सोयाबीन में पीला मोजैक रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर निष्कासित करना क्यो जरूरी हैं?
10 अगस्त 2023, भोपाल: सोयाबीन में पीला मोजैक रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर निष्कासित करना क्यो जरूरी हैं? – भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान- इंदौर द्वारा 7 अगस्त से 13 अगस्त 2023 की अवधि के लिए सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह दी गई है।
संस्थान ने बताया हैं कि वर्तमान में सोयाबीन की खेती किये जाने वाले क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल फूल आने की अवस्था में है। ऐसे में फसल पर कई प्रकार के कीटों एंव वायरस रोग का प्रकोप देखा जा रहा हैं। अतः कृषकों को सलाह हैं कि वे अपनी सोयाबीन फसल की सतत निगरानी करें तथा पीला मौजेक रोग के लक्षण दिखने पर निम्नानुसार नियंत्रण के उपाय अपनाये।
पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोजैक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित कर दें नही तो यह कीट एक-एक करके सभी पौधों में वायरस को फैला देंगे। इसलिए जो पौधें ज्यादा ही रोगग्रस्त हैं उन्हें उखाड़कर फेंकने की जगह किसी गड्डे में डालकर में गाढ़ दें या फिर उन पौधों को जलाकर निष्कासित करना चाहिए।
इसके अलावा जिन पौधों में इस रोग के कम लक्षण दिखाई दे रहे हो तो इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु एसीटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिड़काव करें। इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) या क्लरोएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC (200 मिली/हे) का भी छिड़काव किया जा सकता हैं। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषक अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी रैप लगाएं।
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