वर्मी कम्पोस्ट खेती के लिए उपयोगी
6 सितम्बर 2021, वर्मी कम्पोस्ट खेती के लिए उपयोगी – केंचुआ कृषकों का मित्र एवं भूमि की आंत कहा जाता है। यह सेन्द्रीय पदार्थ ह्यूमस व मिट्टी को एकसार करके जमीन के अंदर अन्य परतों में फैलाता है। इससे जमीन पोली होती है व हवा का आवागमन बढ़ जाता है तथा जलधारण क्षमता में बढ़ोतरी होती है। केंचुओं के पेट में जो रसायनिक क्रिया व सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया होती है, जिससे भूमि में पाये जाने वाले नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश एवं अन्य सूक्ष्म तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है। वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। तापमान नियंत्रित रहने से जीवाणु क्रियाशील तथा सक्रिय रहते हैं। वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5 से 3 प्रतिशत नत्रजन, 1.5 से 2 प्रतिशत स्फुर तथा 1.5 से 2 प्रतिशत पोटाश पाया जाता है।
तैयार करने की विधि
कचरे से खाद तैयार किया जाना है उसमें से कांच-पत्थर, धातु के टुकड़े अच्छी तरह अलग कर इसके पश्चात वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिये 10&4 फीट का प्लेटफार्म जमीन से 6 से 12 इंच तक ऊंचा तैयार किया जाता है। इस प्लेटफार्म के ऊपर 2 रद्दे ईंट के जोड़े जाते हैं तथा प्लेटफार्म के ऊपर छाया हेतु झोपड़ी बनाई जाती हैं प्लेटफार्म के ऊपर सूखा चारा, 3-4 क्विंटल गोबर की खाद तथा 7-8 क्विंटल कूड़ा-करकट (गार्वेज) बिछाकर झोपड़ीनुमा आकार देकर अधपका खाद तैयार हो जाता है जिसकी 10-15 दिन तक झारे से सिंचाई करते हैं जिससे कि अधपके खाद का तापमान कम हो जाए। इसके पश्चात 100 वर्ग फीट में 10 हजार केंचुए के हिसाब से छोड़े जाते हैं। केंचुए छोडऩे के पश्चात् टांके को जूट के बोरे से ढंक दिया जाता हैं, और 4 दिन तक झारे से सिंचाई करते रहते हैं ताकि
45-50 प्रतिशत नमी बनी रहे। ध्यान रखें अधिक गीलापन रहने से हवा अवरूद्ध हो जायेगी और सूक्ष्म जीवाणु तथा केंचुए मर जायेंगे या कार्य नहीं कर पायेंगे।
45 दिन के पश्चात सिंचाई करना बंद कर दिया जाता है और जूट के बोरों को हटा दिया जाता है। बोरों को हटाने के बाद ऊपर का खाद सूख जाता है तथा केंचुए नीचे नमी में चले जाते हैं। तब ऊपर की सूखी हुई वर्मी कम्पोस्ट को अलग कर लेते हैं। इसके 4-5 दिन पश्चात पुन: टांके की ऊपरी खाद सूख जाती है और सूखी हुई खाद को ऊपर से अलग कर लेते हैं इस तरह 3-4 बार में पूरी खाद टांके से अलग हो जाती है और आखिरी में केंचुए बच जाते हैं जिनकी संख्या 2 माह में टांके में, डाले गये केंचुओं की संख्या से, दोगुनी हो जाती हैं ध्यान रखें कि खाद हाथ से निकालें गैंती, कुदाल या खुरपी का प्रयोग न करें। टांकें से निकाले गये खाद को छाया में सुखा कर तथा छानकर छायादार स्थान में भण्डारित किया जाता है। वर्मी कम्पोस्ट की मात्रा गमलों में 100 ग्राम, एक वर्ष के पौधों में एक किलोग्राम तथा फसल में 6-8 क्विंटल प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। वर्मी वॉश का उपयोग करते हुए प्लेटफार्म पर दो निकास नालियां बना देना अच्छा होगा ताकि वर्मी वॉश को एकत्रित किया जा सके।