फसल की खेती (Crop Cultivation)

वर्मी कम्पोस्ट और इसे बनाने का तरीका

14 अक्टूबर 2022, भोपाल: वर्मी कम्पोस्ट और इसे बनाने का तरीका – वर्मी कम्पोस्ट निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका केंचुओं की है, जिसके द्वारा कार्बनिक/जीवांश पदार्थों को विघटित करके/सड़ाकर यह खाद तैयार की जाती है। यही वर्मी कम्पोस्ट या केचुएं की खाद कहलाती है।

वर्मी कम्पोस्ट कृषि के अवशिष्ट पदार्थ, शहर तथा रसोई के कूड़े-कचरे को पुन: उपयोगी पदार्थ में बदलने तथा पर्यावरण प्रदूषण को कम करने की एक प्रभावशाली विधा है।
वर्मी कम्पोस्ट बनाने में निम्न कार्बनिक पदार्थों का प्रयोग किया जा सकता है।

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(अ) कृषि या फसल अवशेष: पुआल, भूसा, गन्ने की खोई, पत्तियां, खरपतवार, फूंस, फसलों के डंठल, बायोगैस अवशेष एवं गोबर आदि।

(ब) घरेलू तथा शहरी कूड़ा कचरा: सब्जियों के छिलके तथा अवशेष, फलों के छिलके तथा अवशेष, फलों तथा सब्जी मंडी का कचरा, भोजन के अवशेष आदि।

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(स) कृषि उद्योग संबंधी व्यर्थ पदार्थ: वनस्पति तेल शोध मिल, चीनी मिल, शराब उद्योग, बीज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग तथा नारियल उद्योग के अवशिष्ट पदार्थ।

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वर्मी कम्पोस्ट के लिए केंचुओं की प्रजातियां:

कम्पोस्ट बनाने की सक्षम प्रजातियों में मुख्य रूप से ‘इसेनिया फोटीडा तथा इयू ड्रिल्स इयूजीनीÓ है, जिन्हें केचुएं की लाल प्रजाति भी कहते हैं। इसके अतिरिक्त ‘पेरियानिक्स एक्सवकेट्स, लैम्पीटो माउरीटीÓ, ‘डावीटा कलेवीÓ तथा डिगोगास्टर बोलाई प्रजातियां भी हैं जो कम्पोस्टिंग में प्रयोग की जाती हैं। परंतु ये लाल केंचुओं से कम प्रभावी हैं।

वर्मी कम्पोस्ट कैसे बनाएं:

किसी ऊंचे छायादार स्थान जैसे पेड़ के नीचे या बगीचे में 2 मी. ङ्ग 2 मी. ङ्ग1 मी. क्रमश: लम्बाई, चौड़ाई तथा गहराई का गड्ढा बनाएं। गड्ढे के अभाव में इसी माप की लकड़ी या प्लास्टिक की पेटी का भी प्रयोग किया जा सकता है। जिसके निचले सतह पर जल निकास हेतु 10-12 छेद बना देना चाहिए।

वर्मी कम्पोस्ट बनाने की विधि निम्नवत है

(क) सबसे नीचे ईंट या पत्थर की 11 सेमी. की परत बनाइए फिर 2.0 सेमी. मौरंग या बालू की दूसरी तह लगाइए। इसके ऊपर 15 सेमी. उपजाऊ मिट्टी की तह लगाकर पानी के हल्के छिड़काव से नम कर दें। इसके बाद अधसड़ी गोबर डालकर एक किलो प्रति गड्ढे की दर से केचुएं छोड़ दें।

(ख) इसके ऊपर 5-10 सेमी. घरेलू कचरे जैसे सब्जियों के छिलके आदि कटे हुए फसल अवशेष जैसे पुवाल, भूसा, जलकुंभी, पेड़-पौधों की पत्तियां आदि को बिछा दें। 20-25 दिन तक आवश्यकतानुसार पानी का हल्का छिड़काव करते रहें। इसके बाद प्रति सप्ताह दो बार 5-10 सेमी. सडऩे योग्य कूड़े-कचरे की तह लगाते रहें जब तक कि पूरा गड्ढा भर न जाए। रोज पानी का छिड़काव करते रहें। कार्बनिक पदार्थ के ढेर पर लगभग 50 प्रतिशत नमी होनी चाहिए। 6-7 सप्ताह में वर्मी कम्पोस्ट बनकर तैयार हो जाता है। वर्मी कम्पोस्ट बनने के बाद 2-3 दिन तक पानी का छिड़काव बंद कर देना चाहिए। इसके बाद खाद निकाल कर छाया में ढेर लगाकर सुखा देते हैं। फिर इसे 2 मिली. मीटर छन्ने से छानकर अलग कर लेते हैं। इस तैयार खाद को आवश्यक मात्रा में प्लास्टिक की थैलियों में भर देते हैं।

केचुएं का कल्चर या इनाकुलम तैयार करना

केचुए कूड़े-कचरे के ढेर के नीचे से कम्पोस्ट बनाते हुए ऊपर की तरह बढ़ते हैं। पूरे गड्ढे की कम्पोस्ट तैयार होने के बाद ऊपरी सतह पर कूड़े-कचरे की एक नई सतह लगा देते हैं तथा पानी छिड़क कर नम कर देते हैं। इस सतह की ओर सभी केचुएं आकर्षित हो जाते हैं। इन्हें हाथ या किसी चीज से अलग कर इकट्ठा कर लेते हैं, जिसे दूसरे नए गड्ढे में अन्त:क्रमण के लिये प्रयोग करते हैं।

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वर्मी कम्पोस्ट के पोषक तत्व: वर्मी कम्पोस्ट में अन्य जीवांश खादों की तुलना में अधिक पोषक तत्व उपलब्ध हैं। इसमें नाइट्रोजन 1-1.5 प्रतिशत, फास्फोरस 1.5 प्रतिशत तथा पोटाश 1.5 प्रतिशत होता है। इसके अतिरिक्त इसमें द्वितीयक तथा सूक्ष्म तत्व भी मौजूद होते हैं।

वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग

धान्य फसलों, तिलहन तथा सब्जियों के लिये 5 से 6 टन वर्मी कम्पोस्ट प्रति हे. की दर से प्रयोग करना चाहिए। बुवाई के पहले इसे खेत में बिखेर कर जुताई करके भूमि में मिला देना चाहिए। फलदार वृक्षों में 200 ग्राम प्रति पौधा तथा घास के लान में 3 किग्रा/10 वर्ग मीटर की दर से प्रयोग करें।

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