फसल की खेती (Crop Cultivation)

उर्वरकों की परख के तरीके

लेखक: डॉ. ऋषिकेश तिवारी, डॉ. बीरेन्द्र स्वरूप द्विवेदी, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर

22 जुलाई 2024, भोपाल: उर्वरकों की परख के तरीके – अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए भूमि की उर्वराशक्ति को उच्चस्तर पर बनाये रखना नितान्त आवश्यक है। उर्वरक और खाद के इस्तेमाल द्वारा मिट्टी की उर्वराशक्ति का संरक्षण तथा पौधों के पोषक तत्वों की पूर्ति की जाती है। सामान्यत: खाद तथा उर्वरक शब्द पर्यायवाची के रूप में प्रयोग किये जाते हैं तथापि खाद का तात्पर्य कार्बनिक खादों (जैसे- गोबर, खली की खादें आदि) से होता है जबकि उर्वरक शब्द का प्रयोग अकार्बनिक अथवा संष्लिष्ट कार्बनिक पदार्थो के सान्द्रित रूप के लिए होता है। इनमें एक या एक से अधिक पोषक तत्व विलेय घुलनशील तथा प्राप्य रूप में पायेे जाते हैं। उर्वरक कारखानों में तैयार किये जाते है तथा इसमें पोषक तत्वों की मात्रा अधिक पायी जाती है।

शुद्ध उर्वरक की पहचान

नकली तथा मिलावटी उर्वरकों की समस्या से निपटने हेतु यद्यपि सरकार प्रतिबद्ध है, फिर भी यह आवश्यक है कि खरीददारी करते समय किसान भाई उर्वरकों की शुद्धता मोटेतौर पर ठीक उसी तरह से परख ले जैसे- बीजों की शुद्धता, बीज को दांतों से दबाने पर कट्ट और किच्च की आवाज से, कपड़े की गुणवत्ता उसे छूकर या मसलकर, घड़े की पहचान उसे ठोंकने पर टन और खट्ट की आवाज से तथा दूध की शुद्धता की जांच उसे अंगुली से टपका कर की जाती है। प्रचलित उर्वरकों में से अधिकांशतया यूरिया, डी.ए.पी., जिंक सल्फेट तथा एम. ओ. पी. आदि नकली/ मिलावटी रूप में बाजार में उतारे जाते हैं। खरीददारी करते समय किसान इसकी परख निम्न सरल विधि से कर सकते हैं।

शुद्ध यूरिया

  • सफेद, चमकदार,लगभग समान आकार के गोल दाने।
  • पानी में घुलनशील तथा छूने पर ठण्डा लगता है।
  • गूर्म तवे में रखने पर पिघल जाता है और ऑंच तेज करने पर अमोनिया की गंध आती है।
  • फूंकने में नम हो जाता है ।

शुद्ध डी. ए. पी.

  • कठोर, दानेदार, भूरा, काला या बादामी रंग, नाखूनों से तोडऩे पर आसानी से नहीं टूटता।
  • तवे पर धीमी आंच में गर्म करने से दाने फूलकर बड़े हो जाते हंै।
  • डी. ए. पी. के कुछ दानों को लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर रगडऩे पर तीक्ष्ण गंध आती है।
  • हथेली में बंद करके फॅंूक मारने पर गीला हो जाता है।

शुद्ध जिंक सल्फेट

  • जिंक सल्फेट में मुख्यत: मैग्नीशियम सल्फेट मिलावटी रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता है। भौतिक रूप से समानता के कारण नकली-असली की पहचान करना बहुत कठिन हो जाता है
  • जिंक सल्फेट के घोल में पतला कास्टिक का घोल मिलाने पर सफेद, मटमैला माड़ जैसा अवक्षेप बनता है, जिसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिलाने पर अवक्षेप पूर्णतया घुल जाता है। यदि जिंक सल्फेट की जगह मैग्नीशियम सल्फेट है तो अवक्षेप घुलता ही नहीं है।
  • जिंक सल्फेट के घोल में डी. ए. पी. का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवक्षेेप बन जाता है, जबकि मैग्नीशियम सल्फेट के साथ ऐसा नहीं होता।

शुद्ध म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी)

  • सफेद कणाकार, पिसे नमक तथा लाल मिर्च जैसा मिश्रण।
  • ये कण नम करने पर आपस में नहीं चिपकते।
  • पानी में घोलने पर उर्वरक का लाल भाग पानी के ऊपर तैरने लगता है।

इन परीक्षणों में यदि उर्वरक नकली पाया जाये तो इसकी पुष्टि किसान सेवा केन्द्रों पर उपलब्ध टेस्टिंग किट से की जाती है। विविध कार्यवाही के लिए इसकी सूचना जनपद के उप कृषि निदेशक प्रसार या जिला कृषि अधिकारी एवं निदेशक (प्रदेश स्तर) को दी जा सकती है।
उर्वरकों की शुद्धता को परख करके ही उर्वरक का उपयोग करें ताकि नकली उर्वरकों से होने वाली आर्थिक हानि और मृदा तथा पौधों पर पडऩे वाले विपरीत प्रभाव से बचा जा सके। हम शुद्ध उर्वरक का उपयोग करके ही मृदा गुणों को संरक्षित कर सकते हैं। इस प्रकार अच्छी उपज लेकर खुद का खाद्यान्न बढ़ा सकते हैं।

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