फायदे का सौदा है ईसबगोल की खेती
25 सितम्बर 2024, भोपाल: फायदे का सौदा है ईसबगोल की खेती – किसान भाई भले ही अन्य फसलों की खेती करें लेकिन ईसबगोल की खेती भी किसानों के लिए फायदे का सौदा हो सकती है।
भारत में मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में ईसबगोल की खेती की जाती है। इसके इस्तेमाल से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं ईसबगोल की पत्तियों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है।
औषधीय पौधों की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है, जिसके कारण इसकी खेती की का चलन भी बढ़ गया है। अब कई किसान पारंपरिक खेती छोड़ अधिक मुनाफे वाली खेती कर रहे हैं। मुनाफा देने वाली खेती में औषधीय खेती भी शामिल हैं। इसमें ईसबगोल की फसल भी आती है। जिसकी खेती करके किसान मालामाल हो रहे हैं।
भारत में मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और गुजरात में ईसबगोल की खेती की जाती है। इसके इस्तेमाल से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं ईसबगोल की पत्तियों का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए भी किया जाता है।
किसान ईसबगोल की खेती कम लागत में शुरू कर सकते हैं। जिससे अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। ये फसल 115 दिन में तैयार हो जाती है। केवल एक एक हेक्टेयर जमीन में 10 से 15 क्विंटल तक इसबगोल का उत्पादन हो सकता है। मंडी में एक क्विंटल ईसबगोल का भाव 12,500 रुपये के आसपास मिल जाता है। यानी किसान इस फसल के माध्यम से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
उत्पादन के लिए क्या करें
- सबसे पहले ईसबगोल की उन्नत किस्म के पौधे का चयन करें। वातावरण और क्षेत्रों की मिट्टी के अनुसार ईसबगोल की किस्म का चुनाव किया जाता है।
- ईसबगोल की किस्मों में गुजरात ईसबगोल 2, आर.आई.1 ईसबगोल, जवाहर ईसबगोल 4, हरियाणा ईसबगोल 5, निहारिका, इंदौर ईसबगोल, मंदसौर ईसबगोल आदि शामिल हैं।
- ईसबगोल की खेती उष्ण जलवायु में भी की जा सकती है।
- इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए।
- ज्यादा नमी वाले स्थानों में इसकी खेती अच्छे से नहीं होती।
- बलुई दोमट मिट्टी ईसबगोल की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इस मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा अधिक होनी चाहिए।
- ईसबगोल की बुआई के लिए अक्टूबर से नवंबर का महीना सही माना जाता है।
- जब भी बुवाई करें तो कतारों में करें, कतारों की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
- ईसबगोल की वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने के लिए उन्नत किस्म के बीजों के साथ कंपोस्ट खाद का इस्तेमाल करें।
- फसल उगने के बाद उसकी सही देखभाल की बहुत ज्यादा जरूरत होती है।
- खेती करने से पहले मिट्टी का अच्छे से उपचार कर लें ताकि फसल को कीटों और रोगों से बचाया जा सके.· मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए खेत की दो से तीन बार जुताई करनी जरूरी है।
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