सोयाबीन कृषकों के लिए इस सप्ताह उपयोगी सलाह
13 जून 2022, इंदौर । सोयाबीन कृषकों के लिए इस सप्ताह उपयोगी सलाह – भा.कृ .अनु.प.-भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान, इंदौर ने चालू सप्ताह के लिए सोयाबीन कृषकों को उपयोगी सलाह दी है , जो निम्नानुसार है –
1. विभिन्न समयावधि में पकने वाली अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित 2-3 किस्मों की खेती करें।
2. अंकुरण परीक्षण के माध्यम से सोयाबीन की बोवनी हेतु उपलब्ध बीज का अंकुरण न्यूनतम 70% सुनिश्चित करें।
3 कृषकों को सलाह है कि सोयाबीन की बोवनी हेतु अनुशंसित 45 सें.मी. कतारों की दूरी का अनुपालन करे। साथ ही बीज को 2-3 से. मी. की गहराई पर बोवनी करते हुए पौधे से पौधे 5-10 से मी. रखें। सोयाबीन को बीजदर 65-70 किग्रा /हे की दर से उपयोग करें।
4 प्रत्येक 3-4 वर्ष में एक बार खेत में गहरी जुताई करनेकी अनुशंसा है. इस वर्ष यदि गहरी जुताई नहीं करनी हो , तो विपरीत दिशाओं में दो बार बक्खर एवं पाटा चलाकर खेत को बोवनी हेतु तैयार करे।
5. अंतिम बखरनी के पूर्व पूर्णतः पकी हुई गोबर की खाद की अनुशंसित मात्रा (5 से 10 टन/ हे ) या कम्पोस्ट (5 टन/हे) या मुर्गी की खाद / वर्मी कम्पोस्ट ( 2.5 टन प्रति हे ) की दर से फैला दें।
6. विपरीत मौसम (सूखे की स्थिति , अतिवृष्टि आदि) से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सोयाबीन की बोवनी बी.बी.एफ. पद्धति या रिज एवं फरो पद्धति से करें।
7. मानसून केआगमन के पश्चात् न्यूनतम 100 मिमी .वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बोवनी करें। जिससे उगी हुई फसल को सूखा /कम नमी के कारण किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो।
8. सोयाबीन फसल के लिए आवश्यक पोषक तत्वों (2 5 60:40:20:कि .ग्रा/हे नाइट्रोजन, ,फॉस्फोरस ,पोटाश व सल्फर) की पूर्ति केवल बोवनी के समय करें. इसके लिए इनमें से कोई भी एक उर्वरकों के स्रोत का चयन किया जा सकता है। 1. यूरिया 56 कि .ग्रा 375+.कि ग्रा सुपर फॉस्फेट व 67 कि ग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश अथवा 2. डी.ए.पी 125 कि ग्रा 67 +.कि ग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश +200 कि ग्रा सल्फर अथवा 3 . मिश्रित उर्वरक 12:32:16 @ 200 कि ग्रा + 25 कि ग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर या 20:20:13 @300 कि ग्रा +25 कि ग्रा/ हे बेन्टोनेट सल्फर।
9. सोयाबीन फसल की प्रारम्भिक अवस्था में रोग तथा तथा कीटों से बचाव के साथ-साथ उपयुक्त पौध संख्या सुनिश्चित करने हेतु सोयाबीन में बीजोपचार अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए अनुशंसा है कि बीज को अनुशंसित पूर्व मिश्रित फफूंदनाशक थायोफिनेटमिथाइल +पायरोक्लोस्ट्रोबीन अथवा पेनफ्लूफेन + ट्रायफ्लोक्सिस्ट्रोबीन 38 एफ.एस) .10 मि .ली/.की .ग्रा .बीज (अथवा कार्बोक्सिन 37.5%+थाइरम 37.5% (3 ग्राम/ कि .ग्रा .बीज (अथवा थाइरम) 2 ग्राम ( एवं कार्बेन्डाजिम ) 1 ग्राम (प्रति कि ग्रा . बीज से उपचारित कर कर थोड़ी देर छाया में सुखाएां .तत्पश्चात अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ.एस. 10 मि .ली /.कि .ग्रा .बीज (अथवा इमिडाक्लोप्रिड )
1.25 मि .ली/.कि .ग्रा .बीज से भी उपचारित करें।
10. सोयाबीन की बोवनी करते समय बीज को जैविक कल्चर ब्रेडीरायबियम + पी.एस.एम प्रत्येक को 5 ग्राम/ कि ग्रा .बीज की दर से करें। कृ षकगण रासायनिक फफूंदनाशक के स्थान पर जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा ( 10 ग्राम/ कि ग्रा बीज) का भी उपयोग कर सकते हैं जिसको जैविक कल्चर के साथ मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है।
11. कृषकगण अपनी सुविधा के अनुसार अनुशंसित खरपतवारनाशकों में सेअपने क्षेत्र में व्याप्त खरपतवाओं के प्रकार देखकर आवश्यकतानुसार निम्न में से किसी एक का प्रयोग खरपतवार नियंत्रण हेतु कर सकते हैं ( परिशिष्ट )
खरपतवार नाशक का प्रकार रासायनिक नाम | मात्रा/हेक्टे. |
1 बोवनी पूर्व उपयोगी पेण्डी मिथालीन+इमेझेथापायर | 3-2.5ली. (पीपीआई) |
2 बोवनी के तुरन्त बाद डायक्लो सुलम 44 डब्ल्यू.डी.जी | 26 ग्राम (पीई) |
सलफेन्ट्राजोन 44 एस.सी | 0.75 ली. |
क्लोमोज़ोन 50 ई.सी | 2.00ली. |
पेण्डी मिथालीन 30 ई.सी. | 3.25ली. |
पेण्डी मिथालीन 34.7 सी.एस. | 1.75-1.5 कि .ग्रा. |
फ्लूमिआक्साज़ीन 50 एस.सी. | 0.25ली. |
मेटालोक्लोर 50 ई.सी | 2 ली. |
मेट्रिब्यूजिन 70 डब्ल्यू.पी. | 1-0. 75 कि .ग्रा. |
सलफेन्ट्राजोन + क्लोमोज़ोन | 1.25ली. |
पायरोक्सासल्फोन 45 डब्ल्यू.जी. | 150ग्रा. |
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