पौध शाला से पौधों का प्रत्यारोपण कैसे करें ?
(महेंद्र कुमार स्वामी , एग्रोनॉमिस्ट एवं उद्यानिकी विशेषज्ञ, भोपाल ,मो – 9993577016)
08 जून 2024, भोपाल: पौध शाला से पौधों का प्रत्यारोपण कैसे करें ? – वर्तमान में खानपान और कपड़ों से लेकर हर चीज में रेडीमेड का चलन बढ़ गया है। इससे नर्सरी का क्षेत्र भी अछूता नहीं है। किसानों की नई पीढ़ी , न केवल आधुनिक तरीके से खेती कर रही है , बल्कि नई तकनीक का भी इस्तेमाल करने लगी है। पहले किसान मिर्च, टमाटर आदि फसलों के लिए स्वयं बीज बोकर पौधे तैयार करता था , लेकिन अब उद्यानिकी फसलों के लिए सीधे नर्सरी से पौधे खरीदकर लगाए जा रहे हैं। इससे जहाँ नर्सरी का व्यवसाय करने वालों को लाभ हो रहा है ,वहीं किसानों को भी समय की बचत के साथ पौधों कीआरम्भिक अवस्था के रोगों एवं कीटों की जोखिम से मुक्ति मिल गई है। बता दें कि निमाड़ – मालवा क्षेत्र में मिर्च के 50 -60 % और टमाटर के 30 -40 % पौधे बड़वानी , शिवपुरी , रतलाम, जबलपुर आदि की नर्सरियों में ही तैयार किए जाने लगे हैं। यहां तक की तरबूज के 60 -70 % पौधे भी छिंदवाड़ा , बैतूल, रतलाम आदि जिलों की नर्सरियों में तैयार हो रहे हैं। इससे नर्सरी वालों का भविष्य उज्जवल दिखाई दे रहा है। प्रस्तुत आलेख में पौध शाला से पौधों का प्रत्यारोपण करने के तरीकों को सरल ढंग से बताया गया है।
पौध प्रत्यारोपण की सावधानियां – पौधों का प्रत्यारोपण कृषि की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है , जिसमें सब्जी फसलों के नव अंकुरित पौधों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है। यह क्रिया पौधों के स्वस्थ विकास और उच्च उत्पादन में सहायता प्रदान करती है। पौधों के प्रत्यारोपण के समय निम्न सावधानियां रखना ज़रूरी है –
नर्सरी में पौधों की छंटाई – स्थानांतरण से पूर्व नर्सरी से बीमार एवं कमजोर पौधों को उखाड़कर अलग कर देना चाहिए और सिर्फ स्वस्थ पौधों का चयन कर ही स्थानांतरित करना चाहिए।
हार्डिनिंग ऑफ़ सीडलिंग – नर्सरी से नवजात पौधों को खेत में रोपने से पूर्व उनकी हार्डिनिंग
अति आवश्यक है। इसके लिए पौधों को नर्सरी से निकाल कर मध्यम धूप में रखना चाहिए। इस दौरान ट्रे में पर्याप्त नमी रहे इसका ध्यान रखें।
संरक्षित परिवहन – पौधे की ट्रे को नर्सरी से खेत तक बहुत ही संरक्षित तरीके से पहुंचाना चाहिए , अन्यथा इस दौरान गर्म हवा और धूप से सीडलिंग को नुकसान होने की संभावना रहती है।
खेत की तैयारी एवं उर्वरक – खेत की गहरी जुताई करके गर्मी के मौसम में तेज़ धूप खिलाकर रोपाई से पहले मिट्टी को अच्छी भुरभुरी बना लें। उसके बाद लाइन और पौधों की दूरी के हिसाब से बेड तैयार कर लें। बेड की चौड़ाई 4 -5 फीट रखें और दोनों तरफ रोपाई करें। पौधों की दूरी फसल के हिसाब से अनुशंसित करें। खेत की तयारी के समय 50 किलो डीएपी ,25 किलो पोटाश और 5 किलो सीएएन प्रति एकड़ बेसल डोज़ के रूप में मिला दें।
स्थानांतरण का तरीका – एक रस्सी के सहारे खेत में बनी बेड पर पौधों की दूरी के हिसाब से डिपर के माध्यम से गड्ढे तैयार कर लें। गड्ढों की गहराई पौध के रुट जोन के हिसाब से ही रखें पौध रोपते समय ध्यान रखें कि पौधों की मूल जड़ सीधी रहे , जिससे कि पौधों का विकास अच्छा हो।
सिंचाई – रोपाई के तुरंत बाद एक पहली हल्की सिंचाई अवश्य करना चाहिए , ताकि नवरोपित पौधों को अनुकूलन प्राप्त हो सके।
इस प्रकार हम एक स्वस्थ फसल की बुनियाद रख सकते हैं , जिससे अत्यधिक और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त कर अधिकतम लाभ कमा सकते हैं।