फसल की खेती (Crop Cultivation)

मूंग की खेती लाभकारी

  • नेहा सिंह किरार, कृषि महा विद्या., सीहोर
  • जयपाल छिगारहा
  • डॉ. आर.के. प्रजापति, डॉ. बी.एस. किरार
    कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़

16 जुलाई 2022, मूंग की खेती लाभकारी – किसान को अपनी आमदनी बढ़ाने एवं लागत कम करने के लिए प्रतिवर्ष प्रत्येक खेत एक मौसम एक दलहनी फसल अवश्य लगायें जिससे भूमि में पोषक तत्वों की बढ़ोतरी एवं भूमि की गुणवत्ता में सुधार होता है । यह प्रोटीन युक्त उत्पादन के साथ-साथ खली तोडऩे के बाद फसलों को भूमि में मिला देने पर यह हरी खाद का भी काम करती है। मूंग गर्मी एवं बरसात दोनों मौसमों की कम से कम समय में तैयार होने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है। मूंग को मुक्ता खरीफ में उगाया जाता है और सिंचाई सुविधा ना होने पर भी अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है ।

भूमि

मूंग की खेती के लिए दोमट एवं दोमट बलुई भूमि जिसका पीएच मान 7-7.5 का उपयोग होता है।

Advertisement
Advertisement
भूमि की तैयारी

रबी की फसल कटने के बाद गर्मी में एक गहरी जुताई अवश्य करें जिससे खेत की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है और कीट व्याधि का भी प्रबंधन होता है। फसल की बुवाई के समय 2-3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर खेत को समतल एवं भुरभुरा बनाएं अंतिम जुताई के साथ फसल को दीमक से बचाव के लिए क्लोरोपायरीफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20 कि. ग्रा. प्रति हे. मिला देें।

बीज दर

बसंत/ग्रीष्मकालीन बुवाई हेतु 25-30 कि.ग्रा. प्रति हे. बीज पर्याप्त है और खरीफ में बीज दर 20 किग्रा प्रति हे. पर्याप्त होता है।

Advertisement8
Advertisement
बीजोपचार

बुवाई के पूर्व बीज का कार्बोक्सिन थायरम दवा 2 ग्राम और थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यू जी 3 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार कर इसके बाद बीज को राईजोबियम तथा पीएसबी कल्चर 10 मिली प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें ।

Advertisement8
Advertisement
बुवाई का समय

गर्मी में मूंग की बुवाई 15 फरवरी से मार्च अन्त तक बुवाई कर सकते हैं। खरीफ में जून के अन्तिम सप्ताह से 15 जुलाई तक बुवाई कर सकते हैं।

बुवाई विधि

मूंग की बुवाई रिज्ड बेड प्लान्टर या सीडड्रिल से कतारों में करें। खरीफ में कतार से कतार की दूरी 30-40 से.मी और पौधे से पौधे 10-12 से.मी. रखें। बसंत/ग्रीष्म- कतार से कतार की दूरी 20-22.5 से.मी और पौधे से पौधे 8-10 से.मी तथा बीज की गहराई 4 से.मी. रखें।
नत्रजन, फास्फोरस व पोटाश उर्वरक की पूरी मात्रा बुवाई के समय 5-10 से.मी. गहराई पर कूड़ में आधार के रूप में दें।

सिंचाई

खरीफ में सिंचाई की सामन्यत: आवश्यकता नहीं पड़ती है परन्तु ज्यादा दिन का सूखा पडऩे पर हल्की जीवन रक्षक सिंचाई करें।

कीट प्रबंधन

पत्ती भक्षक एवं कम्बल कीट- यह कीट पत्तियों को खाता है और बाद में फली में छेद करके दाने को खाता है।
नियंत्रण- इसके नियंत्रण हेतु क्विनालफॉस 1.5 ली. या थायमिथॉक्सम- लेम्बडा सायहेलोथ्रिन 125 मिली/हे. की दर से छिडक़ाव करें।
सफेद मक्खी- यह कीट पौधे की पत्तियों, कोमल टहनियों, फूलों, कलियों से रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं इसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोप्रिड 200 मिली प्रति हे. की दर से 500 ली. पानी में घोल बनाकर छिडक़ें।

कटाई एवं गहाई

गर्मी की फसल 60-65 दिन में पक कर तैयार हो जाती है अर्थात् फरवरी-मार्च में बोई गई फसल मई में पककर तैयार हो जाती है। फलियों का हरे से काली रंग होने पर 2 बार में तुड़ाई करें और बाद में फसल को एक साथ काट लें। फसल को कटने के बाद एक दिन खेत में सुखायें उसके बाद खलिहान में ठीक से सुखाकर फिर बैलों को चलाकर या थ्रेसर से गहाई कर लें।

Advertisement8
Advertisement
उपज

10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है।

महत्वपूर्ण खबर:कर्नाटक के राज्यपाल श्री गहलोत से मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री श्री पटेल की मुलाकात

Advertisements
Advertisement5
Advertisement