खरीफ 2025 के लिए महाराष्ट्र में अनुशंसित उच्च उपज देने वाली सोयाबीन किस्में
24 मई 2025, नई दिल्ली: खरीफ 2025 के लिए महाराष्ट्र में अनुशंसित उच्च उपज देने वाली सोयाबीन किस्में – महाराष्ट्र के किसानों के लिए खरीफ 2025 में सोयाबीन की खेती एक प्रमुख अवसर है। इस क्षेत्र में जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक का समय सोयाबीन की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। बुवाई से पहले कम से कम 100 मिमी वर्षा का होना अत्यंत आवश्यक है जिससे बीज का अच्छा अंकुरण सुनिश्चित किया जा सके।
मिट्टी की सही तैयारी उपज बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। हर तीन साल में एक बार गहरी गर्मी की जुताई करने से मिट्टी की उत्पादकता बनी रहती है और कीट व रोग नियंत्रण में भी सहायता मिलती है। यदि यह प्रक्रिया अब तक नहीं की गई है, तो किसानों को दो बार आड़ा-तिरछा हैरो चला कर खेत तैयार करने की सलाह दी जाती है। सामान्य वर्षों में हैरो और पाटा चलाकर भी खेत तैयार किया जा सकता है।
महाराष्ट्र के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित उच्च उत्पादकता वाली किस्मों जैसे NRC 165, JS 22-12, JS 22-16, NRC 150, NRC 152, JS 21-72, RVSM 2011-35, NRC 138, EMS 100-39, RVS 76, NRC 142, NRC 130, MACS 1520, RSC 10-46, RSC 10-52, AMS-M-B-5-18, AMS 1001, JS 20-116, JS 20-94, JS 20-98 और NRC 127 को खेती में अपनाने की सलाह दी जाती है। इन किस्मों की विशेषताएं जैसे रोग प्रतिरोधक क्षमता और जलवायु के प्रति अनुकूलता इन्हें अधिक लाभकारी बनाती हैं।
इसके अतिरिक्त, महाराष्ट्र राज्य सरकार द्वारा अनुशंसित विशिष्ट किस्में MAUS 725 और फुले दुर्वा (KDS 992) हैं। ये किस्में क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार और भी अधिक प्रभावशाली सिद्ध हो सकती हैं।
किसानों को यह सलाह दी जाती है कि वे बुवाई से पहले प्रमाणित और रोगमुक्त बीज का उपयोग करें और अपनी कृषि भूमि की विशेषताओं के अनुसार सबसे उपयुक्त किस्म का चुनाव करें। इसके अलावा, फसल सुरक्षा के लिए कीट व रोग प्रबंधन के उपायों को भी अपनाना आवश्यक है।
अधिक जानकारी और सहायता के लिए किसान अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं। तकनीकी मार्गदर्शन से उन्हें बेहतर उपज प्राप्त करने में सहायता मिलेगी और उनकी कृषि आय में वृद्धि होगी।
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