निर्माण, आयात और उपयोग के लिए प्रतिबंधित कीटनाशक-2
1 सितम्बर 2022, भोपाल । निर्माण, आयात और उपयोग के लिए प्रतिबंधित कीटनाशक-2 –
(A) ख. आयात, निर्माण और उपयोग के लिए प्रतिबंधित कीटनाशक यौगिक –
1. कार्बोफ्यूरॉन 50 प्रतिशत एसपी (का.आ.678 (ई), दिनांक 17 जुलाई 2001 के अनुसार)
2. मेथोमाइल 12.5 प्रतिशत एल
3. मेथोमाइल 24 प्रतिशत यौगिक
4. फॉस्फोमिडान 85 प्रतिशत एसएल
ग. कीटनाशक वापस ले लिए गए
(सरकार के समक्ष कीटनाशक उद्योग द्वारा सृजित और प्रस्तुत तथा पंजीकरण समिति (एसओ 915 (ई) दिनांक 15 जून, 2006) द्वारा स्वीकृत दिशा-निर्देशों के अनुसार के अनुसार वापसी जल्द से जल्द निष्क्रिय हो सकती है।
1. डालापोन 2. फेरबाम 3. फॉर्मोथियान
4. निकल क्लोराइड 5. पैराडीक्लोरोबेंजीन (पीडीसीबी)
6. सिमाजोन 7. सिरमेट (का.आ.2485 (ई), दिनांक 24 सितंबर 2014)
8. वारफारिन (का.आ. 915 (ई),दिनांक 15 जनू 2006 के अनुसार)
(B) II. देश में उपयोग के लिए प्रतिबंधित कीटनाशक
क्र.- कीटनाशक: प्रतिबंधों का विवरण –
1. एल्युमिनियम फास्फाइड: एल्युमिनियम फॉस्फाइड सहित कीट नियंत्रण कार्य केवल सरकार/ सरकारी उपक्रमों/सरकारी संगठनों/कीट नियंत्रणसंचालकों द्वारा सरकारी विशेषज्ञों या ऐसे विशेषज्ञों की सख्त निगरानी में की जाती है जिनकी विशेषज्ञता 1 एल्युमिनियम फॉस्फाइड 15 प्रतिशत 12 ग्राम टैबलेट और 2 एल्युमिनियम फॉस्फाइड 6 प्रतिशत टैबलेट को छोडक़र भारत सरकार के पौध संरक्षण सलाहकार द्वारा अनुमोदित है। [दिनांक 21-09-1984 कर आरसी निर्णय परिपत्र एफ संख्या 14-11 (2)-सीआईआर-ढ्ढढ्ढ (खंड ढ्ढढ्ढ) और दिनांक 20 मई 1999 का जी.एस.आर. 371(ई)]। दिनांक 02-11-2007 को 282वें आरसी का निर्णय और 15-02-2012 को 326वें आरसी का 2 निर्णय हुआ।
एल्युमिनियम फॉस्फाइड के प्रत्येक 3 ग्राम की 10 और 20 गोलियों की क्षमता वाले एल्युमिनियम फॉस्फाइड ट्यूब पैक का उत्पादन, विपणन और उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है। (का.आ. 677 (ई), दिनांक 17 जुलाई, 2001)
2. कैप्टाफोल: कैप्टाफोल को पत्तेदार स्प्रे के रूप में उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कैप्टाफोल का उपयोग केवल सीड ड्रेसर के रूप में किया जाएगा। (का.आ.569 (ई), दिनांक 25 जुलाई, 1989)
सूखे बीज उपचार (डीएस) के लिए कैप्टाफोल 80 प्रतिशत पाउडर के निर्यात के लिए निर्माण को छोडक़र देश में उपयोग के लिए इसका निर्माण प्रतिबंधित है। (का.आ.679 (ई), दिनांक 17 जुलाई, 2001)
3. साइपरमेथ्रिन: साइपरमेथ्रिन 3 प्रतिशत स्मोक जेनरेटर का उपयोग केवल कीट नियंत्रण ऑपरेटरों के माध्यम से किया जाना है और आम जनता द्वारा इसको उपयोग करने की अनुमति नहीं है। [माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के दिनांक 14-07-2009 के 2009 के डब्ल्यूपी (सी) 10052 और दिनांक 08-09-2009 के एलपीए-429/2009 का आदेश]
