फसल की खेती (Crop Cultivation)

गेंहू के अधिक उत्पादन में बीज की मात्रा का बहुत बड़ा योगदान है

10 नवंबर 2021, टीकमगढ़ ।गेंहू के  अधिक उत्पादन में बीज की मात्रा का बहुत बड़ा योगदान है – कृषि विज्ञान केन्द्र, टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक डॉ. आर. के. प्रजापति, डॉ. यू. एस. धाकड़ एवं जयपाल छिगारहा द्वारा किसानो को गेंहू की अधिक उत्पादन हेतु तकनीकी सलाह दी गई, किसानो को सबसे पहले सिचंाई व्यवस्था को ध्यान में रखते हुये उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिये यदि किसान के पास दो सिंचाई की सुविधा है तब जे. डब्ल्यू 3211, जे. डब्ल्यू 3288, एच. आई. 1531, जे. डब्ल्यू. 3259 किस्मों का चयन करें और 4 सिंचाई की सुविधा होने पर जे. डब्ल्यू 1201, एच. आई. 1544, जी. डब्ल्यू 322, जे. डब्ल्यू 3382, डी. बी. डब्ल्यू 110, जी डब्ल्यू 273 और सिंचित क्षेत्र में देरी से बुवाई की स्थिति में एम. पी. 4010, डी. एल. 788-2, एच. डी. 2864, एच. डी. 2932, जे. डब्ल्यू 1203 किस्मों का चयन करें और बुवाई के पहले बीज को वीटावैक्स/ वाबिस्टीन 2 से 2.5 ग्राम प्रति कि. ग्रा. बीज की दर से उपचार कर बुवाई करें । बुवाई कतारों में सीडड्रिल द्वारा करना चाहिये और अधिक उत्पादन हेतु सन्तुलित मात्रा में समय पर बुवाई करने पर यूरिया 85 कि.ग्रा. और म्यूरेट ऑफ पोटाष 25 कि.ग्रा. प्रति एकड़ और देरी से बुवाई करने की स्थिति में यूरिया 70 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट 150 कि.ग्रा. और म्यूरेट ऑफ पोटाष 25 कि.ग्रा. प्रति एकड़ प्रयोग करना चाहिये ।

उत्पादन में बीज की मात्रा का बहुत बड़ा योगदान है नबम्बर माह में बुवाई होने पर 40 कि.ग्रा. और दिसम्बर माह में बुवाई होने पर 50 कि.ग्रा. प्रति एकड़ प्रयोग करना चाहिये । उर्वरक का प्रयोग बुवाई के समय यूरिया की एक तिहाई मात्रा और सिंगल सुपर फास्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाष की पूरी मात्रा प्रयोग करें और यूरिया की शेष दो भाग एक भाग पहली सिंचाई के समय और दूसरा भाग यूरिया का गभोट अवस्था में छिड़काव करें ।

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