए कम से कम 500 वृक्ष लगाने का काम एक परिवार को मिलना चाहिए जिससे वह वृक्षों में पानी वगैरह देकर उनकी व्यवस्था करें वहां पर पानी की व्यवस्था भी होना चाहिए ।पानी की व्यवस्था सरकार या स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा कराना चाहिए ।

वृक्ष लगाने वाले परिवार को 5 10 देसी गाय पालने का कार्य भी देना चाहिए। गाय पालन के लिए दूध उत्पादन योजना के तहत उसको गाय दिलाना चाहिए इससे देश में शुद्ध देसी गाय के अच्छे दूध का उत्पादन बढ़ेगा ऐसा करने से रोजगार में बहुत वृद्धि होगी ।जंगल के पत्तों को बीन कर इक_ा कर सूखा कचरा गोबर गैस प्लांटों को देना चाहिए जिससे गैस भी बन जाएगी और जैविक खाद का उत्पादन भी होगा और जंगल में रहने वाले लोगों को कार्य मिलेगा ।

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