फसल की खेती (Crop Cultivation)

Kharif MSP 2025: भारतीय किसानों के लिए दलहन और तिलहन की बुआई सबसे फायदेमंद!

04 जून 2025, नई दिल्ली: Kharif MSP 2025: भारतीय किसानों के लिए दलहन और तिलहन की बुआई सबसे फायदेमंद! – केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों पर समिति (CCEA) ने बीते 28 मई को 2025-26 के खरीफ सीजन के लिए 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढोतरी को मंजूरी दी है. इस घोषणा का उद्देश्य किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर कम से कम 50% मार्जिन सुनिश्चित करना है, जो देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है.

खासकर, दलहन और तिलहन की फसलों पर फोकस किया गया है, जिनके MSP में अच्छी-खासी बडत देखने को मिली है, जिससे इन फसलों की खेती किसानों के लिए ज़्यादा कमाऊ बन जाएगी.

दलहन और तिलहन का महत्व

दलहन और तिलहन भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ज़रूरी हैं. दलहन, जैसे अरहर, मूंग, और उड़द, प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं, विशेष रूप से शाकाहारी आहार में, और भारत में इनकी खपत बहुत अधिक है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक और उपभोक्ता है, फिर भी मांग को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता बनी हुई है. इसी तरह, तिलहन से निर्मित खाद्य तेल भारतीय रसोई का अभिन्न अंग है. भारत अपनी खाद्य तेल की मांग का लगभग 57% आयात करता है. इन फसलों का उत्पादन बढ़ाना न केवल पोषण सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश के आयात बिल को कम करने में भी मदद करेगा.

दलहन और तिलहन का MSP

नीचे दी गई तालिका में दलहन और तिलहन के लिए 2025-26 के MSP और उनकी उत्पादन लागत पर मार्जिन का विवरण दिया गया है:

फसल2013-142020-212021-222022-232023-242024-252025-26लागत KMS 2025-26लागत पर मार्जिन (%)
अरहर4300600063006600700075508000503859
मूंग4500719672757755855886828768584550
उड़द4300600063006600695074007800511453
मूंगफली4000527555505850637767837263484250
सूरजमुखी3700588560156400676072807721517450
सोयाबीन2560388039504300460048925328355250
तिल4500685573077830863592679846656450
रामतिल3500669569307287773487179537635850

यह कदम 2018-19 के बजट में किए गए नीतिगत बदलाव को पूरा करता है, जिसमें MSP को उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना निर्धारित करने की बात कही गई थी.

पिछले दशक की तुलना में, 2014-15 से 2024-25 तक MSP के तहत खरीद और भुगतान में काफी वृद्धि हुई है. इस अवधि के दौरान, MSP के तहत खरीद का औसत 887 लाख टन रहा, जबकि पिछले दशक (2004-05 से 2013-14) में यह 274 लाख टन था. इसी तरह, MSP के तहत भुगतान का औसत 94,000 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले दशक के 38,000 करोड़ रुपये से काफी अधिक है.

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