फसल की खेती (Crop Cultivation)

क्या हैं कठिया गेंहूं? जानिए इसकी खेती से फायदे एंव उन्नतशील किस्में

03 नवम्बर 2023, नई दिल्ली: क्या हैं कठिया गेंहूं? जानिए इसकी खेती से फायदे एंव उन्नतशील किस्में – भारत में गेंहू एक प्रमुख खाद्यान्न फसल हैं। लगभग सभी किसानों द्वारा गेहूं की खेती बहुत बड़े स्तर पर की जाती है जिससे किसानों को अच्छा लाभ प्राप्त होता है। भारत वर्ष में कठिया गेहूँ की खेती लगभग 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है। मुख्यतः इसमें मध्य तथा दक्षिण भारत के ऊष्ण जलवायुविक क्षेत्र आते है।

भारत वर्ष में कठिया गेहूँ ट्रिटिकम परिवार में दूसरे स्तर का महत्वपूर्ण गेहूँ है। गेहूँ के तीनों उप-परिवारों (एस्टिवम, डयूरम, कोकम) में कठिया गेहूँ क्षेत्रफल में एवं उत्पादन में द्वितीय स्थान प्राप्त फसल है।

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भारत में कहां होती हैं कठिया गेंहू की खेती

भारत में कठिया गेंहू की खेती बहुत पुरानी है। पहले यह उत्तर पश्चिम भारत के पंजाब में अधिक उगाया जाता था फिर दक्षिण भारत के कर्नाटक तत्पश्चात् गुजरात के कठियावाड़ क्षेत्र में अब पूर्व से पश्चिमी बंगाल आदि में भी उगाया जाता है।

पहले कठिया गेहूँ की खेती असिंचित क्षेत्रों में की जाती थी। जिसके कारण पैदावार भी अनिश्चित रहती थी तथा प्रजातियाँ लम्बी, बीमारी से ग्रसित, कम उर्वरक ग्रहण क्षमता व सीमित क्षेत्र में उगायी जाती थी। लेकिन आज मध्य भारत में कठिया गेहूँ का उत्पादन बहुत बड़ी मात्रा में किया जाता हैं। मध्य क्षेत्र में मालवांचल, गुजरात का सौराष्ट्र और कठियावाड़, राजस्थान का कोटा, मालावाड़ तथा उदयपुर, उत्तर प्रदेश का बुन्देलखण्ड में गुणवत्ता युक्त नियतिक गेहूँ उगाया जाता है।

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कठियां गेहूँ को उगाने के फायदे

कठियां गेहूँ आद्यौगिक उपयोग लिए अच्छा माना जाता है इससे बनने वाले सिमोलिना (सूजी/रवा) से शीघ्र पचने वाले व्यंजन जैसे पिज्जा, स्पेघेटी, सेवेइयां, नूडल, वर्मीसेली आदि बनाये जाते हैं। इसमें रोग अवरोधी क्षमता अधिक होने के कारण इसके निर्यात की अधिक संभावना रहती है।

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कठिया गेहूँ की खेती से लाभ

कम सिंचाई – कठिया गेहूँ की किस्में में सूखा प्रतिरोधी क्षमता अधिक होती है। इसलिये 3 सिंचाई ही पर्याप्त होती है जिससे 45-50 कु०/हे० पैदावार हो जाती है।

अधिक उत्पादन – सिंचित स्थिति में कठिया प्रजातियों औसतन 50-60 कु०/हे० पैदावार तथा असिंचित व अर्ध सिंचित दशा में इसका उत्पादन औसतन 30-35 कु०/हे० अवश्य होता है।

पोषक तत्वों की प्रचुरता – कठिया गेहूँ से खाद्यान्न सुरक्षा तो मिली परन्तु पोषक तत्वों में शरबती (एस्टिवम) की अपेक्षा प्रोटीन 1.5-2.0 प्रतिशत अधिक विटामिन ‘ए’ की अधिकता बीटा कैरोटीन एवं ग्लूटीन पर्याप्त मात्रा में पायी जाती है।

फसल सुरक्षा- कठिया गेहूँ में गेरूई या रतुआ जैसी महामारी का प्रकोप तापक्रम की अनुकूलतानुसार कम या अधिक होता है। नवीन प्रजातियों का उगाकर इनका प्रकोप कम किया जा सकता है।

किस्में

सिंचित दशा हेतु – पी.डी.डब्लू. 34, पी.डी.डब्लू 215, पी.डी.डब्लू 233, राज 1555, डब्लू. एच. 896, एच.आई 8498 एच.आई. 8381, जी.डब्लू 190, जी.डब्लू 273, एम.पी.ओ. 1215।

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असिंचित दशा हेतु – आरनेज 9-30-1, मेघदूत, विजगा यलो जे.यू.-12, जी.डब्लू 2, एच.डी. 4672, सुजाता, एच.आई. 8627।

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