वॉली बोरर और चने की इल्ली से कैसे बचाएं फसल? पढ़ें यह वैज्ञानिक तरीके
16 दिसंबर 2024, भोपाल: वॉली बोरर और चने की इल्ली से कैसे बचाएं फसल? पढ़ें यह वैज्ञानिक तरीके – चना, रबी सीजन की प्रमुख फसल है, जिसे देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है। महाराष्ट्र समेत भारत के विभिन्न राज्यों में किसान चने की खेती पर निर्भर हैं। हालांकि, सर्दियों के मौसम में चने की फसल को कीटों और रोगों से गंभीर नुकसान होने का खतरा रहता है। इस समस्या को समय रहते नियंत्रित करना फसल के बेहतर उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है। सोलापुर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. लालासाहेब तांबडे ने इस समस्या का समाधान देने के लिए किसानों के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए हैं।
सर्दियों में चने की फसल पर कीटों का प्रकोप क्यों बढ़ता है?
सर्दियों के दौरान, मौसम में नमी और बदलते तापमान के कारण चने की फसल पर कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है। तीन से चार सप्ताह पुरानी फसल पर छोटे कीड़े (लार्वा) पत्तियों, फूलों और नई शाखाओं को खाकर नुकसान पहुंचाने लगते हैं। यह समस्या खासतौर पर तब और बढ़ जाती है जब खेत में जलजमाव हो या मौसम में लगातार बादल छाए रहें। वॉली बोरर और चने की इल्ली जैसे कीट इस समय सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
इस स्थिति में किसानों को सतर्क रहना चाहिए और समय पर फसल की निगरानी करनी चाहिए। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन कीटों का प्रकोप न केवल फसल की वृद्धि को बाधित करता है, बल्कि इससे उत्पादन क्षमता पर भी भारी असर पड़ सकता है।
फसल बचाने के उपाय
चना फसल पर कीटों के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए कई प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं। यदि फसल पर लार्वा दिखाई दें और उनका असर बढ़ने लगे, तो तुरंत 5% निबोला का छिड़काव करें। यह जैविक उपाय कीटों को नियंत्रित करने में काफी कारगर है। रासायनिक उपायों में प्रति लीटर पानी में आधा ग्राम एमामेक्टिन बेंज़ोएट मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा, खेत में 5 से 12 कामगंध ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगाएं। यह ट्रैप कीटों को आकर्षित करके उनकी संख्या कम करने में मदद करता है। साथ ही, खेत में पक्षियों को आमंत्रित करने के लिए बर्ड शेल्टर बनाना चाहिए, जिससे कीटों का प्राकृतिक नियंत्रण हो सके।
एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM): फसल बचाने का कारगर तरीका
डॉ. तांबडे का कहना है कि चना फसल में वॉली बोरर और अन्य हानिकारक कीटों का प्रभाव कम करने के लिए एकीकृत कीट प्रबंधन (Integrated Pest Management) अपनाना सबसे प्रभावी तरीका है। इसके तहत खेत में नियमित निगरानी जरूरी है ताकि कीटों और उनके अंडों की पहचान शुरुआती चरण में हो सके। जैविक और रासायनिक उपायों का संयोजन करते हुए कीटों का प्रबंधन किया जाना चाहिए। खेत में ट्राइकोडर्मा और वर्टिसिलियम लेकानी जैसे जैविक फफूंदनाशकों का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है।
फसल की सुरक्षा के लिए खेत में जलजमाव न होने दें और बुवाई के समय संतुलित उर्वरकों का उपयोग करें। नियमित रूप से खरपतवार हटाएं और फसल की निगरानी करते रहें। प्राकृतिक कीट नियंत्रण विधियों को अपनाते हुए फसल को स्वस्थ बनाए रखें। जैविक उपायों में नीम तेल का छिड़काव और जैविक खाद का उपयोग फसल को पोषण देने के साथ-साथ कीटों को नियंत्रित करने में मदद करता है।
सही उपाय से बंपर उत्पादन
फसल को कीटों से बचाने के लिए सही समय पर उपाय करना बेहद जरूरी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कीट नियंत्रण में जल्दबाजी न करें, लेकिन सही समय पर कदम उठाएं। जैविक और प्राकृतिक विधियों को प्राथमिकता दें, ताकि फसल पर रासायनिक दवाओं का नकारात्मक असर न पड़े। सर्दियों में फसल की नियमित निगरानी, संतुलित पोषण और कीट नियंत्रण के ये उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल को बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं।
डॉ. तांबडे का कहना है, “चना की फसल में कीट प्रबंधन का प्रभावी तरीका अपनाने से न केवल कीटों पर काबू पाया जा सकता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन भी बेहतर होता है। किसानों को जैविक और एकीकृत कीट प्रबंधन विधियों पर ध्यान देना चाहिए।”
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