4. डैजोमेट: चाय पर डैजोमेट के उपयोग की अनुमति नहीं है। (का.आ.3006 (ई), दिनांक 31 दिसंबर, 2008)
5. डाइक्लोरो डिफेनिल: महामारी के किसी भी बड़े प्रकोप को छोडक़र घरेलू सार्वजनिक
ट्राइक्लोईथेन (डीडीटी): स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए डीडीटी का उपयोग प्रति वर्ष 10,000 मीट्रिक टन तक प्रतिबंधित है। देश में मे. हिन्दुस्तान कीटनाशक लि., डीडीटी का एकमात्र निर्माता है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोजन के लिए वेक्टर नियंत्रण में उपयोग हेतु अन्य देशों में निर्यात के लिए डीडीटी का निर्माण कर सकता है। पार्टियों और राज्य गैर-पार्टियों को डीडीटी का निर्यात सख्ती से स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों (पीओपी) पर स्टॉकहोम कन्वेंशन के अनुच्छेद 2 (ख) के अनुच्छेद 3 के अनुसार होगा। (का.आ.295 (ई),दिनांक 8 मार्च, 2006)
कृषि में डीडीटी का उपयोग वापस ले लिया गया है। बहुत ही विशेष परिस्थतियों में पौध संरक्षण कार्य के लिए डीडीटी का उपयोग किया जा सकता है, राज्य या केन्द्र सरकारी विशेषज्ञ के पर्यवेक्षण के तहत उपयोग करने के लिए इसे सीधे मे. हिन्दुस्तान कीटनाशक लि. से खरीद सकते हैं। (का.आ.378 (ई), दिनांक 26 मई, 1989)।
6. फेमिट्रोथियोन: अनुसूचित रेगिस्तानी क्षेत्र और सार्वजनिक स्वास्थ्य में टिड्डी नियंत्रण को छोडक़र कृषि में फेमिट्रोथियोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। (का.आ.706 (ई), दिनांक 03 मई, 2007)
7. मिथाइल ब्रोमाइड: मिथाइल ब्रोमाइड का उपयोग केवल सरकार/सरकारी उपक्रमों/ सरकारी संगठनों/कीट नियंत्रण संचालकों द्वारा सरकारी विशेषज्ञों या ऐसे विशेषज्ञों की सख्त निगरानी में की जाती है जिनकी विशेषज्ञों को पादप संरक्षण सलाहकार द्वारा अनुमोदित किया जाता है।
[सा.का.नि.371(ई), दिनांक 20 मई,1999 तथा पूर्व आरसी निर्णय]
8. मोनोक्रोटोफॉस: मोनोक्रोटोफॉस सब्जियों पर उपयोग के लिए प्रतिबंधित है। (का.आ.1482 (ई), दिनांक 10 अक्टूबर, 2005)
9. ट्राइफ्लुरलिन: (i) गेहूं में इसके उपयोग को छोडक़र इसका पंजीकरण, आयात, निर्माण, फॉर्मूलेशन, परिवहन, बिक्री और इसके सभी उपयोगों को निषिद्ध कर दिया जाएगा तथा दिनांक 8 अगस्त, 2018 इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है।
(ii) लेबल और पत्रक में एक चेतावनी कथन शामिल किया जाना चाहिए कि यह जलीय जीवों के लिए विषाक्त है, इसलिए इसका उपयोग जल निकायों, जलीय कृषि या मछली पालन क्षेत्र के पास नहीं किया जाना चाहिए। (दिनांक 8 अगस्त, 2018 के का.आ. 3951(ई) के अनुसार)
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