एन.पी.वी. (न्यूक्लियर पॉली हायड्रोसिस वायरस) क्या है और इसका प्रयोग कैसे करते है
14 अक्टूबर 2022, भोपाल: एन.पी.वी. (न्यूक्लियर पॉली हायड्रोसिस वायरस) क्या है और इसका प्रयोग कैसे करते है – न्यूक्लियर पॉली हायड्रोसिस वायरस (एन.पी.वी.) पर आधारित हरी सूंडी (हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा) अथवा तम्बाकू सूंडी (स्पेडोप्टेरा लिटूरा) का जैविक कीटनाशक है जो तरल रूप में उपलब्ध है। इसमें वायरस के कण होते हैं, जिनसे सूंडी द्वारा खाने या सम्पर्क में आने पर संूडियों क शरीर 2 से 4 दिन के भीतर गाढ़ा भूरा फूला हुआ व सड़ा हो जाता है, सफेद तरल पदार्थ निकलता है व मृत्यु हो जती है। रोग ग्रसित तथा मरी हुई सूंडियां पत्तियों एवं टहनियों पर लटकी हुई पाई जाती हैं।
एन.पी.वी. कपास, फूलगोभी, टमाटर, मिर्च, भिंडी, मटर, मूंगफली, सूरजमुखी, अरहर, चना, मोटा अनाज, तम्बाकू एवं फलों को नुकसान से बचाता है। प्रयोग करने से पूर्व 1 मिली एन.पी.वी. को 1 लीटर पानी में घोल बनाएं तथा ऐसे घोल को 250 से 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से 12 से 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 छिड़काव फसलों के लिये उपयोगी है। छिड़काव सायंकाल को किया जाए तथा ध्यान रहे कि लार्वा की प्रारंभिक शैशवावस्था में अथवा अंडा देने की स्थिति में प्रथम छिड़काव किया जाए। एन.पी.वी. की सेल्फ लाइफ 6 माह है।
ब्यूवेरिया बैसियाना
यह एक फफूंदी जनित उत्पाद है, जो विभिन्न प्रकार के फुदकों को नियंत्रित करता है। यह लेपीडोप्टेरा कुल के कैटरपिलर जिसमें फली छेदक (हेलियोथिस), स्पेडोप्टेरा, छेदक तथा बाल वाले कैटरपिलर सम्मिलित हैं, पर प्रभावी है तथा छिड़काव होने पर उमें बीमारी पैदा कर देता है, जिससे कीड़े पंगु हो जाते हैं और निष्क्रिय होकर मर जाते हैं। यह सब्जियों, फलों, फूलों, आलू पर उपयोगी है। ब्यूवेरिया बैसियाना का प्रयोग उपचार के लिये 10 ग्राम प्रति किलो बीज एवं फसल पर छिड़काव के लिए 4 ग्राम दवा प्रति लीटर पानी में प्रति हेक्टर की दर से 12 से 15 दिन के अंतराल पर सायंकाल को किया जाए। यह अंडा देने लार्वा प्यूपा तथा फुदके आदि सभी दशाओं में प्रभावी हैं किन्तु उचित समय अंडा देने तथा शैशवलार्वा की है। इसकी सेल्फ लाइफ 1 वर्ष है।
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