Niger varieties: रामतिल की उन्नत किस्में जो दें ज्यादा तेल और पैदावार
14 जून 2025, नई दिल्ली: Niger varieties: रामतिल की उन्नत किस्में जो दें ज्यादा तेल और पैदावार – रामतिल की अच्छी उपज पाने के लिए सही किस्म का चुनाव बेहद जरूरी है। भारत के अलग-अलग राज्यों में जलवायु, मिट्टी और मौसम की स्थितियाँ भिन्न होती हैं, इसलिए हर क्षेत्र के लिए विशेष रूप से विकसित किस्में ज्यादा उपयुक्त साबित होती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि आपके राज्य की स्थिति के अनुसार कौन-सी रामतिल (नाइजर) की किस्म खेती के लिए सबसे बेहतर रहेगी, जिससे कम लागत में अधिक उत्पादन संभव हो सके।
रामतनी की उन्नत किस्में
हर राज्य में अलग-अलग उन्नत किस्में लोकप्रिय हैं:
- मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़: जेएनसी-6, जेएनसी-1, जेएनसी-9
- महाराष्ट्र: आईजीपी-76, फुले कराला-1
- कर्नाटक: आरसीआर-317, आरसीआर-18, केबीएन-1
- ओडिशा: जीए-10, उत्कल रामतिल-150
- झारखंड: बिरसा रामतिल-1, बिरसा रामतिल-2, बीएनएस-10
- गुजरात: गुजरात रामतिल-1, एनआरएस-96-1
- तमिलनाडु: पैतूर-1
रामतिल, जिसे नाइजर या राम तिल भी कहते हैं, एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण तिलहन फसल है। यह ज्यादातर बारिश पर निर्भर खेती में उगाई जाती है और इसके बीजों का इस्तेमाल खाने से लेकर कई उद्योगों में होता है। रामतिल के बीज में 37-47% तेल होता है, जो हल्का पीला, अखरोट जैसा स्वाद और खुशबू वाला होता है। इस तेल का उपयोग खाना पकाने, त्वचा पर लगाने, पेंट, मुलायम साबुन, और इत्र उद्योग में बेस ऑयल के रूप में किया जाता है। साथ ही, इसका उपयोग जन्म नियंत्रण और कुछ बीमारियों के इलाज में भी होता है। रामतिल का खल (बीज निकालने के बाद बचा हिस्सा) पशुओं, खासकर दुधारू मवेशियों के लिए पौष्टिक चारा है और खाद के रूप में भी काम आता है। इसे हरी खाद के तौर पर मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।
भारत में रामतिल की खेती खरीफ के मौसम में करीब 2.61 लाख हेक्टेयर में होती है, लेकिन ओडिशा में इसे रबी की फसल के रूप में उगाया जाता है। आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और पश्चिम बंगाल इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। औसत उपज 3.21 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, लेकिन बेहतर तकनीकों से इसे बढ़ाया जा सकता है।
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