Kharif MSP 2025: रागी में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी; केंद्र सरकार रागी को क्यों बढ़ावा दे रही है?
02 जून 2025, नई दिल्ली: Kharif MSP 2025: रागी में 13 प्रतिशत की बढ़ोतरी; केंद्र सरकार रागी को क्यों बढ़ावा दे रही है? – केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा कर दी है. इस बार सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली फसलों में रागी शामिल है, जिसके MSP में ₹596 प्रति क्विंटल यानी करीब 13.9% की वृद्धि हुई है. अब रागी का MSP ₹4886 प्रति क्विंटल हो गया है, जो बीते वर्ष ₹4290 था.
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में 14 खरीफ फसलों के नए एमएसपी को मंजूरी दी गई.
फसल | 2013-14 | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | 2024-25 | 2025-26 | लागत KMS 2025-26 | लागत पर मार्जिन (%) |
रागी | 1500 | 3295 | 3377 | 3578 | 3846 | 4290 | 4886 | 3257 | 50 |
सरकार रागी को क्यों बढ़ावा दे रही है?
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (यूएनएफएओ) ने भारत की सिफारिश पर वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया था। तब भारत ने दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाया था। रागी मुख्य मिलेट फसलों में से एक है, लेकिन इसकी एमएसपी कम होने के कारण किसान इसे नहीं उगाते थे। इसी समस्या को दूर करने के लिए कैबिनेट समिति ने अब किसानों को रागी उगाने के लिए प्रेरित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है।
पिछले कुछ वर्षों से केंद्र सरकार पोषक अनाजों, जिसे अब ‘श्री अन्न’ कहा जाता है, की खेती को बढ़ावा देने पर ज़ोर दे रही है. नीति निर्माताओं का मानना है कि रागी और इसी श्रेणी के अन्य अनाज जैसे बाजरा, ज्वार न सिर्फ पोषण के लिहाज से बेहतर हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में भी टिकाऊ खेती का विकल्प हैं. इन फसलों को कम पानी, कम रासायनिक इनपुट और कम जोखिम में उगाया जा सकता है.
सरकार का यह भी कहना है कि रागी जैसे अनाजों के लिए MSP में वृद्धि, किसानों को इनकी खेती की ओर आकर्षित करने का प्रयास है. खासकर उन इलाकों में, जहां भूमि की उर्वरता कम है और सिंचाई की सुविधाएं सीमित हैं.
MSP में बढ़ोतरी किन आधारों पर?
2025-26 के लिए रागी की उत्पादन लागत 3257 रुपये प्रति क्विंटल आंकी गई है. घोषित MSP इस लागत से 50% अधिक यानी 4886 रुपये है. सरकार का कहना है कि यह बढ़ोतरी 2018-19 के केंद्रीय बजट की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें कहा गया था कि MSP कम से कम उत्पादन लागत का डेढ़ गुना होना चाहिए.
हालांकि, कुछ अन्य फसलों की तुलना में रागी का लागत पर मार्जिन 50% ही रखा गया है, जबकि बाजरा और मक्का जैसे फसलों में यह आंकड़ा क्रमशः 63% और 59% है.
क्या MSP बढ़ोतरी से रागी की खेती बढ़ेगी?
नीति स्तर पर किए जा रहे प्रयासों और MSP में बढ़ोतरी से यह उम्मीद जरूर की जा रही है कि किसान रागी जैसी फसलों को अपनाएंगे. लेकिन ज़मीनी हकीकत यह भी है कि रागी की बाजार मांग अभी भी सीमित है और सरकारी खरीद की व्यवस्था भी अन्य फसलों की तुलना में कमजोर मानी जाती है.
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि केवल MSP बढ़ाने से ही बदलाव नहीं आएगा, जब तक कि रागी की प्रोसेसिंग, मार्केटिंग और उपभोक्ताओं तक पहुंच को मजबूत नहीं किया जाए.
रागी के एमएसपी में की गई यह बढ़ोतरी पोषक अनाजों को लेकर सरकार की प्राथमिकता को दर्शाती है. हालांकि, यह देखना बाकी है कि इस नीति परिवर्तन का प्रभाव किसानों की बोआई के फैसले पर कितना पड़ता है.
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: