धान का पेनिकल माईट
09 जुलाई 2024, भोपाल: धान का पेनिकल माईट –
लक्षण
- लीफ शीथ का बदरंग भूरा हो जाना।
- पत्तियों में छोटे भूरे धब्बे बनना।
- अवस्था में दाने अनियमित आकार ले लेते है। दाने कत्थई होकर दूध भराव रहित होकर पोचे या बदरा रह जाते हैं। बालियों के दाने तोते की चोंच जैसी आकार ले लेते हैं जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘पैरट बीकिंगÓ कहते हैं।
क्षति की प्रकृति: पैनिकल माईट (मकड़ी) मुख्य पत्ती के भीतर लीफ शीथ से रस चूसती है जिसे दालचीनी रंग के या भूरे-चाकलेटी चकत्तों से पहचाना जा सकता है। पत्ती के बाहरी शीथ को निकालने से मकड़ी की उपस्थिति जानी जा सकती है। गभोट तथा दूध भराव की अवस्था में यह मकड़ी विकसित हो रहे दानों को नुकसान पहुंचाती है। पेनिकल माईट के नुकसान वाली जगह पर चोट/क्षति से फफूंद विकसित हो जाता है, जिससे बीमारी उत्पन्न हो जाती है। इन सबके परिणामस्वरूप दानों का बांझपन सीधी-खड़ी बाली, बदरा दाने बनते हैं, जिसे विशेष शब्द ‘पैरट बीकिंगÓ कहते हैं। पूरे विश्व में यह धान का अत्यधिक नुकसान करने वाली मकड़ी, पेनिकल माईट है।
पहचान एक, जीवन चक्र: धान का पेनिकल माईट एक सूक्ष्म अष्टपादी जीव है। आकार 0.2 से 1 मिमी. तक होता है, शरीर पारदर्शी घूसर क्रीम रंग का होता है। नर माइट में पिछला पैर लंबा तथा शरीर मादा से छोटा होता है। एक मादा पौधों के बाहरी शीथ पर 50 अंडे देती है। अंडे पारदर्शी अंडाकार होते हैं। अनिषेचित अंडे नर बनते हैं। अंडे 2 से 4 दिनों में फूटते हैं, पेनिकल माईट में 1 दिन की सक्रिय लार्वल अवस्था (इल्ली अवस्था) होती है। पूरा जीवन चक्र 10 से 13 दिनों का होता है।
अनुकूल परिस्थितियां
- अनुकूल परिस्थितियां
- अधिक तापमान तथा कम बारिश माईट के बढ़वार के लिये उपयुक्त हैं। पेनिकल माईट हेतु 25.5 से 27.5 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान तथा आद्र्रता 80 से 90 प्रतिशत उपयुक्त है।
- लगातार धान की फसल लेना पेनिकल माईट के बढ़वार के लिये अनुकूल है।
- माईट का प्रकोप धान के संपूर्ण जीवनकाल में होता है लेकिन गभोट तथा बाली में दूध भराव की अवस्था अधिक संवेदनशील है।
प्रबंधन:
- संतुलित उर्वरकों का उपयोग विशेषकर नत्रजन उर्वरकों का।
- सही बीज दर तथा पौधे से पौधे की दूरी उचित रखें (15 & 15 सेमी.)।
- इसकी रोकथाम के लिए कटाई के बाद फसल अवशेष को मिट्टी में दबा दें।
- फसल चक्र विशेषकर दलहनी-तिलहनी फसलों के साथ पेनिकल माईट नियंत्रण में प्रभावी है।
- प्रभावी निगरानी करें खासकर लीफ शीथ को खोलकर देखें।
रासायनिक नियंत्रण: चूंकि यह माईट धान पौधों के शीथ के अंदर छिपा रहता है। अत: उसका रासायनिक उपचार कठिन होता है लेकिन कुछ पेस्टीसाईड्स में माईटीसाईड्स के गुण होते हंै जिसका उपयोग कर सकते हैं जैसे- डायकोफाल इसके अलावा डाइफेनथ्यूरान 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 120 ग्राम प्रति एकड़ तथा प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ई.सी. का 200 मिली / एकड़ की दर से मिलाकर छिड़कें या स्पाइरोमेसिफेन 240 ईसी का 200 मिली. या प्रोफेनोफॉस 50 ईसी का 400 मिली / एकड़ की दर से छिड़केेंं।
संवेदनशील किस्में: बीपीटी-5204, स्वर्णा, कर्मा मासुरी, एमटीयू-1001, महामाया, राजेश्वरी का चयन न करें।
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